ब्रेकिंग न्यूज : उत्तराखंड में अब तक का सबसे बड़ा कोरोना ब्लास्ट, एक मुश्त बीस कोरोना संक्रमितों की पुष्टि, 173 पहुंचा आंकड़ा, एक पाजिटिव की मौत लेकिन…

देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना का अब तक का सबसे बड़ा धमाका हुआ है। आज सुबह से अब तक कोरोना के बीस मरीज सामने आ चुके…


देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना का अब तक का सबसे बड़ा धमाका हुआ है। आज सुबह से अब तक कोरोना के बीस मरीज सामने आ चुके हैं। हैरत वाली बात यह है कि अब तक कोरोना से अछूते चल रहे चंपावत और पिथौरागढ़ में ही कुल नौ कोरोना पीढ़ित मिले हैं। अल्मोड़ा में तीन, देहरादून,नैनीताल व पिथौरागढ़ में दो—दो, हरिद्वार में एक और उत्तरकाशी में कोरोना के तीन मरीज सामने आए हैं। इस तरह अब प्रदेश में कोरोना पीड़ितों की संख्या 173 हो गई है। इस बीच एम्स ऋषिकेष में भर्ती एक कोरोना मरीज की मौत भी हो गई है लेकिन एम्स ने दावा किया है कि उसकी मौत का कारण कोरोना नहीं है।
प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने अल्मोड़ा जिले में 22, 39 और 45 वर्षीय तीन पुरुषों में कोरोना टेस्ट पाजिटिव आने की पुष्टि की है। इनके सेंपल जीएसएम रानीखेत से भेजे गए थे।
इसके अलावा चंपावत जिले में 27,23,22,24,32,47 और 39 साल के पुरुषों में कोरोना का टेस्ट पाजिटिव आया है। इन सभी के सैंपल कंबाइंड हास्पिटल टनकपुर से भेजे गए थे। इन कोरोना
मरीजों की पुष्टि एसटीएच हल्द्वानी स्थित वायरोलॉजी लैब से हुई है।

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हरिद्वार के रुड़की में कोरोना का एक मरीज कोरोना पाजिटिव पाया गया है। देहरादून जिले में 35 और 32 साल के दो युवकों के कोरोना टेस्ट पाजिटिव आए हैं। इनका सैंपल एम्स ​ऋषिकेश में ही लिया गया था।
नैनीताल में रामनगर और नैनीताल शहर में 33 और 31 वर्षीय दो पुरुष मरीज कोरोना पाजिटिव मिले हैं। इनके सेंपल आरडी जोशी चिकित्सालय रामनगर और बीडीपांडे चिकित्सालय नैनीताल से एसटीएच हल्द्वानी भेजे गए थे।
पिथौरागढ़ में 33 और 31 वर्षीय दो पुरुष मरीज भी पाजिटिव मिले हैं। इनके सैंपल कोरोना प्राइमरी सेंटर पिथौरागढ़ से जांच के लिए एसटीएच हल्द्वानी की वायरालौजी लैब भेजे गए थे।
उत्तरकाशी में 26,26 और 23 वर्षीय तीन पुरूष मरीज पाजिटिव मिले हैं। इनके सैंपल जिला चिकित्सालय से एम्स ऋषिकेश भेजे गए थे। इस तरह प्रदेश में कुल कोरोना मरीजों की संख्या 173 हो गई है।
इसके अलावा एक महिला मरीज की एम्स में मौत भी हुई है लेकिन एम्स प्रशासन का दावा है कि उसकी मौत का कारण कोरोना नहीं बल्कि टाइप टू रेसीपेरोटरी फेल्योर था।

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