अल्मोड़ाः जिनकी बदौलत बागान लहलहाया, उन्हीं को ठेंगा !

अल्मोड़ा। सीमावर्ती जनपद चमोली अंतर्गत वन पंचायत खगेली में स्थापित चाय बागान में सालों से काम कर रहे कई श्रमिकों को अब ठेंगा दिखाया जा…

अल्मोड़ा। सीमावर्ती जनपद चमोली अंतर्गत वन पंचायत खगेली में स्थापित चाय बागान में सालों से काम कर रहे कई श्रमिकों को अब ठेंगा दिखाया जा रहा है। चाय बागान के नौटी डिविजन अंतर्गत खगेली चाय बागान के पुराने श्रमिकों के समक्ष ऐसे हालात खड़े कर दिए कि उनके सामने परिवार के भरण पोषण का सवाल खड़ा हो गया है। कभी कड़ी मेहनत से चाय बागान को लहलहाने वाले ये श्रमिक आज काम और पगार के लिए मोहताज हो चुके हैं। उनका यह दुखड़ा उस ज्ञापन में साफ झलक रहा है, जो उन्होंने हाल ही में उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड अल्मोड़ा के निदेशक को प्रेषित किया है।
सुपरवाइजर स्तर पर अनुनय-विनय के बाद भी जब समस्या हल नहीं हो सकी, तो अब उन्होंने उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड के निदेशक से गुहार लगाई हैं। निदेशक को भेजे ज्ञापन के अनुसार वर्ष 1997 में चाय बागान खगेली की स्थापना की थी। खगेली वन पंचायत द्वारा 62.254 हेक्टेअर में चाय बागान लगाया गया है। शुरू में जो स्थानीय श्रमिक रखे गए, वे ही सालों से कार्य करते आ रहे हैं। इन्हीं श्रमिकों की कड़ी मेहनत से यह बागान लहलहाया। मगर अब श्रमिकों के साथ भेदभाव शुरू हो गया। ज्ञापन के अनुसार वर्ष 1998-99 में आए 6 श्रमिकों को वरीयता दे दी गई जबकि इससे पहले वर्ष 1997-98 से काम कर रहे 10 श्रमिकों को पीछे धकेल कर मायूस कर दिया। इतना ही नहीं शुरू से कार्यरत श्रमिकों को वर्ष 2011-12 तक पूरे माह का काम दिया जाता रहा और पूरे माह का मानदेय भी। इसके बाद धीरे-धीरे काम के दिनों की संख्या कम होते गई और अब स्थिति ये है कि पुराने 10 श्रमिकों को माह में सिर्फ 4 दिन का रोजगार मिल रहा है। ऐसे में मानदेय इसी दर से न्यून हो गया है। अब इन श्रमिकों की आर्थिक हालत खस्ताहाल हो गई है। ऊपर से दोहरी मार कोरोना संक्रमणकाल की पड़ी कि लाॅकडाउन हो गया। मार्च से अब तक इन श्रमिकों को कोई भुगतान नहीं हुआ।
ऐसे अन्यायपूर्ण हालातों से खिन्न होकर श्रमिकों ने काम नहीं करने का निर्णय लिया। श्रमिकों ने बताया है कि सुपरवाइजर ने 8 जून से मौखिक आदेश पर कार्य बंद कर दिया है। श्रमिकों की मांग है कि उन्हें पूरे माह का काम मिले और भुगतान भी पूरा हो। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि ऐसा नहीं होता है, तो वे सड़कों पर उतरेंगे और न्यायालय की शरण लेने को विवश होंगे। यहां तक कि बाहरी श्रमिकों को बागान में काम के लिए लाने का विरोध करेंगे। ज्ञापन में वन पंचायत की तुलसी देवी, उत्तरांचल चाय बागान वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष समेत दिनेश सिंह कुंवर, महिपाल सिंह, गिरीश चंद्र, वीरेंद्र सिंह भंडारी, गुड्डी देवी आदि कई श्रमिकों के हस्ताक्षर हैं।

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