Big News : नई थ्योरी के आगे झुका WHO ! दोबारा बतायेगा कैसे फैलता है Corona, जल्द आ सकती है नई Guidelines

कोरोना महामारी से बचाव को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन अब जल्द ही नई गाइडलाइंस जारी कर सकता है। इसका सबसे अहम कारण यह है कि…


कोरोना महामारी से बचाव को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन अब जल्द ही नई गाइडलाइंस जारी कर सकता है। इसका सबसे अहम कारण यह है कि वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत किये गये कुछ प्रमाणों के बाद अब यह साबित हो चुका है कि यह घातक वायरस हवा के जरिये भी फैलता है। सबसे चौंकाने वाला तथ्य जो देखा गया है वह यह है कि एक लैबोरेटरी में कोरोना वायरस को तीन घंटों तक हवा में तैरता हुआ देखा जा चुका है।

पिछले साल से मौजूदा स्थिति में भिन्नता
ज्ञात रहे कि अब से एक साल पहले जब से world में यह संक्रमण फैला था और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा महामारी घोषित किया गया था। तब से संगठन यही कहता आया था कि इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि कोरोना हवा से भी फैलता है। अब अप्रैल माह में संगठन ने अपनी ही थ्योरी को बदलते हुए Corona infection की व्यापकता और शक्ति को स्वीकार कर लिया है।

ड्रॉपलेट और एयरोसोल में रहा मतभेद
साल 2019 में जब चीन से यह वायरस फैला तब से इसी सावल पर सबसे ज्यादा बहस हुई कि यह वायरस कैसे फैलता है ? अलग—अलग थ्योरी आती रही और पूरी world विश्व स्वास्थ्य संगठन पर आंख बंद कर भरोसा करती रही। आपको बता दें कि वैज्ञानिकों के बीच Droplets and aerosols को लेकर शुरू से मतभेद रहा है। अब तक ज्यादातर वैज्ञानिकों का मानना था कि छींकते, खांसते, गाते या बोलते हुए इंसान की नाक या मुंह से जो छींट या बूंदें निकलती हैं वह ड्रापलेट होती हैं। यानी उनका साइज 5 माइक्रोमीटर से ज्यादा होता है। उनमें Corona virus होने पर भी वह अपने वजन के चलते दो मीटर से ज्यादा दूर नहीं जा पाते हैं। Gravity के चलते नीचे गिर जाते हैं। यानी कोरोना हवा से नहीं फैलता है। One micrometer one meter का 10 लाखवां हिस्सा होता है। वहीं, Experts के दूसरे समूह का कहना है कि मुंह और नाक से निकलने वाले छींटों का आकार 5 माइक्रोमीटर से कम भी हो सकता है और वह हवा के साथ बहकर दूर तक जा सकते हैं। यानी Corona virus हवा से भी फैल सकता है।

अपनी ही बातों में एकरूप नही रहा WHO
जुलाई 2020 में कहा था, कोरोना वायरस के हवा से फैलने का कोई सबूत नहीं हैं। शुरुआती महीनों में तो WHO ने सभी को Masks पहनने के बजाय केवल संक्रमितों को मास्क पहनने की सलाह दी थी। जुलाई 2020 में स्वतंत्र हेल्थ एक्सपर्ट्स ने कहा था कि Corona virus हवा से भी फैलता है। उन्होंने WHO से कोरोना को हवा से फैलने वाली महामारी घोषित करने को कहा था। तब WHO की ओर से यह तो कहा गया कि कोरोना वायरस हवा से फैलता है, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता, मगर जल्द ही संगठन ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं।

अगर evidence नही मिलते तो Old theory पर ही कायम रहता WHO
जुलाई 2020 की गाइडलाइन में WHO इस बात पर कायम रहा कि कोरोना किसी संक्रमित से संपर्क में आने, उसके मुंह या नाक से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स यानी वायरस युक्त बूंदों और फोमिटीज यानी कपड़े, बर्तन, फर्नीचर आदि पर मौजूद वायरस से फैलता है। Corona फैलने की बहस में इसी साल अप्रैल में तब बड़ा मोड़ आया, जब Scientists के एक समूह ने मशहूर Medical journal the lancet में 10 सबूत के साथ दावा किया कि कोरोना वायरस हवा से भी फैलता है।

