Big Breaking : प्रधानमंत्री मोदी का बड़ा ऐलान वैक्सीनेशन का संपूर्ण कार्य 21 जून से अपने हाथ में लेगी केंद्र सरकार, नवंबर तक पूरे देश में मिलेगा मुफ्त राशन

सीएनई रिपोर्टर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में कोरोना की दूसरी लहर के बीच एक बड़ा निर्णय लेते हुए 21 जून, सोमवार से देश भर…

सीएनई रिपोर्टर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में कोरोना की दूसरी लहर के बीच एक बड़ा निर्णय लेते हुए 21 जून, सोमवार से देश भर में वैक्सीनेशन का संपूर्ण कार्य अपने हाथ में लेने का निर्णय लिया है। दो हफ्ते बाद 18 से अधिक आयु वर्ग के समस्त देश भर के नागरिकों के लिए मुफ्त वैक्सीन राज्य सरकारों को अब केंद्र से उपलब्ध कराई जायेगी। वहीं प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत दीपावली तक हर किसी को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में कहा कि कोरोना की दसूरी वेव से हम भारतवासियों की लड़ाई जारी है। दुनिया के अनेक देशों की तरह भारत भी इस लड़ाई के दौरान बहुत बड़ी पीड़ा से गुजरा है। हम में से कई लोगों ने अपने परिजनों, परिचितो को खोया है। ऐसे सभी परिवारों के साथ मेरी पूरी संवेदना हैं।

बीते 100 वर्षों में आई यह सबसे बड़ी महामारी है, त्रासदी है। इस तरह की माहमारी आधुनिक विश्व ने न देखी थी, न अनुभव की थी। इतनी बड़ी वैश्विक महामारी से हमारा देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ा है। कोविड अस्पताल से लेकर आईसीयू बेड की संख्या, वेंटिलेटर, टेस्टिंग लैब का बड़ा नेटवर्क तैयार करना हो। कोविड से लड़ने से बीते सवा साल में देश में कए हेल्थ इन्फ्रास्ट्रकचर ​तैयार किया गया है। दूसरी लहर में अप्रैल व मई में मेडिकल आक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय रूप से बढ़ गई थी।

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भारत के इतिहास में इतनी बड़ी मात्रा में आक्सीजन की जरूरत महसूस नही की गई। इस जरूरत को पूरा करने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया गया। सरकार के सभी तंत्र लगे। आक्सीजन रेल, विमान, नौसेना को लगाया गया। बहुत ही कम समय में लिक्विड आक्सीजन प्रोडेक्शन दस गुना से अधिक बढ़ाया गया।

दुनिया के किसी भी कोने से जो उपलब्ध हो सकता था लाया गया। जरूरी दवाओं के निर्माण को कई गुना बढ़ाया गया। विदेशों में जहां भी दवाएं उपलब्ध थी वहां से उन्हें लाने में कोई कोर—कसर नही छोड़ी गई।

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कोरोना जैसे अदृश्य व रूप बदलने वाले दुश्मन के खिलाफ लड़ाई में सबसे बड़ा हथियार कोविड प्रोटोकाल का पालन करना है। वैक्सीन हमारे लिए सुरक्षा कवच की तरह है। पूरे विश्व में जो मांग है उसकी तुलना में उत्पादन करने वाले देश, वैकसीन बनाने वाली कंपनियां बहुत कम हैं। भारत में बनी वैक्सीन नही होती तो भारत जैसे विशाल देश में क्या होता। पिछले 50 से 60 साल का इतिहास देखेंगे तो पता चलेगा कि भारत को विदेशों से वैक्सीन प्राप्त करने में दशकों लग जाते थे। विदेशों में वैक्सीनेशन का काम पूरा हो जाता था तब तक हमारे देश में शुरू भी नही हो पाता था। पोलियो, चेचक इसके उदाहरण हैं।

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2014 में जब हमें सेवा का अवसर दिया तो भारत में वैक्सीनेशन का कवरेज तब मात्र 60 प्रतिशत के आस—पास था। तब यह बहुत चिंता की बात थी। जिस प्रकार से भारत का टीकाकरण चल रहा था। उस रफ्तार में भारत को शत—प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने में करीब 40 साल लग जाते। हमने युद्ध स्तर पर वैक्सीनेशन किया।

मिशन मोड में काम किया है। सिर्फ 5—6 साल में ही वैक्सीनेश 60 से प्रतिशत बढ़कर 90 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गई। यानी वैक्सीनेशन की स्पीड व दायरा दोनों बढ़ाया। बच्चों को कई जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए कई नये ​टीकाकरण अभियान को भारत का हिस्सा बना दिया।

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हमें देश के बच्चों व गरीबों की चिंता थी, जिन्हें कभी टीका लग ही नही पाता था। हम शत—प्रतिशत टीकाकरण कवरेज की तरफ बढ़ ही रहे थे कि हमें कोरोना वायरस ने घेर लिया। जब नियत साफ व नीति स्पष्ट होती है निरंतर परीश्रम होता है तो नतीजे भी मिलते हैं। भारत में एक साल के भीतर ही एक नही दो मेड ​इन इंडिया वैक्सीन लांच कर दी गई।

हमारे देश ने दिखा दिया भारत बड़े—बड़े देशों से पीछे नही है। देश में 23 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है। हमारे प्रयासों में हमें सफलता तब मिलती है जब हमें स्वयं पर विश्वास होता है। हमें पूरा विश्वास था कि हमारे वैज्ञानिक बहुत कम समय में वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल कर लेंगे। पिछले साल ही वैक्सीन टास्क फोर्स का गठन कर लिया गया था।

