देहरादून न्यूज : वेबीनार के माध्यम से बच्चों ने जाना प्रकृति और मानवीय सभ्यता का संबंध

देहरादून। भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद एवं केन्द्रीय विद्यालय संगठन और नवोदय विद्यालय के बीच प्रकृति कार्यक्रम के अंतर्गत समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के…

देहरादून। भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद एवं केन्द्रीय विद्यालय संगठन और नवोदय विद्यालय के बीच प्रकृति कार्यक्रम के अंतर्गत समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के तहत आज केन्द्रीय विद्यालय एवं नवोदय विद्यालय के शिक्षकों के लिए ऑनलाइन वेबीनार का आयोजन किया गया। इसमें वन अनुसंधान संस्थान के अधिकार क्षेत्र में आने वाले विभिन्न केन्द्रीय विद्यालय एवं नवोदय विद्यालय जैसे हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के 143 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
वन अनुसंधान संस्थान के विस्तार प्रभाग की प्रभाग प्रमुख ऋचा मिश्रा ने सभी का स्वागत करते हुए ऑनलाईन प्रशिक्षण के विषय में विस्तार से जानकारी दी। उसके पश्चात निदेशक, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून अरुण सिंह रावत ने प्रशिक्षण का औपचारिक उद्घाटन किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षकगण वन अनुसंधान संस्थान द्वारा वन और पर्यावरण पर चल रहे अनुसंधान कार्यो से अपडेट रहें तथा प्राप्त ज्ञान से अपनी युवा पीढ़ी को लाभान्वित करें।
इस वेबीनार में तीन संवादात्मक व्याख्यान प्रस्तुत किए गए। पहला व्याख्यान प्रमुख, वनस्पति प्रभाग डा. अनुप चन्द्रा, द्वारा ‘‘जैव विविधता एवं संरक्षण’’ संबंधी मुद्दों पर दिया गया, जो देश के विभिन्न हिस्सों में मौजूद वनस्पतियों का एक विस्तृत विवरण है। उन्होंने बताया कि वनस्पति प्रभाग में भौतिक और डिजिटल रूप में पौधों के विशाल संग्रह हैं। दूसरा व्याख्यान डा0 हुकुम सिंह, वैज्ञानिक-सी, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन प्रभाग ने प्रस्तुत किया ‘‘ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन और शमन’’ पर दिया गया। उन्होंने अपने व्याख्यान में कहा कि ग्रीन हाउस गैसें पर्यावरण एवं जीव पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला है। आगे उन्होंने उल्लेख किया कि कुछ शहरों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक है। तीसरा और अंतिम व्याख्यान डा0 ए.के. पाण्डेय, वैज्ञानिक-जी और सहायक महानिदेशक ने कदया। इसमें आम जीवन में उपयोग होने वाले औषधीय पौधों का विवरण दिया गया। उन्होंने अपने व्याख्यान में कहा कि हमारी रसोई स्वयं एक आयुर्वेदिक अस्पताल है जहाँ मसाले के रूप में उपयोगी आयुर्वेदिक सामग्री उपलब्ध है। उन्होंने 15 से अधिक औषधीय जड़ी-बूटियों और उनके पारंपरिक उपयोग के औषधीय गुणों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक उपचार कोविड-19 महामारी में सहायक हो सकता है यदि एहतियाती उपाय किए जाएं, क्योंकि अधिकांश जड़ी-बूटियां हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं।
डा. देवेन्द्र कुमार, वैज्ञानिक-ई, विस्तार प्रभाग द्वारा कार्यक्रम संचालन किया गया और अंत में उन्होंने ही धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। विस्तार प्रभाग से डा. चरण सिंह, वैज्ञानिक-ई, रामबीर सिंह, वैज्ञानिक-डी, रमेश सिंह, सहायक, यतार्थ दुलगचा, एमटीएस और अनिल, लैब सहायक और प्रभाग के अन्य कर्मचारी साथ ही केन्द्रीय विद्यालय एवं नवोदय विद्यालय के शिक्षकों ने वेबीनार में अपना योगदान देकर कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।

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