सीएनई रिपोर्टर
Country of Elephants – Botswana of Africa
Know, some interesting facts about elephants
हाथी संसार के जमनी भू—भाग में निवास करने वाला सबसे बड़ा जीव है। उत्तराखंड में राजाजी, कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान समेत अन्य वन प्रभागों में यह देखे जाते हैं। यूं तो हाथी विश्व में लगभग सभी जगह पाये जाते हैं, लेकिन एक देश ऐसा भी है, जहां इनकी संख्या को देखते हुए उस राष्ट्र को ‘हाथियों का देश’ कहा जाता है।
यह सौभाग्यशाली देश है अफ्रीका का बोत्सवाना। विशेष बात तो यह है कि पूरे विश्व के हाथियों की कुल संख्या में से 25 प्रतिशत हाथी बोत्सवाना में ही पाए जाते हैं। अफ्रीका में बचे 04 लाख हाथियों में से 1.30 लाख हाथी बोत्सवाना में ही निवास करते हैं।
उत्तराखंड में 2500 के करीब है हाथियों की संख्या
वर्तमान में राज्य में हाथियों की संख्या करीब 2500 है। साल 2017 में यह केवल 1839 थे। यानी सुखद बात यह है कि इनकी संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है। वर्ष 2021 के जून में राज्य में हाथी गणना की गई थी। जिसके मुताबिक कार्बेट टाइगर रिजर्व में सर्वाधिक 1224 हाथी पाये गये, जबकि राजाजी टाइगर रिजर्व में इनकी संख्या 311 गिनी गई। शेष अन्य वन प्रभागों में हैं। वर्ष 2017 की गणना में राज्य में 1839, वर्ष 2015 में 1797 और वर्ष 2012 में 1559 हाथी थे।
हाथी का कितना होता है वजन ?
जन्म के समय हाथी शिशु लगभग 104 किलो का होता है। यह बच्चा पैदा होने के बस 20 मिनट के अंदर ही अपने पैर पर खड़ा हो जाता है और एक घंटे के अंदर चलने लगता है। दो दिन के बाद वो झुंड के साथ चलने लगता है और अपने खाना-पानी की तलाश भी करने लगता है। हाथी अमूमन 50 से 70 सालों तक जिंदा रहते हैं, हालांकि सबसे दीर्घायु हाथी की उम्र 82 वर्ष दर्ज की गई है। वहीं अफ्रीकी हाथी की उम्र बस 35 से 40 वर्ष के बीच ही होती है। इतिहास में सबसे विशाल हाथी वर्ष 1955 में अंगोला में मारा गया था। इस नर का वज़न लगभग 10 हजार 900 किलो था और कन्धे तक की ऊंचाई 3.96 मीटर थी जो कि एक सामान्य अफ़्रीकी हाथी से लगभग एक मीटर ज़्यादा है।
उत्तराखंड के ग्यारह गलियारों में ‘गजराज का राज’
क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड में हाथियों के 11 गलियारे हैं। जिनमें हाथी स्वछंद विचरण करते हैं। इनमें कांसरो-बड़कोट, मोतीचूर-गोहरी, रवासन-सोनानदी, चिल्किया-कोटा, फतेहपुर-गदगडिया, मोतीचूर-बड़कोट-ऋषिकेश, चीला मोतीचूर, मलानी-कोटा, दक्षिण पटलीदून-चिल्किया और किलपुरा-खटीमा-सुराई गलियारों में आमतौर पर हाथी विचरण करते हैं। हालांकि, रिहायशी इलाकों के विस्तार और मानवीय दखल के कारण इन गलियारों में भी हाथी-मानव संघर्ष की घटनाएं बढ़ गई हैं।
हाथी सबसे समझदार जीव —
हाथी पर सालों तक काफी शोध हो चुके हैं। जिनमें यह बात सामने आई है कि हाथी बहुत बुद्धिमान जीवों की श्रेणी में आता है। हाथी जिस मार्ग से एक बार गुजर जाता है उस रास्ते को वह जीवन पर्यन्त नहीं भूलता। मादा हाथी अपने बच्चों को प्राचीन रास्तों से पानी के पोखरों व उपजाऊ स्थानों की ओर ले जाया करते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी यह अपने मार्गों को याद रखने की क्षमता रखते हैं। हाथी भी इंसानों की तरह एक पारिवारिक जीव है। अपने बच्चों से यह बहुत स्नेह रखते हैं। आप यह जान कर हैरान होंगे कि जब भी हाथी के परिवार के किसी सदस्य कि मौत हो जाती है तो यह भी इंसानो कि तरह शोक मनाते हैं।
क्या भारत में पाये जाते हैं सफेद हाथी ?
white elephant आमतौर पर भारत में नहीं पाए जाते हैं, लेकिन थाईलैंड में यह हैं। सफेद हाथी बहुत ही दुर्लभ मिलते हैं। हालांकि आपने फिल्मों में देखा होगा कि सफेद हाथी एकदम सफेद होते हैं, किंतु वास्तव में ऐसा नहीं है। सफेद कहलाये जाने वाले हाथी की स्किन अन्य हाथियों की तुलना में नरम लाल व भूरे रंग की होती है, जो हल्की गुलाबी रंग की भी दिखाई देती है।
क्या हाथी भी नींद लेते हैं ?
कुछ शोध चिड़ियाघरों में हुए हैं। जिसमें यह पता चला है कि हाथी रोज 04 से 06 घंटे की नींद लेते हैं। वहीं इनके प्राकृतिक आवास यानि जंगल में चूंकि खतरे अधिक होते हैं वहां यह मात्र दो से तीन घंटे की नींद ही लिया करते हैं।