किच्छा न्यूज़ : किसानों के लिए जो हरियाणा सरकार ने मॉडल प्रस्तुत किया है वह उत्तराखंड में लागू हो – डॉ. गणेश उपाध्याय

किच्छा/पंतनगर। पूर्व दर्जा राज्यमंत्री तथा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता डॉ. गणेश उपाध्याय ने कहा कि वर्तमान में सरकार द्वारा किसानों के लिए सामान्य धान का मूल्य…


किच्छा/पंतनगर। पूर्व दर्जा राज्यमंत्री तथा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता डॉ. गणेश उपाध्याय ने कहा कि वर्तमान में सरकार द्वारा किसानों के लिए सामान्य धान का मूल्य 1868 रुपया प्रति क्विंटल व प्रथम ग्रेड की धान का मूल्य 1888 प्रति कुंतल रखा गया है तथा उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा सरकार द्वारा धान खरीद के लिए जो मॉडल प्रस्तुत किया गया है, उस मॉडल को किसान हित में उत्तराखंड में लागू किया जाना चाहिए।

जारी बयान में डॉ. उपाध्याय ने कहा कि किसान होने के नाते गेहूं खरीद तथा भुगतान में आ रही दिक्कतों को लेकर उन्होंने माननीय उच्च न्यायालय में शरण ली थी, जिसके बाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार को 48 घंटे से लेकर 7 दिनों के भीतर फसल भुगतान देने के कड़े निर्देश जारी किए। उन्होंने कहा कि किसान की स्थिति लगातार बद से बदतर होती जा रही है और अपनी ही फसल का भुगतान लेने के लिए न्यायालय की शरण लेने को मजबूर होना पड़ रहा है, यह स्थिति देश तथा राज्य के लिए शुभ संकेत नहीं है।

डॉ. उपाध्याय ने कहा कि बढ़ती महंगाई के बीच सरकार द्वारा जारी किया गया धान का समर्थन मूल्य काफी कम है, जबकि मात्र डीजल के दाम 20 प्रतिशत अधिक बढ़ने से ही किसान की प्रति एकड़ फसल की पैदावार में 6000 रुपए लागत में बढ़ोतरी हुई है, जबकि खाद, कीटनाशक दवाइयां, जुताई, थ्रेशिंग व मजदूरी बढ़ने के साथ-साथ जीएसटी की जबरदस्त मार भी किसानों पर पड़ रही है।

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उन्होंने कहा कि खेत की दवाइयों में 18 प्रतिशत जीएसटी, ट्रैक्टर पर खरीद पर 28 प्रतिशत जीएसटी, बीजों पर 12 प्रतिशत जीएसटी व कृषि यंत्रों पर 28 प्रतिशत जीएसटी का सामना किसानों को करना पड़ रहा है और डीजल के दाम में कई गुना जीएसटी बढ़ने से हर क्षेत्र में महंगाई बढ़ी है। उपाध्याय ने कहा कि किसान के अनाज में 28% जीएसटी जोड़ कर मूल्य का निर्धारण करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा घोषित किए गए सामान्य धान के 1868 रुपया प्रति कुंटल के मूल्य में 28% जीएसटी जोड़कर धान का मूल्य 2391 रुपया प्रति कुंटल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के साथ धोखा कर रही है, जब देश का किसान हर कृषि संबंधित वस्तु पर जीएसटी दे रहा है, तो उसको भी फसल में जीएसटी जोड़ कर भुगतान देने की व्यवस्था की जानी चाहिए।

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