Almora : आशा फेसिलेटरों की सुध लेने को तैयार नहीं सरकार, यह हैं प्रमुख मांगें…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा आशा फेसिलेटरों ने यहां सम्मानजनक मानदेय, यात्रा भत्ता सहित विभिन्न लंबित मांगों को लेकर डीएम के माध्यम से शासन को ज्ञापन भेजा।…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

आशा फेसिलेटरों ने यहां सम्मानजनक मानदेय, यात्रा भत्ता सहित विभिन्न लंबित मांगों को लेकर डीएम के माध्यम से शासन को ज्ञापन भेजा। उन्होंने शासन पर आशा फेसिलेटरों की सुध नहीं लेने का आरोप लगाया।

धरनास्थल पर हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान में आशा फैसिलेटर एनएचएम के अंतर्गत फील्ड वर्कर के पद पर कार्यरत हैं। जो पूर्व में वर्ष 2006 से 2010 तक आशा के पद पर थीं तथा शासनादेश आने पर योग्यतानुसार उनकी नियुक्ति फैसलिटेटर के पद पर हुई। फेसिलेटरों का कार्य 15 से 30 आशाओं व 12 से 15 ग्राम सभाओं/पंचायतों को देखना होता है, लेकिन मानदेय की न्यूनतम मजदूरी 20 विजिट के आधार पर दी जाती है, जबकि काम पूरे माह लिया जाता है।

साथ ही वह राष्ट्रीय कार्यक्रमों में प्रतिभाग भी करते हैं, जैसे कोविड ड्यूटी। उन्हें आशा व फेसिलेटर के रूप में विभाग में सेवा करते हुए 15 वर्ष बीत चुके हैं। इसके बावजूद शासन ने उनकी कोई सुध नहीं ली है और न ही समस्याओं का निराकरण किया है।

उन्होंने कहा कि प्रमुख मांगों में कार्य व परिश्रम को देखते हुए 20 दिन मोबलिटि के स्थान पर 30 दिन का निश्चित मानदेय दिया जाए, क्योंकि आशा फैसलिटेटरों द्वारा क्षेत्र में पूरे माह काम किया जाता है। कोविड -19 में किये गये कार्यों हेतु सम्मान जनक मानदेय दिया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड एक पर्वतीय क्षेत्र होने के साथ ही अति दुर्गम है। ऐसे में आवागमन के साधन उपलब्ध नहीं होते हैं, जिससे यात्रा में
आशा फैसिलेटरों को अत्यन्त कठिनाई होती है। अत: यात्रा भत्ता भी दिया जाये। उन्होंने कहा कि महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थय एवं परिवार कल्याण द्वारा वृद्धि का प्रस्ताव शासन को प्रस्तुत किया है, किन्तु उक्त पत्र में राशि का कोई उल्लेख नही है।

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