किसान भाइयों के लिए : कदन्न फसलों में उर्वरक प्रयोग में ध्यान देने योग्य बातें

खरीफ के मौसम में कई किसान मंडुआ और मादिरा में रासायनिक उर्वरक यूरिया एवं एन पी के का प्रयोग करते हैं। साधारणतया इन फसलों की…

खरीफ के मौसम में कई किसान मंडुआ और मादिरा में रासायनिक उर्वरक यूरिया एवं एन पी के का प्रयोग करते हैं। साधारणतया इन फसलों की बुवाई शुष्क अवस्था में की जाती है। जैसे कि उत्तराखंड में प्रचलन है कि मंडुआ की बुवाई बिना जुताई के सीधे की जाती है। ऐसी अवस्था में उर्वरक का प्रयोग करने पर उर्वरक या तो अधिक गहराई पर रह जाता है या उर्वरक बीज के संपर्क में आने से बीज के प्रभावित होने की आशंका बनी रहती है। ऐसी स्थिति में मंडुआ, मादिरा में उर्वरक का प्रयोग गुड़ाई के समय कैसे किया जाए, इस संबंध में किसान भाइयों को विशेष ध्यान रखना चाहिए।

यदि बुवाई बिना जुताई फर्टी सीड ड्रिल के माध्यम से की जाती है तो उर्वरक बुवाई के समय बीज से लगभग 4 सेंटीमीटर नीचे उसी पंक्ति में अथवा पास में डाला जा सकता है।
चूँकि फास्फोरस धारी उर्वरकों की फसल की प्रारंभिक अवस्था में अधिक आवश्यकता होने के कारण इनकी बुवाई के समय ही प्रयोग की अनुशंसा की जाती है अतः उचित नमी होने पर जून के प्रथम पखवाड़े में उर्वरक बुवाई के साथ डाले जा सकते हैं।
शुष्क बुवाई की दशा में 10 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद का प्रयोग कर बुवाई की जा सकती है।
शुष्क दशा में उर्वरक के साथ बुवाई करने में फसल उत्पादन में प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका रह सकती है। ऐसी दशा में गुड़ाई के समय उर्वरकों का प्रयोग करने की दशा में निम्न सावधानियां रखनी आवश्यक हैंः

– बुआई के 30 से 35 दिन में ही गुड़ाई की जाए जिसमें अधिक से अधिक लाभ लिया जा सके।

– भूमि में नमी की उचित मात्रा हो तथा उर्वरक मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाए।


डाॅ० बृज मोहन पांडेय, प्रधान वैज्ञानिक (सस्य विज्ञान), फसल उत्पादन विभाग, भा०कृ०अनु०प० – विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा- 263 601, (उत्तराखंड)

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