हिंदी हल्के में लेना पड़ा भारी, उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा में फेल हो गए 9,699 बच्चे

नैनीताल | उत्तराखंड बोर्ड ने गुरुवार 25 मई को हाईस्कूल व इंटरमीडिएट का रिजल्ट जारी किया। हाईस्कूल में टिहरी गढ़वाल के बीएचएसवीएम कांडीसौर छाम के…

हिंदी हल्के में लेना पड़ा भारी, उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा में फेल हो गए 9,699 बच्चे

नैनीताल | उत्तराखंड बोर्ड ने गुरुवार 25 मई को हाईस्कूल व इंटरमीडिएट का रिजल्ट जारी किया। हाईस्कूल में टिहरी गढ़वाल के बीएचएसवीएम कांडीसौर छाम के सुशांत चंद्रवंशी ने 99% अंक लाकर प्रदेश में पहला स्थान तो वहीं इंटरमीडिएट में उधम सिंह नगर जिले के सरस्वती विद्या मंदिर जसपुर की छात्रा तन्नू चौहान ने 97.60% अंकों के साथ उत्तराखंड टॉप कर प्रदेश का नाम रोशन किया है। सुशांत चंद्रवंशी के 495/500 और तन्नू चौहान के 488/500 अंक आए।

उत्तराखंड में हिंदी विषय में फेल हुए 9699 बच्चे

जबकि उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा (Uttarakhand Board Exam) में हिंदी को हल्के में लेना हजारों बोर्ड परीक्षार्थियों को भारी पड़ गया। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के प्रदेशभर में कुल 9699 बच्चे हिंदी विषय में फेल हो गए। इनमें High School में 3263 छात्र और 1721 छात्राएं और Intermediate में 2923 छात्र और 1792 छात्राएं शामिल हैं। विद्यार्थियों का हिंदी विषय में फेल होना चिंताजनक है।

2022 की बोर्ड परीक्षा में फेल हुए थे 15033 बच्चे

बात दें कि 2022 की बोर्ड परीक्षाओं में भी हाईस्कूल और इंटर में कुल 15033 बच्चे Hindi Subject में फेल हुए थे। इनमें हाईस्कूल में 8751 छात्र और 5467 छात्राएं शामिल थी, जबकि इंटरमीडिएट में 506 छात्र और 309 छात्राएं शामिल थी।

हिंदी को लेकर सीरीयस नहीं बच्चे

हिंदी हमारी राजभाषा और आम बोलचाल की भाषा है। कोई बात जो हम किसी और भाषा में सटीक ना कह पाएं वो हम हिंदी में कह पाते हैं। लेकिन उत्तराखंड बोर्ड के रिजल्ट आने के बाद इसमें हजारों बच्चों के फेल होने से ऐसा लग रहा है कि बच्चों का अब हिंदी विषय के प्रति लगाव और रूचि दोनों खत्म हो रही है। इसके साथ ही बच्चे अपनी आम बोलचाल की भाषा के प्रति सीरीयस नहीं है।

33 प्रतिशत अंक भी नहीं ला पाए बच्चे

विशेषज्ञों का कहना है कि हिंदी विषय के प्रति छात्रों की रुचि कम हो गई है। आम बोलचाल और राजभाषा होने के कारण हिंदी विषय को गंभीरता से नहीं लेते हैं। पर हिंदी विषय में पास होना अनिवार्य है। यदि कोई छात्र हिंदी में पास नहीं हुआ और अन्य सभी विषयों में पास हो गया तो उसे फेल ही माना जाता है। हिंदी में 33 प्रतिशत अंक लाना जरूरी है। इस विषय में ग्रेस भी नहीं मिलता है।

हिंदी में कुल 9,699 बच्चे फेल हो गए

इस साल हाईस्कूल में हिंदी विषय में 1,26,192 छात्रों ने परीक्षा दी थी, जिनमें 124208 छात्र पास हुए जबकि 4984 छात्र फेल हो गए। इंटरमीडिएट में 123009 छात्रों ने परीक्षा दी थी। इनमें 118294 पास हुए और 4715 परीक्षार्थी फेल हो गए। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में हिंदी में 6186 छात्र और 3513 छात्राएं फेल हुईं है।

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