स्मृति शेष : “यूं बिना बताये चले जाना तो आपकी आदत में शुमार नहीं था”, कांग्रेस की कद्दावर नेता डॉ. इंदिरा हृदयेश का स्वर्णिम राजनैतिक सफर…

सीएनई रिपोर्टर, हल्द्वानी/अल्मोड़ा उत्तराखंड की राजनीति की सशक्त हस्ताक्षर डॉ. इंदिरा हृदयेश अब हमारे बीच नही रहीं। वह अचानक इस तरह संसार से अलविदा कहकर…


सीएनई रिपोर्टर, हल्द्वानी/अल्मोड़ा

उत्तराखंड की राजनीति की सशक्त हस्ताक्षर डॉ. इंदिरा हृदयेश अब हमारे बीच नही रहीं। वह अचानक इस तरह संसार से अलविदा कहकर चली जायेंगी ऐसा तो किसी ने सोचा भी नही था।

डॉ. इंदिरा दिल्ली में प्रस्तावित कांग्रेस की बैठक में भाग लेने के लिए शनिवार को राजधानी पहुंची थीं। आज रविवार को उत्तराखंड सदन के कमरा नंबर 303 में आज अचानक उन्हें हॉट अटैक आया और आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया। जहां उनकी मृत्यु हो गई।

ज्ञात रहे कि दिल्ली जाने से पूर्व शनिवार को डॉ. हृदयेश ने कांग्रेस के हल्द्वानी में हुए देशव्यापी प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। उत्तराखंड में अगले साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी के राजनैतिक अभियान में वह थिंक टैंक की भूमिका में थीं। इसी को देखते हुए दिल्ली में होने वाली बैठक में भाग लेने के लिए वह ​राजधानी आयी थीं।

आपको बता दें कि अविभाजित यूपी से लेकर उत्तराखंड में डॉ. इंदिरा हृदयेश का राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 7 अप्रैल 1941 को जन्मीं डॉ. इंदिरा हृदयेश ने 80 वर्ष की आयु में इस संसार को अलविदा कह दिया। डॉ. हृदयेश ने अपने विधायक कार्यकाल में हल्द्वानी के विकास के लिए जो अभूतपूर्व कार्य किये, उनकी चर्चा आज भी जनता करती है। हल्द्वानी में सड़कों का जाल बिछाने का श्रेय उन्हीं को जाता है।

वह 4 बार एमएलसी और 4 बार विधायक रह चुकी हैं। उनका एक बड़ा राजनैतिक अनुभव रहा है, जिसका लाभ पार्टी के हर जमीनी स्तर के कार्यकर्ता से लेकर शीर्ष नेता उठाते रहे हैं।

डॉ. इंदिरा पहली बार 1974 से 1980 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्य रहीं।

इसके बाद दूसरी बार 1986 से 1992 तक उत्तर प्रदेश में एमएलसी बनीं।

1992 से 1998 तक तीसरी बार एमएलसी रहीं।

चौथी बार 1998 से 2000 तक एमएलसी रहने के बाद उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड अलग हो गया जिसके बाद फिर वह उत्तराखंड सरकार में नेता प्रतिपक्ष के पद पर रहीं।

उत्तराखंड में पहले विधानसभा चुनाव में 2002 से 2007 तक वह कैबिनेट मिनिस्टर रहीं।

संसदीय कार्य व कई महत्वपूर्ण विभाग उनके पास रहे। उसके बाद 2012 से 2017 तक फिर वह हल्द्वानी से चुनी गईं और इस बार भी भारी भरकम विभागों के साथ कैबिनेट मिनिस्टर बनीं।

2017 में फिर से चुनाव जीतने के बाद वह उत्तराखंड कांग्रेस की नेता प्रतिपक्ष चुनी गईं।

आज डॉ. इंदिरा हृदयेश भले ही हमारे बीच नही हैं, लेकिन वह स्मृतियों में सदैव जीवित रहेंगी। कांग्रेस कार्यकर्ता उनके अमूल्य योगदान को कभी नहीं भूल सकते हैं।

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