रुद्रपुर ब्रेकिंग: एसएचओ को पांच लाख की रिश्वत देने की कोशिश करने वाले दिल्ली के तीन लोगों को 5-5 साल की कैद

रुद्रपुर। दिनेश पर के थाना प्रभारी को रिश्वत देने के एक मामले में तीन आरोपियों को पांच साल बाद भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विशेष अदालत…

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रुद्रपुर। दिनेश पर के थाना प्रभारी को रिश्वत देने के एक मामले में तीन आरोपियों को पांच साल बाद भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विशेष अदालत ने पांच-पांच साल की सजा सुनाई है। तीनों आरोपियों को दस—दस हजार का जुर्माना भी सुनाया गया है, जुर्माना अदा न करने पर उन्हें तीन तीन महीनों की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने बताया कि यह मामला 13 सिंतबर 2015 को यह मामला दर्ज किया गया था।

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मिली जानकारी के अनुसार 13 सितंबर 2015 को तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी बाजपुर राजीव मोहन को दिनेशपुर के थाना अध्यक्ष उप निरीक्षक रजत रजत कसाना ने टेलीफोन पर सूचना दी थी कि दिनेशपुर में पंजीकृत एक मामले की वे जांच कर रहे हैं। विवेचना के दौरान प्रकाश में आए आरोपी रविंद्र को बचाने के लिए तीन व्यक्ति उन्हें पांच लाख रुपये की रिश्वत जबरदस्ती देना चाह रहे हैं। कसाना ने बताया था कि तीनों को उन्होंने हिरासत में ले लिया है। सूचना प्राप्त होने पर राजीव मोहन दिनेशपुर पहुंचे। जहां एसआई जगदीश राम, एसआई गिरीश चंद, कॉन्स्टेबल बलवंत सिंह व नंद किशोर व थानाध्यक्ष रजत कसाना तीन व्यक्ति अन्य व्यक्तियों रेल विहार अल्फा ग्रेटर नोएडा राधेश्याम पुत्र रमाकांत,2 ग्रेटर नोएडा निवासी रवि शंकर मिश्रा पुत्र जितेंद्र तथा बीटा प्रथम ग्रेटर नोएडा निवासी मोहन द्विवेदी पुत्र सुरेंद्र सिंह भी मौजूद थे। इसके अलावा स्थानीय व्यक्ति अनादि मंडल व इंद्रपाल भी वहां मौजूद थे। तीनों अभियुक्तों से पूछताछ करने पर उन्होंने बताया कि हम रविंद्र से संबंधित मुकदमे में उसका नाम हटाने के लिए जांच अधिकारी रजत कसाना को रिश्वत देने के लिए आए थे। रविंद्र पकड़े राधेश्याम का भाई है। नियमानुसार उनकी तलाशी लिए जाने पर राधेश्याम से 500रुपयों की एक गड्डी, रविशंकर के पास से 500 की 2 गड्डियां और मोहन के पास से 500 की 2 गड्डियां बरामद हुई।

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इन्हें पुलिस ने अलग-अलग सीज कर दिया था। मौके पर कार्यवाही करने के उपरांत पुलिस क्षेत्राधिकारी राजीव मोहन ने रुद्रपुर थाने में अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। मामले की जांच तत्कालीन क्षेत्राधिकारी बीएस चौहान द्वारा की गई और अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया। अभियोजन की ओर से इस मामले में जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने पैरवी की। इस दौरान उन्होंने अपने तथ्यों को साबित करने के लिए 7 गवाह पेश किए। जबकि जनता के साक्ष्य के रूप में रंजन मंडल को अभियोजन पक्ष के साक्ष्य के रूप में पेश किया गया था। उसके द्वारा अभियोजन तथ्यों का समर्थन ना करने के कारण उसे पक्षद्रोही घोषित कर दिया गया।

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जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील शर्मा ने यह भी तर्क रखा कि अभियुक्तों द्वारा एक ईमानदार छवि के पुलिस अधिकारी को पांच लाख रुपये की रिश्वत देने की गंभीर घटना सामने आई और मौके से रिश्वत में दिए जाने वाले नोट भी बरामद हुए हैं। आज विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम एवं सत्र न्यायाधीश नैनीताल राजीव कुमार खुल्बे ने अपने आदेश में तीनों आरोपियों राधेश्याम, रविशंकर मिश्रा व मोहन द्विवेदी को इस मामले में दोषी ठहराते हुए 5—5 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। उनपर 10—10 हजार रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया गया है। अर्थदंड जमा करने पर उन्हें 3 माह के कारावास की सजा भुगतनी होगी। तीनों अभियुक्तों को न्यायिक हिरासत में लेकर सजा भुगतने के लिए जेल भेज दिया गया है।

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