YTDO संग कीजिए नेपाल में मुक्तिनाथ के दर्शन, हवाई यात्रा भी

Muktinath is a Vishnu temple, sacred to both Hindus and Buddhists. It is located in Muktinath Valley at the foot of the Thorong La mountain…

Muktinath is a Vishnu temple, sacred to both Hindus and Buddhists. It is located in Muktinath Valley at the foot of the Thorong La mountain pass in Mustang, Nepal.

सीएनई रिपोर्टर

सुप्रसिद्ध पर्यटन संस्था वाईटीडीओ टूर एंड ट्रेवल्स प्रथम बार नेपाल के प्रसिद्ध Tourist Destination मुक्तिनाथ के दर्शन कराने जा रहा है। यह आठ दिवसीय मुक्तिनाथ (मुस्तान्ग) नेपाल यात्रा 01 जून से 8 जून 2022 के मध्य होगी।

वाईटीडीओ के संचालक विजय मोहन सिंह खाती ने बताया कि यात्रा के अन्य आर्कषणों में पोखरा, पशुपतिनाथ (काठमांडू) की यात्रा तथा धनगड़ी से पोखरा, पोखरा से जोम सोम, जोमसोम से काठमांडू, धनगड़ी व हवाई यात्रा भी सम्मलित है।

उल्लेखनीय है कि मुक्तिनाथ वैष्णव संप्रदाय के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह तीर्थस्थान शालिग्राम भगवान के लिए प्रसिद्ध है। शालिग्राम दरअसल एक पवित्र पत्‍थर होता है जिसको हिंदू धर्म में पूजनीय माना जाता है। यह मुख्‍य रूप से नेपाल की ओर प्रवाहित होने वाली काली गण्डकी नदी में पाया जाता है। पारंपरिक रूप से भगवान विष्‍णु शालिग्राम शिला या शालिग्राम पत्‍थर के रूप में पूजे जाते हैं। इस पत्‍थर का निर्माण प्रागैतिहासिक काल में पाए जाने वाले कीटों के जीवाश्‍म से हुआ था, जो मुख्‍यत: टेथिस सागर में पाए जाते थे। जहां अब हिमालय पर्वत है।

एक रोचक पौराणिक मान्यता है कि शालिग्राम शिला में भगवान विष्‍णु का निवास होता है। इस संबंध में अनेक पौराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं। पुरानी दंत कथाओं के अनुसार मुक्तिक्षेत्र वह स्‍थान है, जहां पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहीं पर भगवान विष्‍णु शालिग्राम पत्‍थर में निवास करते हैं। मुक्तिनाथ बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए भी एक महत्‍वपूर्ण स्‍थान है।

आपको बता दें कि मुक्तिनाथ हेलिकॉप्‍टर के द्वारा पोखरा-मुक्तिनाथ मार्ग या जोमसोम मार्ग से भी एक दिन में जाया जा सकता है। इस मार्ग ने परंपरागत चढ़ाई के रास्‍ते को कुछ हद तक कम किया है, लेकिन आज भी आम लोग मुक्तिनाथ जाने के लिए चढ़ाई को ही प्राथमिकता देते हैं। चढ़ाई के समय दो अलग-अलग रास्‍ते मिलते हैं, जो काली गंडक नदी के पास तातोपानी नामक जगह पर जाकर आपस में मिल जाती है। रास्‍ते में आमतौर पर सभी जगहों पर रुकने के लिए निजी लॉज मिल जाते हैं। ये लॉज सभी तरह की मुलभूत सुविधाएं मुहैया कराते हैं। कई बार तो यात्रियों के लिए काफी बेहतर सुविधाएं भी उपलब्‍ध कराई जाती हैं। इन सबके बावजूद तीर्थ यात्रियों को अपने साथ स्लिपींग बैग भी जरूर ले जाना चाहिए ताकि किसी भी तरह के अतिरिक्‍त परेशानियों से बचा जा सके। यात्रा के दौरान मार्ग में पिट्ठू आसानी से उपलब्‍ध हो जाते हैं। इन पिट्ठुओं को यात्रियों के द्वारा ही भोजन दिया जाता है। चूंकि इस मार्ग का उपयोग विदेशियों के द्वारा भी किया जाता है, अत: यहां खाने की अच्‍छी व्‍यवस्‍था होती है। भोजन में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के भोजन उपलब्‍ध रहते हैं। इसके अलावा सीलबंद पानी भी आसानी से मिल जाता है। लेकिन सामान्‍यत: नेपाली शैली का भोजन दाल-भात आसानी से मिलता है। अगर आप गाइड रखना चाहते हैं तो वह भी मिल सकता है। यात्रा में जाने के इच्छुक लोग दूरभाष नंबर 05942-235557 पर संपर्क कर सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *