बागेश्वर न्यूज : धौलीनाग मंदिर का मेला कोरोना की भेंट चढ़ा

बागेश्वर। कोरोना का असर अब पहाड़ों के त्योहारों और मेलों में भी दिखने लगा है। कांडा के धौलीनाग मंदिर ऋषि पंचमी पर लगने वाला ऐतिहासिक…


बागेश्वर। कोरोना का असर अब पहाड़ों के त्योहारों और मेलों में भी दिखने लगा है। कांडा के धौलीनाग मंदिर ऋषि पंचमी पर लगने वाला ऐतिहासिक मेला इस बार नहीं हो पाएगा। मंदिर कमेटी के द्वारा मेला आयोजन के लिये प्रशासन से अनुमति मांगी थी। प्रशासन ने कोरोना महामारी के मद्देनजर मेले की अनुमति देने से साफ इनकार कर दिया। मिल रही जानकारी के अनुसार सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मंदिर में पूजा अर्चना होगी। प्रसाद वितरण भी किया जायेगा, बस भीड़ लगाने की अनुमति नहीं होगी। ऐतिहासिक मेला ना होने से क्षेत्रीय लोगों व व्यापारियों में काफी निराशा है।

एक नजर ऐतिहासिक धौलीनाग मंदिर

धौलीनाग मंदिर उत्तराखण्ड राज्य के बागेश्वर जनपद में धौलीनाग देवता को समर्पित एक पुराना मंदिर है। धौलीनाग मंदिर विजयपुर के पास एक पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है। धौलीनाग मंदिर मे रोजाना पूजा होती है और कुछ खास दिनों मे बहुत भीड़-भाड़ होती है, मुख्य रूप से नवरात्रि के दौरान तो यह भक्तों से भरा रहता है। प्रत्येक ऋषि पंचमी को मंदिर में मेला लगता है।

पंचमी मेला यहां का एक बहुत प्रसिद्ध और पुराना है, स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने कालियनाग को यमुना छोड़कर चले जाने को कहा था, तो उसने उन्हें बताया कि उनके वाहन गरुड़ के डर के कारण ही वह यमुना में छुपा बैठा था।इस पर कृष्ण ने उसके माथे पर एक निशान बनाकर उसे उत्तर में हिमालय की ओर भेज दिया।कालियनाग कुमाऊँ क्षेत्र में आया, तथा शिव की तपस्या करने लगा।स्थानीय लोगों की कई प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा करने पर उसे कुमाऊं क्षेत्र में भगवान का दर्जा दिया जाने लगा।

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