रानीखेत: सुअरों के हमले से बाल—बाल बचे समाजसेवी सतीश, कुरी घास के सफाये को चलाया है अभियान

रानीखेत। यहां समाजसेवी सतीश चंद्र पांडे लंबे समय से निष्प्रयोज्य एवं खेती के लिए नुसानदेह कुरी घास (लैंटाना) को काटकर नष्ट करने में जुटे हैं।…

रानीखेत। यहां समाजसेवी सतीश चंद्र पांडे लंबे समय से निष्प्रयोज्य एवं खेती के लिए नुसानदेह कुरी घास (लैंटाना) को काटकर नष्ट करने में जुटे हैं। श्री पांडेय शनिवार को समीपवर्ती अम्याड़ी गांव में कुरी घास के झाले काटने में जुटे थे, कि इसी बीच झाड़ियों से 10—15 सुअरों का झुंड निकल आया। जिनसे बड़ी होशियारी से उन्होंने जान बचाई। उनकी आवाज सुनकर गांव के नवयुवक वहां पहुंचे और उन्होंने हो—हल्ला कर सुअरों को भगाया। इसी बीच सुअर का एक बच्चा एक युवक पर झपट गया लेकिन कुत्ते ने उसे मार डाला
हुआ यूं कि समाजसेवी सतीश पाण्डेय शनिवार पूर्वाहृन अम्याड़ी के मध्य कुरी घास की झाड़ियों की सफाई कर रहे थे। इसी बीच सुअरों का झुंड निकल आया। वह बचते हुए किनारे हुए और उन्होंने गांव में कुछ युवकों को आवाज दी। कुछ देर में कुछ युवक वहां पहुंच गए। उनके हो हल्ले से सुअरों का झुंड निकल गया, लेकिन इसी बीच सुअर का एक बच्चा एक युवक पर झपट पड़ा। लेकिन होशियारी से युवक सुअर के बच्चे को दबोच लिया। युवक इस बच्चे को लेकर घर आए, मगर पास में बैठे एक कुत्ता सुअर पर झपटा और उसने सुअर का बच्चा मार डाला। ऐसे में श्री पांडे व युवक सुअर के हमले से बाल—बाल बच गए। यहां उल्लेखनीय है कि कुरी घास खेती के लिए बेहद नुकसानदेह है, गांव में सतीश चंद्र पांडे तीन साल से, जब भी वक्त मिला, इसके सफाये पर लगे हैं। इस बीच लॉकडाउन में उनका कुरी घास के सफाये का अभियान जारी है। गांव व आसपास वह करीब 90 फीसदी क्षेत्र में कुरी घास का सफाया कर चुके हैंं।
अम्याड़ी गांव में सुअरों का आतंक: अम्याड़ी गांव में काफी समय से सुअरों का आतंक चल रहा है। जो रात को आकर ग्रामीणों की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं। खेतों में लगाई गई फसलों को चट कर रहे हैं या खोद—खोद कर फसल को बर्बाद कर रहे हैं। क्षेत्र के ग्रामीणों ने इस समस्या से निजात दिलाने की मांग शासन—प्रशासन से की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *