श्याम जोशी की कलम से…फादर्स डे पर …….क्योंकि आप मेरे पापा हैं !

कौन सी राह चुलु कौन से पथ पर निकलूं ।जिसमें मैं अपने पापा का वर्णन बताऊं ।। मेरे लिए हर सुबह का सूरज हैं आप…

कौन सी राह चुलु कौन से पथ पर निकलूं ।
जिसमें मैं अपने पापा का वर्णन बताऊं ।।

मेरे लिए हर सुबह का सूरज हैं आप ।
सूरज की किरणों का अहसास हैं आप ।।

पृथ्वी के माथे पर लगा चंद्रा भी आप हैं ।
खिली हुई हरयाली का झूला भी आप हैं ।।

ये खुला हुआ नीला-नीला आकाश भी आप हैं,
सावन की रिमझिम वर्षा भी आप है ।।

खुशियों का पिटारा भी आप हैं,
मेरे साथ साया बनकर चलने वाले भी आप हैं ।।

ज़िन्दगी की असली राह दिखाने वाले भी आप हैं,
मेरी अनसुलझी पहेली को सुलझाने वाले भी आप हैं ।।

जीवन का अर्थ मूल्य समझाने वाले भी आप हैं,
चारों दिशाओं और मेरी दुनियां भी आप हैं ।।

मेरी हर मुश्किल का हल भी आप हैं….क्योंकि,
आप मेरे पापा हैं आप जताने वाले नही हैं ।
आप करके दिखाने वाले भी आप हैं पापा ।।

  • श्याम जोशी, अल्मोड़ा उत्तराखंड

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