हल्द्वानी न्यूज : मिश्र वंशवाली के ​दूसरे संस्करण का विमोचन, मूल पुरूष से लेकर 2020 तक जन्मे बालकों का है ब्यौरा

हल्द्वानी। दर्पण चिल्ड्रंस गार्डन कुसुमखेड़ा में शांडिल्य गोत्र वंशावली के द्वितीय संस्करण का विमोचन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत भजन गायक अनूप जलोटा के शिष्य…

हल्द्वानी। दर्पण चिल्ड्रंस गार्डन कुसुमखेड़ा में शांडिल्य गोत्र वंशावली के द्वितीय संस्करण का विमोचन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत भजन गायक अनूप जलोटा के शिष्य पंडित नीरज मिश्रा एवं उनकी टीम द्वारा संगीतमय सुंदरकांड के साथ हुई। चंद्रशेखर मिश्र की अध्यक्षता में श्री श्री 1008 स्वामी परेश यति जी महाराज,चक्रधर मिश्र, मधुसूदन मिश्र ,नंद किशोर मिश्र, चंद्र मोहन मिश्र, एमजे पांडे, मीनाक्षी जोशी, नीरजा पांडे, मनोहर कुमार मिश्र, केडी मिश्र व मनोज कुमार मिश्र द्वारा दीप जलाकर मिश्र वंशावली के मूल लेखक स्व. बंशीधर मिश्र व मूल संपादक स्व. डॉ. उर्वीश मिश्र के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। तत्पश्चात मनोज कुमार मिश्र द्वारा लिखित व संपादित वंशावली के द्वितीय संस्करण का विमोचन किया गया।

इस अवसर पर भूतपूर्व उच्च शिक्षा निदेशक पीसी बाराकोटी, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आरसी मिश्र, ललित मोहन जोशी, खंड शिक्षा अधिकारी कोटाबाग भास्करानंद पांडे, भास्कर मिश्र, दर्पणचिल्ड्रन गार्डन के प्रबंधक गिरीश चंद्र जोशी व अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। कार्यक्रम में उपस्थित मिश्र कुल के 80 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को शॉल उड़ाकर सम्मानित भी किया गया। सभी सम्मानित मेहमानों को स्मारिका भेंट स्वरूप प्रदान की गई। व मिश्र कुल के होनहार बच्चों को उनके द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए भी सम्मानित किया गया। इस मौके पर कई गणमान्य लोगों ने अपने अपने विचार रखे।

मिश्र वंशावली के द्वितीय संस्करण के कार्यकारी लेखक व संपादक मनोज मिश्र ने बताया कि उत्तराखंड में मिश्र कुल का आगमन आज से लगभग 550 वर्ष पहले हुआ था। 15 वीं सदी के अंतिम दशक में उत्तर प्रदेश के कन्नौज के तत्कालीन राजकुमार जसधवल की रानी के आग्रह पर उनके पुरोहित के रूप में राजजात की यात्रा पर आजए थे। जब यात्रा अपने अंतिम चरण में थी तो रानी की ने धार्मिक यात्रा में अपनाए जाने वाले हिमालय क्षेत्रों के विधि विधान को नहीं माना और भयंकर बर्फीले तूफान की चपेट में अपनी पूरी सेना के साथ काल के गाल में समा गई।

देवी के अनन्य भक्त व काली के उपासक कालीकेश्वर मिश्र अपने एकमात्र जीवित साथी पडियार के साथ दुखी मन लेकर वापस नहीं जाना चाहते थे वे कैल नदी के किनारे अपनी कुटिया बनाकर पूजा आराधना करने लगे। स्व. बंशीधर मिश्र ने कर्णश्रुति के आधार पर अनेक माध्यमों से सूचनाओं को एकत्र कर वंशावली को मूल स्वरूप प्रदान किया। इस वंशावली के द्वितीय संस्करण में मूल पुरुष से लेकर सन 2020 तक में पैदा हुए बालकों के नाम अंकित करने का प्रयास किया गया है। कार्यक्रम का संचालन भूतपूर्व शिक्षक कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोहर मिश्र, मनोज मिश्र व केडी मिश्र ने किया।

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