छह फीट Social Distancing से ही आप सेफ नही
वहीं, अमेरिका में MIT यानी मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की स्टडी में दावा किया गया है कि 6 फीट सोशल डिस्टेंसिंग के नियम के कोई मायने नहीं हैं। इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि छींकते या खांसते हुए मुंह या नाक से निकलने वाली Droplets इतनी छोटी होती हैं कि वे एयरोसोल बन जाती हैं। खासतौर पर बंद जगहों पर यह एक सुपर-स्प्रेडर का काम करते हैं। रिसर्च में America, China and Korea में इस तरह कोरोना फैलने की कई घटनाओं का जिक्र किया गया था।

Scientific facts of the lancet ने उड़ा दिये होश

बिना संपर्क में आये फैला कोरोना
इस बीच कई तरह के शोध व विश्लेषण भी हुए। होटलों में, जहां कुछ लोगों को क्वारंटीन किया गया था वहां इस बात के काफी record मिले कि बिना एक दूसरे से मिले या संपर्क में आए ही आस-पास के कमरों में ठहरे लोगों में एक दूसरे से Infection फैल गया। यह नतीजे सामने आये कि कोरोना के 33% से 59% मामले बिना लक्षण वाले संक्रमितों से फैलते हैं, जबकि वे छींकते और खांसते नहीं। यह इस बात का सबूत है कि The corona also spreads through the air.

खुले की बजाए बंद कमरों में ज्यादा खतरा
corona खुली जगह के मुकाबले बंद कमरों में ज्यादा तेजी से फैलता है। कमरों के खिड़की दरवाजे खोलने से फैलने की दर कम हो जाती है। मतलब कोरोना हवा से फैलता है।

PPE Kit भी नही बचा पाई
अस्पतालों में होने वाले इंफेक्शन पीपीई पहनने वाले Health Care Professionals में भी मिले हैं। वजह यह कि उनके PPE ड्रॉपलेट से बचने के लिए तो Design किए गए, लेकिन एयरोसोल से बचने के लिए नहीं।

हवा में तीन घंटे तक जिंदा रहने की ताकत
Experts ने कहा कि Laboratory में कोरोना Virus को तीन घंटों तक हवा में तैरता देखा जा चुका है। अस्पतालों और बिल्डिंगों में लगे एयर फिल्टर और डक्ट में भी कोरोना वायरस मिले हैं, ऐसी जगहों पर Aerosol के बिना वायरस नहीं पहुंच सकते। पिंजरों में बंद जानवरों तक कोरोना पहुंचना यह बताता है कि वायरस हवा से भी फैलता है।
So far no such theory has come to the fore, then dismiss the fact that the corona virus does not spread through the air.

Aerosolएक मी. से ज्यादा दूर तक जा सकते हैं
शोध में यह बात सामने आई है कि वायरस खराब वेंटिलेशन या भीड़ वाली बंद जगहों में भी फैल सकता है, जहां लोग लंबे समय तक रहते हैं, क्योंकि Aerosol हवा में एक मीटर से भी ज्यादा दूर तक जा सकते हैं। लोग उन सतहों को छूने से भी संक्रमित हो सकते हैं जो virus से दूषित हों और वे बिना हाथ साफ किए अपनी नाक, मुंह या आंख को छू लें।

दफ्तर—स्कूलों के बंद कमरों में खतरा
अब एयरोसोल के जरिए corona virus फैलने की बात मानने के बाद कोरोना से बचने के लिए नई गाइडलाइंस जोड़ी जा सकती हैं। खासतौर पर दफ्तर, घर, स्कूल-कॉलेज और मॉल जैसी बंद जगहों को लेकर नई सलाह सामने आ सकती हैं।

सार संक्षेप —
— सिद्ध हो चुका है कि कोरोना वायरस हवा के जरिए एक मीटर या छह फीट से भी दूर जा सकता है।

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