नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार आनंद सिंह नेगी, पोते—पोती सहित मलबे में दबकर दर्दनाक मौत

ऐसे चले जाओगे, सोचा भी नहीं था, हिंदी पत्रकारिता जगत में शोक की लहर सीएनई संवाददाता रानीखेत गोपाल नाथ गोस्वामी लगातार लेते रहे रेस्क्यू की…

  • ऐसे चले जाओगे, सोचा भी नहीं था, हिंदी पत्रकारिता जगत में शोक की लहर
  • सीएनई संवाददाता रानीखेत गोपाल नाथ गोस्वामी लगातार लेते रहे रेस्क्यू की ख़बर

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

वरिष्ठ पत्रकार आनंद नेगी अब हमारे बीच नहीं रहे। दोपहर लगभग 3.30 बजे उनका शव मलबे से बरामद हो गया है। माना मृत्यु जीवन का एक अकाट्य सत्य है, लेकिन कभी कोई इस तरह से संसार से चला जाता है कि उसकी मौत पर यकीन करना भी मुश्किल हो जाता है। जो व्यक्ति कल तक बराबर अतिवृष्टि से हो रही आपदाओं की लगातार रिपोर्टिंग कर रहा था, उसे आपदा ही लील गई।

मंगलवार की तड़के भिकियासैंण के रापड़ गांव से दिल को दहलाने वाली ख़बर आई। मालूम चला कि वरिष्ठ पत्रकार आनंद सिंह नेगी परिवार सहित मलबे में दबे हैं। प्रशासनिक सूत्रों से जो जानकारी मिली उसके अनुसार सोमवार 18 अक्टूबर, 2021 को मूसलधार बारिश से रात 01 बजे के करीब आनंद सिंह नेगी पुत्र मदन सिंह नेगी उम्र 60 वर्ष के मकान पर पहाड़ी से मलबा आ गिर गाया।

वह कुछ समझ पाते तब तक मलबे से मकान क्षतिग्रस्त हो गया। आनंद सिंह नेगी की पत्नी उषा उम्र 55 वर्ष ने भागकर जान बचाई। जबकि आनंद सिंह नेगी व उनके बड़े भाई गोवर्धन सिंह की लड़की के दो बच्चे तनुज पुत्र मदन सिंह 12 वर्ष व किरन पुत्री मदन सिंह उम्र 16 वर्ष के दो किशोर मलबे में दब गए। वह कुछ समय से नाना आनंद सिंह के यहां रह रहे थे। घटना के बाद सुबह होने पर एसडीआरएफ, पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। आनंद ​नेगी के पोता—पोती किरन व तनुज को तो सुबह ही मृत अवस्था में मलबे से निकाल लिया गया, लेकिन आनंद सिंह नेगी का दोपहर तक कुछ पता नहीं चल पाया। आंखिर करीब 3.30 बजे दोपहर के वक्त प्रशा​सनिक सूचना आई ​कि आनंद सिंह नेगी का शव भी बरामद कर लिया गया है। बताया जा रहा है कि पानी की टंकी से आये मलबे ने उनके दो मंजिला मकान को ढहा दिया। आनंद नेगी निचले कमरे में सोये थे, इस कारण उन पर पहली मंजिल के भवन का पूरा मलब गिर गया, जिस कारण शव को बाहर निकालने में भी काफी देरी हुई। खबरें वही जो समय पर मिले, तो जुड़िये हमारे WhatsApp Group से Click Now

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आनंद सिंह नेगी एक वरिष्ठ और संवेदनशील पत्रकार थे। उनका पैत्रक गांव भिकियासैंण तहसील के रापड़ में था। दैनिक अखबार अमर उजाला में सेवाकाल का अधिकांश समय उन्होंने रानीखेत व बागेश्वर में बिताया था। वह समाचार पत्र के उप संपादक थे। सेवानिवृत्ति के बाद वह एक एनजीओ से जुड़ गये थे। उम्र बढ़ने के साथ ही आनंद सिंह नेगी को अपने घर—गांव की याद रापड़ खींच ले गयी। वहां उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन में दो मंजिला भवन बनाया और बीते कुछ समय से परिवार सहित वहीं बस गये।

लगभग दो माह पूर्व आनंद नेगी ने सीएनई न्यूज पोर्टल से जुड़ने की इच्छा जाहिर की और संवाददाता के रूप में पदभार ग्रहण कर लिया। वह लगातार सीएनई के लिए रानीखेत—भिकियासैंण से समाचार प्रेषित करते रहे। कई तथ्यपरख लेख भी इस बीच प्रकाशित हुए। आनंद नेगी ने इच्छा सीएनई न्यूज पोर्टल को क्षेत्र में लोकप्रिय बनाते हुए शीर्ष तक ले जाने की थी। उन्होंने निश्चय किया था कि अब उनकी पत्रकारिता का माध्यम सीएनई न्यूज पोर्टल ही रहेगा। इसके लिए उन्होंने काफी कुछ सोचा भी था। 18 अक्टूबर को देर शाम तक वह आपदाओं से जुड़े समाचार भेजते रहे, लेकिन शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था। जिन आपदाओं पर वह पैनी नजर बनाये थे, वही आपदा उन पर ही आ गई। रात के पहर तेज बारिश से उनका मकान ढह गया और आनंद नेगी मलबे में दबकर हमेशा के लिए इस संसार को अलविदा कहकर चले गये। आनंद नेगी का इस तरह चला जाना निश्चित रूप से पत्रकारिता जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है, जिसकी भरपाई बहुत मुश्किल है। हम सीएनई परिवार की ओर से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

शव को सीएचसी भिकियासैंण भेजा गया

तहसीलदार दिवान गिरि गोस्वामी ने बताया कि एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीम ने पत्रकार आनंद नेगी के शव को को दोपहर के वक्त मलबे से निकालने में सफलता पा ली। उन्होंने बताया कि भारी मलबा आने से दो मंजिला मकान करीबी रात एक बजे ढह गया था। चूंकि यहां पतला पैदल मार्ग होने के कारण जेसीबी नहीं पहुंच सकती थी अतएव रेस्क्यू करने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। फिलहाल शव को सीएचसी भिकियासैंण पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया गया है।

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