ये ‘इलेक्ट्रिक मशरूम’ रात में छोड़ते हैं रोशनी

भारत में एक नई प्रजाति का मशरूम मिला है. इसकी खासियत ये है कि ये रात में चमकता है. वैज्ञानिकों ने रोरिडोमाइसेस फाइलोस्टैचिडिस (Roridomyces phyllostachydis)…

भारत में एक नई प्रजाति का मशरूम मिला है. इसकी खासियत ये है कि ये रात में चमकता है. वैज्ञानिकों ने रोरिडोमाइसेस फाइलोस्टैचिडिस (Roridomyces phyllostachydis) नाम दिया है. इसे सबसे पहले मेघालय के ईस्ट खाली हिल्स जिले के मॉवलीनॉन्ग (Mawlynnong) में एक जलस्रोत के पास देखा गया था. इसके बाद यह वेस्ट जंतिया हिल्स के क्रांग सुरी में भी दिखाई दिया.

अब मेघालय के जंगलों में मिली मशरूम की यह प्रजाति दुनिया के 97 चमकने वाले मशरूमों की सूची में शामिल हो चुकी है. इसे भारतीय और चीनी वैज्ञानिकों के एक समूह ने खोजा है. ये लोग असम में मॉनसून के बाद जंगलों में फंगस की प्रजातियों पर शोध कर रहे थे. स्थानीय लोगों के मुंह से इलेक्ट्रिक मशरूम के बारे में सुनने के बाद वैज्ञानिक मेघालय पहुंचे.

रात के अंधेरे में बारिश के बीच जब साइंटिस्ट मेघालय के जंतिया हिल्स और खासी हिल्स के जंगलों में पहुंचे तो इन चमकते हुए मशरूम्स को देख कर हैरान रह गए. ऐसे मशरूम्स को बायो-ल्यूमिनिसेंट मशरूम कहते हैं. रात के अंधेरे में यह हल्के नीले-हरे और बैंगनी रंग में चमकता दिखाई दिया है. रात में चमकने वाले ये मशरूम्स दिन में साधारण मशरूम की तरह दिखते हैं.

वन्य जीव विशेषज्ञ गौतम बरुआ कहते हैं मशरूम की इस प्रजाति को रोरिडोमाइसेस फाइलोस्टैचिडिस (Roridomyces phyllostachydis) कहते हैं जो रात में हल्की रोशनी छोड़ता है. यह मशरूम रात में रोशनी इसलिए छोड़ता है ताकि इसपर मौजूद बीजाणु (Spores) कीड़ों के जरिए जंगल में अन्य जगहों पर फैल जाएं और इस मशरूम की तादात बढ़े. मेघालय में ये मशरूम बांस के जंगलों में बांस की जड़ों के पास उगते हैं.

मेघालय के अलावा ये मशरूम्स केरल और गोवा में भी दिखाई पड़े हैं. रोशनी छोड़ने वाले ये मशरूम अपनी आबादी को बढ़ाने के लिए कीड़ों द्वारा जंगलों में फैलते हैं. इससे वे पौधों की छाल, तने, जमीन, से नमी लेकर पनपते हैं. यह एक खास प्रकार का कवक (Fungi) होता है. अब तक रोशनी छोड़ने वाले मशरूम्स की 97 प्रजातियों का पता चला है.

इन्हें जंगल में पनपने के लिए पर्याप्त नमी की जरूरत होती है. साथ ही तापमान 21 डिग्री सेल्सियस से 27 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. मेघालय, केरल और गोवा में इनकी तादाद बारिश के मौसम में काफी ज्यादा बढ़ जाती है. इन्हें खोजना बहुत मुश्किल नहीं होता लेकिन आपको जंगल में रात के समय घूमना होता है.

साल 2015 के एक अध्ययन के मुताबिक चमकने वाले मशरूम की एक प्रजाति नियोनोथोपैनस गार्डनेरी (Neonothopanus gardneri) मिली थी जो नारियल के पेड़ के नीचे पाई जाती थी. इस प्रजाति के मशरूम में मौजूद एंजाइम्स की वजह से ये रात में तेजी से चमकते हैं और दिन में साधारण मशरूम की तरह दिखते हैं. इसके बाद ऐसे चमकने वाले मशरूम्स की खोज शुरू कर दी गई थी.

साभार- आज तक

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