माणा गांव जिसे पहले देश का आखिरी गांव के रूप में जाना जाता था, लेकिन अब वह 'भारत का प्रथम गांव' के रूप में जाना जाएगा। माणा गांव उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है।

सीमा सड़क संगठन (BRO) ने 24 अप्रैल को उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत-चीन सीमा पर बसे सीमांत गांव माणा के प्रवेश द्वार पर ‘भारत का प्रथम गांव’(First Indian Village Mana) होने का साइन बोर्ड लगाया।

इसी गांव में भारत की आखिरी चाय की दुकान भी है। जिसे शायद अब भारत की पहली चाय की दुकान से जाना जा सकता है।

उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित माणा गांव से 24 किलोमीटर दूर चीन की सीमा शुरू हो जाती है। माणा गांव बद्रीनाथ से बमुश्किल तीन किलोमीटर दूर है। माणा समुद्र तल से 3219 मीटर की ऊंचाई पर बसा है।

हिमालय की पहाड़ियों से घिरे, सरस्वती नदी के तट पर बसे इस गांव का इतिहास हजारों साल पुराना है। माणा से जुड़ी कई कहानियां हैं।

कहते हैं माणा गांव का नाम 'मणिभद्र आश्रम' से लिया गया। मणिभद्र यक्ष देवता को गांव का संरक्षक देवता भी माना जाता है।

कहा जाता है कि पांडवों स्वर्ग की यात्रा के दौरान यहीं से गुज़रे थे। इस गांव में एक 'भीम पुल' भी है, मान्यता है कि इसे भीम ने ही बनाया था।