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मिशन कोविड सुरक्षा के माध्यम से हजारों करोड़ रूपये वैक्सीन के लिए उपलब्ध कराये गये। आने वाले दिनों में वैक्सीन सप्लाई और भी ज्यादा बढ़ने वाली है। आज देश में 07 कंपनियां विभिन्न प्रकार की वैक्सीन का प्रोडेक्टशन कर रही है। तीन वैक्सीन का ट्रायल भी चल रहा है। दूसरे देशों की कंपनियों से भी वैक्सीन खरीदने की प्रक्रिया को तेज किया गया है।

कुछ एक्सपेट्र भी बच्चों को लेकर चिंता जता रहे हैं। अतएव दो वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है। नेजल वैक्सीन पर भी रिचर्च भी जारी है। जिसे सीरिंज की बजाए नाक में स्प्रे किया जायेगा। यदि सफलता मिली तो वैक्सीनेशन अभियान में और ज्यादा तेजी आयेगी। इतने कम समय में वैक्सीन बनाना पूरी मानवता के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। लेकिन इसके अपनी सीमाएं भी हैं। वैक्सीन बनने के बाद भी दुनिया के बहुत कम देशों में वैक्सीनेशन प्रारम्भ हुआ। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैक्सीनेशन को लेकर गाइडलाइन दी, वैज्ञानिकों ने रूपरेखा रखी। भारत ने भी मानकों के आधार पर चरणबद्ध तरीके से वैक्सीनेशन तय किया।

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केंद्र सरकार ने सीएम के साथ अनेकों बैठकों में सुझाव लिये। यह तय हुआ कि जिन्हें कोरोना से ज्यादा खतरा है उन्हें प्राथमिकता दी जायेगी। इसलिए हेल्थ वर्कस, फ्रंटलाइन व 60 व 45 वर्ष से ज्यादा आयु के नागरिकों को वैक्सीन पहले लगनी शुरू हुई। यदि दूसरी वेव से पहले हमारे फ्रंटलाइन वर्कस को वैक्सीन न ही लगी होती तो क्या होता। डॉक्टर व नर्सिंग स्टॉफ, सफाई कर्मियों को नही लगी होती तो क्या होता। ज्यादा से ज्यादा से हेल्थ वर्कस को वैक्सीनेशन हुआ तब वह निश्चिंत होकर दूसरों की सेवा में लग पायें।

देश में कम होते कोरोना के मामलों के बीच केंद्र के सामने अलग—अलग सुझाव आने लगे। भिन्न—भिन्न मांगें भी आई। राज्य सरकारों को भी छूट देने को कहा गया। हेल्थ प्रमुख रूप से राज्य का विषय है। इसलिए इस दिशा में एक शुरूआत की गई। सरकार ने राज्यों को गाइडलाइंस जारी की ताकि वह अपनी आवश्यकता व सुविधा के अनुसार काम कर सकें। स्थानीय स्तर पर उन्हें सारे अधिकार दिये गये।

इस साल 16 जनवरी से अप्रैल के अंत तक वैक्सीनेशन केंद्र की देखरेख में चला। सभी को मुफ्त वैक्सीन लगवाई गई। इस बीच कई राज्य सरकारों ने कहा कि वैक्सीन का काम राज्यों पर छोड़ दिया जाये। भांति—भांति के दबाव बनाये गये। मीडिया के एक वर्ग ने इसे कैंपेन के रूप में भी चलाया। चिंतन—मनन के बाद सहमति बनी कि राज्य सरकार यदि प्रयास करना चाहती है तो भारत सरकार क्यों करे। उनके आग्रह को देखते हुए 16 जनवरी से चली आ रही व्यवस्था को प्रयोग के तौर पर बदला गया। 25 प्रतिशत का काम राज्यों को ही सौंप दिया। 1 मई से राज्यों को 25 प्रतिशत काम सौंप दिया गया। सभी ने अपने—अपने तरीके से प्रयास भी किये।

मई में दो सप्ताह बीतते—बीतते कुछ राज्य खुले मन से यह कहने लगे कि पहले वाली व्यवस्था ही अच्छी थी। वैक्सीन का कार्य राज्यों पर छोड़े जाने की वकालत करने वालों के विचार भी बदले। राज्य पुर्नविचार की मांग के साथ ​फिर आगे आये।

पहले वाली पुरानी व्यवस्था को फिर से लागू करने का निर्णय लिया गया है। ​राज्यों के पास वैक्सीनेशन से जुड़ा जो 25 प्रतिशत कार्य था। उसकी जिम्मेदारी अब भारत सरकार उठायेगी। दो सप्ताह में यह व्यवस्था लागू हो जायेगी। 21 जून सोमवार से को अंतर्राष्टीय योग दिवस पर 18 वर्ष की उम्र के सभी नागरिकों के लिए राज्यों को वैक्सीन उपलब्ध करायेगी। अब किसी राज्य सरकार को वैक्सीन पर कुछ भी खर्च नही करना होगा। सभी देशवासियों के लिए भारत सरकार ही मुफ्त वैक्सीनी उपलब्ध करायेगी। प्राईवेट अस्पताल वैक्सीन की नि​र्धारित कीमत 150 रूपये में वक्सीन लगायेंगे।

पिछले वर्ष जब लॉकडाउन लगा था तो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 8 माह तक गरीबों को मुफ्त राशन दिया था। मई व जून के लिए इस योजना का विस्तार किया था। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को अब दीपावली तक आगे बढ़ाया जायेगा। नवंबर तक 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को तय मात्रा में मुफ्त अनाज उपलब्ध होगा।

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