अल्मोड़ा: आशारोड़ी की घटना से गुस्से में उपपा, दोषियों पर कार्यवाही हो अन्यथा आंदोलन, ज्ञापन भेजे

अल्मोड़ा। गत दिनों देहरादून की आशारोड़ी गांव की घटना को लेकर उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी गुस्से में हैं। उन्होंने नूरजहां व अन्य लोगों से मारपीट करने…

अल्मोड़ा। गत दिनों देहरादून की आशारोड़ी गांव की घटना को लेकर उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी गुस्से में हैं। उन्होंने नूरजहां व अन्य लोगों से मारपीट करने वाले वन विभाग कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की मांग है। साथ ही घटना की उच्च स्तरीय जांच करते हुए वन अधिकार अधिनियम के तहत परंपरागत वन निवासियों को हक प्रदान की पुरजोर मांग उठाई है। इसके लिए राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजे हैं।
प्रदेश के राज्पाल तथा मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन बुधवार को उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी को सौंपा। जिसमें कहा है कि गत 16 जून को वन विभाग के 7 कर्मचारियों ने उक्त गांव में नूरजहां के घर पहुंचकर तोड़फोड़ की। नूरजहां व अन्य ग्रामीणों ने विरोध करते हुए वन कर्मचारियों को बताया कि वनाधिकार कानून 2006 के तहत उनके द्वारा नियमानुसार दावे भरे हैं। उच्च न्यायालय का निर्णय भी उनके ही पक्ष में है और सर्वोच्च न्यायालय ने 27 मई 2019 को उनके पक्ष स्थगन आदेश पारित किया है, लेकिन वन कर्मचारियों ने न तो उनकी सुनी और न ही उनके दस्तावेज देखे। उन्होंने नूरजहां व उनके साथ अन्य लोगों के साथ मारपीट की और जमीन में घसीटा। इतना ही नहीं वन विभाग ने नूरजहां समेत अन्य लोगों, यहां तक कि नाबालिग बच्चों के खिलाफ साजिशन झूठा मुकदमा दर्ज कराया और यह आरोप भी लगाया है कि 17 जून को वन विभाग के 40 लोगों ने गांव में आतंक फैलाया और नूरजहां समेत सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया। जबकि ग्रामीणों की रिपोर्ट को दर्ज नहीं की गई।
पार्टी ने ज्ञापन में कहा है कि इस घटना से पूरे राज्य में असंतोष है। वन मंत्री हरक सिंह रावत ने इस घटना की जांच के आदेश दिए हैं। इस बात पर आश्चर्य प्रकट किया है कि लंबे समय से राज्य में वनाधिकार अधिनियम 2006 को लागू करने की मांग हो रही है, लेकिन वन गुज्जरों, आदिवासियों एवं राज्य में परम्परागत वन निवासियों के अधिकारों को मान्यता नहीं दी गई। एक ओर सरकार सार्वजनिक भूमि पर पूंजीपतियों व भू-माफियाओं का कब्जा करा रही है, वहीं दूसरी ओर वनाधिकार कानून से मिले अधिकारों को कुचल रही है। ज्ञापन में देहरादून की आशारोड़ी गांव की घटना की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच करने, ग्रामीणों के खिलाफ साजिश करने वाले अधिकारियों व अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने, वनाधिकार कानून 2006 को लागू कर परंपरागत वन निवासियों को हक दिलाने, नूरजहां बेगम व उनके परिवार के साथ हुई मारपीट के दोषी कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की पुरजोर मांग की गई है। चेतावनी दी है कि यदि मांगें पूरी नहीं हुई, तो पूरे राज्य में आंदोलन खड़ा किया जाएगा। ज्ञापन देने वालों उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी, एड. गोविंद लाल वर्मा, केंद्रीय सचिव आनंदी वर्मा, गोपाल राम, मोहम्मद वसीम, किरन आर्या आदि शामिल थे।

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