उत्तराखंड दुःखद : अंगीठी की गैस से 11वीं के दो भाइयों की मौत, परिवार में कोहराम

नई टिहरी। उत्तराखंड में लगातार अंगीठी की गैस से लोगों की जाने जा रही है। बार-बार होने वाली इन घटनाओं के बाद भी लोग सबक…


नई टिहरी। उत्तराखंड में लगातार अंगीठी की गैस से लोगों की जाने जा रही है। बार-बार होने वाली इन घटनाओं के बाद भी लोग सबक नहीं ले रहे हैं। बीते कल जहां लोहाघाट में ऐसी ही घटना से एक महिला की मौत की दुःखद खबर आई थी, अब वहीं टिहरी में दो सगे भाइयों की जान गई है। बताया जा रहा है कि दोनों भाई एक ही स्कूल में कक्षा 11वीं में पढ़ते थे।

जानकारी के अनुसार, टिहरी जिले के विकास खंड भिलंगना के हिंदाव पट्टी के बगर ग्राम पंचायत में रात को अंगीठी की गैस बनने से दो सगे भाइयों की कमरे के अंदर मौत हो गई। पट्टी हिंदाव के ग्राम पंचायत बगर के चड़ोली तोक में बीते रात्रि को मकान सिंह नेगी के पुत्र अनुज (16 वर्ष) और आशीष (17 वर्ष) माता-पिता के साथ अंगीठी सेक रहे थे। कुछ देर खाना खाने के बाद दोनों भाई अधिक ठंड से बचने के लिए अपने कमरे में अंगीठी जलाकर कमरा बंद कर सो गए। सुबह देर तक दोनों भाइयों ने दरवाजा नहीं खोला तो पिता ने आवाज लगाई, लेकिन कमरे के अंदर से कोई जवाब नहीं मिला। News WhatsApp Group Join Click Now

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कोई जवाब ना मिलने पर उनके कमरे का दरवाजा तोड़ा गया। दरवाजा टूटते ही मां और पिता की पैरों तले जमीन खिसक गई। दोनों भाइयों को अपने अपने बेड पर मृत देख मां तो बेहोश हो गई, लेकिन पिता ने हिम्मत कर लोगों को बुलाया। लोगों ने देखा तो दोनों की मौत हो चुकी थी। जवान बेटों की मौत से परिवार में कोहराम मच गया और गांव में शोक का माहौल है।

डॉक्टरों के अनुसार, अंगीठी में कच्चे कोयले या लकड़ी का इस्तेमाल होता है। कोयला बंद कमरे में जल रहा हो तो इससे कमरे में कार्बन मोनोआक्साइड बढ़ जाता है और आक्सीजन का लेवल घट जाता है। कार्बन मोनोऑक्साइड में साँस लेने पर यह आपके सांस के साथ रक्त में चली जाती है और हीमोग्लोबिन (आपके शरीर के चारों ओर ऑक्सीजन ले जाने वाली लाल रक्त कोशिकाएं) के साथ मिलकर कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन बनाता है। जब ऐसा होता है, तो रक्त में ऑक्सीजन नहीं रहती है और ऑक्सीजन की कमी से शरीर की कोशिकाएं और ऊतक मर जाते हैं।

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सबसे दिक्कत वाली बात ये है कि, कार्बन मोनोऑक्साइड का पता लगाना मुश्किल है क्योंकि यह एक गंधहीन यानि कोई स्मेल नहीं आती, स्वादहीन और रंगहीन गैस है। इसका मतलब यह है कि आपको इसमें सांस लेने पर आपको इसका अहसास भी नहीं होगा। यानि इसे सूंघने वाले को पता भी नहीं होता कि वो ज़हरीली गैस ले रहा है और नींद में ही उसकी मौत हो जाती है। इसलिए इस गैस को साइलेंट किलर भी कहा जाता है।

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