सुयालखेत में भीषण पेयजल किल्लत, ग्रामीणों का खाली कनस्तरों के साथ प्रदर्शन

⏩ क्षतिग्रस्त पेयजल लाइनों की मरम्मत को कोई तैयार नहीं ⏩ एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे जल संस्थान और निर्माण कंपनी अल्मोड़ा-हल्द्वानी एनएच में क्वारब…

⏩ क्षतिग्रस्त पेयजल लाइनों की मरम्मत को कोई तैयार नहीं

⏩ एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे जल संस्थान और निर्माण कंपनी

अल्मोड़ा-हल्द्वानी एनएच में क्वारब से आगे हाई वे पर चल रहे निर्माण कार्य के दौरान क्षतिग्रस्त हो रही पेयजल लाइनों से हो रहे नुकसान का खामियाजा क्षेत्रीय जनता को भुगतना पड़ रहा है। आलम यह है कि क्षतिग्रस्त लाइनों की मरम्मत की जब बात आती है तो जल संस्थान व निर्माण कंपनी एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं, लेकिन प्रभावित जनता की नहीं सुनी जा रही है।

दरअसल, आज सुयालखेत में चल रही भारी पेयजल किल्लत के खिलाफ ग्रामीणों ने पूर्व प्रधान प्रकाश जोशी के नेतृत्व में खाली कनस्तरों के साथ प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि पेयजल लाइनें टूटने के कारण सुयालखेत में लोग बूंद-बूंद पानी को तरस गये हैं। यहां दो दर्जन से अधिक परिवार निवासरत हैं, जिन्हें भीषण पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त होने के चलते क्षेत्र में पीने के पानी का जबरदस्त संकट बना हुआ है। पानी का यहां कोई विकल्प भी नहीं है। पहले यहां एक हैंडपंप हुआ करता था, जो काफी समय पहले ही टूट चुका है। इसके बावजूद संबंधित विभाग व शासन-प्रशासन मौन है। उनकी समस्या पर जब किसी ने गौर नहीं किया तो मजबूरन उन्हें जनता को साथ लेकर धरना-प्रदर्शन के लिए विवश होना पड़ रहा है।

पूर्व प्रधान ने कहा कि सुयालखेत की जनता का इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि बरसात के मौसम में भी उन्हें पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। इधर इस संबंध में सीएनई संवाददाता द्वारा जब जल संस्थान नैनीताल के अधिकारियों से वार्ता हुई तो अधिकारियों ने काम कराने का जिम्मा निर्माण कंपनी का बता अपना पल्ला झाड़ दिया। वहीं जब निर्माण कंपनी से बात की गई तो कंपनी के जिम्मेदार लोगों ने कहा कि कंपनी क्षतिपूर्ति की धनराशि विभाग को दे चुकी है, अतएव क्षतिग्रस्त लाइनों की मरम्मत का जिम्मा संबंधित विभाग का ही होगा। अलबत्ता जल संस्थान व निर्माण कंपनी के बीच उत्पन्न विवाद का खामियाजा सुयालखेत के नागरिक भुगत रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो लामबंद होकर आंदोलन का बिगुल फूंक दिया जायेगा। ज्ञात रहे कि इससे पूर्व भी निर्माण कार्य के दौरान पेयजल लाइनों के क्षतिग्रस्त होने के ऐसे कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं।

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