किसान भाईयों के लिए — रबी की फसल कटाई, गुढ़ाई, निराई से पूर्व इन बातों का रखें खास ध्यान, यह है कृषि वैज्ञानिकों की सलाह…..

भण्डारणः फसल की गहाई के बाद प्राप्त उपज या दानों को सबसे पहले धूप में अच्छी तरह सुखा लें। सफाई (क्लीनिंग) और श्रेणीकरण (ग्रेडिंग) करके…


भण्डारणः
  1. फसल की गहाई के बाद प्राप्त उपज या दानों को सबसे पहले धूप में अच्छी तरह सुखा लें।
  2. सफाई (क्लीनिंग) और श्रेणीकरण (ग्रेडिंग) करके इसमें से रोग ग्रस्त, बदरंग, कीटग्रस्त, सिकुड़े एवं अन्य फसलों के दानों, फसल के ठन्ठल/कचरा और खरपतवारों के बीजों को निकाल देना चाहिए।
  3. जहाँ तक हो सके दानों को नए बोरों में भरकर ही भण्डारण करें। अगर पुराने बोरों का प्रयोग करना हो तों प्रयोग करने से पहले पुराने बोरों को उबलते पानी में धोकर तेज धूप में सुखा लें। पुराने बोरों को मैलाथियान 50 ई॰सी॰ के 0.1 प्रतिशत घोल में भिगोकर भी कीडा़ें एवं सूक्ष्मजीवों से मुक्त किया जा सकता है। आजकल लोहे एवं प्लास्टिक की टंकियां भी अनाज के भण्डारण हेतु उपलब्ध है।
  4. दाने भरने के बाद बोरों कीे अच्छी तरह सिलाई कर दें या बोरों का मुंह कसकर बांध दें।
  5. जिस कमरे या गोदाम में भण्डारण करना हो उसे भण्डारण से पहले अच्छी तरह साफ कर लें और अगर फर्श, दीवारों या छत में सुराख, दरारें या चूहों के बिल हो तो उन्हें सीमेंट से बन्द कर दें।
  6. कमरे या गोदाम में बोरों को रखते समय या बोरों का ढेर लगाते समय बोरों और दीवार के बीच लगभग 1.5 से 2 फुट का फासला रखें। यह फासला इसलिए रखा जाता है ताकि रिसाव के कारण होने वाली नमी से दानों को होने वाले संभावित नुकसान से बचाया जा सके।
    भण्डारण के दौरान समय-समय पर निरीक्षण करते रहना चाहिए क्योंकि अगर कोई कीडा़ लग जाता है तो वह ये कीड़े न केवल अनाज की मात्रा में कमी करते हैं, बल्कि उनके पौष्टिक गुण भी नष्ट कर देते हैं। ये कीड़े बीज के अंकुरण पर भी बुरा प्रभाव डालते हैं।

— डाॅ० शेर सिंह, प्रधान वैज्ञानिक (सस्य विज्ञान), फसल उत्पादन विभाग, भा०कृ०अनु०प० विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान
अल्मोड़ा – 263 601, (उत्तराखंड)

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