Uttarakhand : शिक्षा सचिव ने दिए विद्यालयों को ये निर्देश, आदेश जारी

देहरादून। कोरोना महामारी के संक्रमण के कारण बच्चों की सुरक्षा की दृष्टि से शैक्षिक सत्र 2020-21 में विद्यालय शैक्षिक सत्र के प्रारम्भ से ही बंद…

देहरादून। कोरोना महामारी के संक्रमण के कारण बच्चों की सुरक्षा की दृष्टि से शैक्षिक सत्र 2020-21 में विद्यालय शैक्षिक सत्र के प्रारम्भ से ही बंद रहे तथा शैक्षिक सत्र 2021-22 में प्राथमिक स्तर के विद्यालयों को बच्चों की भौतिक उपस्थिति के साथ दिनांक 21.09.2021 से संचालित करने की अनुमति दी गई है। विद्यालयों के बन्द रखे जाने से छात्र-छात्राओं का अधिगम अत्यधिक प्रभावित हुआ है तथा इसका सबसे अधिक प्रभाव प्राथमिक स्तर के बच्चों पर पड़ा है क्योंकि इस स्तर पर बच्चों के लिए ऑनलाइन/ऑफलाइन शिक्षण अधिगम की व्यवस्था संसाधनों के अभाव में पठन-पाठन, सुनियोजित ढंग से नहीं हो पायी है। बच्चों के लिए नियोजित शिक्षा व्यवस्था एवं शैक्षिक वातावरण न होने से बच्चों का अधिगम ह्रास (Learning Loss) अपेक्षा से अधिक होना स्वाभाविक है, जिसका अनुभव विद्यालयों के निरीक्षण के दौरान स्वयं मेरे द्वारा भी देखा गया है।

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2 – वर्तमान में प्राथमिक विद्यालय बच्चों के लिए भौतिक रूप में खोल दिये गये हैं। यह उचित होगा कि इस समय जो भी अधिगम ह्रास हुआ है उसकी पूर्ति की जाय। इसके लिए यह आवश्यक है कि शैक्षिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु कुछ कदम उठाने की आवश्यकता है। जैसे

• अधिगम ह्रास की पूर्ति हेतु छात्र छात्राओं के पढ़ने-लिखने पर ध्यान दिया जाय।

• प्रत्येक विद्यालय में कक्षावार तथा विषयवार सीखने के प्रतिफल विद्यालय में पोस्टर, फ्लैक्स व पेन्ट द्वारा स्कूल भवन एवं चाहरदीवारी में प्रदर्शित किये जायें। ताकि प्रत्येक विद्यालय में अनिवार्य रूप से सीखने के प्रतिफल प्राप्त करने पर ही फोकस किया जाय। इस हेतु विद्यालय विकास अनुदान का उपयोग किया जाय।

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• प्रत्येक छात्र/छात्राओं के पास पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध हों। साथ ही कक्षा 1 से 8 तक के छात्र-छात्राओं के पास गतिविधि पुस्तकें भी उपलब्ध हों। जो छात्र कक्षा में नहीं आ रहे हैं, उन्हें ऑनलाईन पढ़ाया जाय अन्यथा ऐसे छात्र / छात्राओं के लिए नियमित वर्कशीट की व्यवस्था की जाय।

• शिक्षक विद्यालय में शैक्षिक गतिविधि एवं छात्रों पर अधिक ध्यान दें ताकि अधिगम हास को कम किया जा सके। प्रतिदिन पाठ्यक्रम के अनुसार गतिविधि कराकर पढ़ाया जाय तो बच्चे अधिक रूचि लेकर पढ़ेंगे।

• प्रत्येक माह के अन्तिम शनिवार को पी.टी.एम. का आयोजन किया जाय। छात्रों की प्रगति से अभिभावकों को अवगत कराया जाय।

• यह सुनिश्चित कर लिया जाय कि शैक्षिक सत्र की समाप्ति से पूर्व निर्धारित पाठ्यक्रम पूर्ण हो, इसके लिये विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर ली जाय। जिसका नियमित रूप से मण्डल, जनपद, डायट एवं विकासखण्ड स्तरीय अधिकारी निरीक्षण, अनुश्रवण कर सुधार हेतु अनुसमर्थन प्रदान करें।

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3 – विद्यालयों के निरीक्षण में देखा गया है कि शिक्षकों के द्वारा प्राथमिक स्तर पर बच्चों के ऑफलाइन / ऑनलाइन शिक्षण अधिगम का प्रयास तो किया गया है, लेकिन यह न तो व्यवस्थित है और न ही सुनियोजित ढंग से संचालित किया जा रहा है। विद्यालयों के निरीक्षण में यह भी देखा गया है कि बच्चों के लिए की गयी शिक्षण अधिगम व्यवस्था यथा वर्कशीट / गतिविधि पुस्तिका, ऑनलाइन शिक्षण सुविधा आदि सुनियोजित एवं इसमें निरन्तरता नहीं है, इसे एस.सी.ई.आर.टी. एवं डायट सुनियोजित ढंग से लागू करें।

4 – एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड एवं जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान स्तर से किये जाने वाले अनुश्रवण में यह सुनिश्चित किया जाय कि सम्बन्धित फैकल्टी द्वारा विद्यालय में आदर्श पाठ योजना के अनुसार स्वयं पढ़ाया जाय तथा शिक्षकों को भी आदर्श पाठ योजना के अनुसार शिक्षण करने हेतु प्रेरित किया जाय। फैकल्टी द्वारा विद्यालय में पढ़ाई गई आदर्श पाठ योजना का अभिलेखीकरण कर आख्या सम्बन्धित मण्डलीय अपर निदेशक को उपलब्ध कराई जाय।

5 – एस.सी.ई.आर.टी. एवं डायट न्यून सम्प्राप्ति वाले छात्र-छात्राओं की स्तरवार “सीखने के प्रतिफल” अनुसार शैक्षिक अनुसमर्थन देते हुए सूची तैयार कर इसके लिए नियोजित योजना सम्बन्धित संस्थान तैयार कर योजनानुसार छात्र-छात्राओं के अधिगम स्तर में अपेक्षित सुधार का विश्लेषणात्मक विषयवार आख्या तैयार करे, जिसकी महानिदेशालय स्तर से समीक्षा की जाये।

अतः उक्त के आलोक में प्राथमिक स्तर के बच्चों का अधिक अधिगम हास ( Learning Loss) की प्रतिपूर्ति हेतु ऑफलाइन/ऑनलाइन शिक्षण अधिगम के लिए योजना बनाते हुए उसका प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित कराया जाय।

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