हल्द्वानी : ऐक्टू का उपनल कर्मियों के आंदोलन को समर्थन, प्रतियां जलाकर किया विरोध प्रदर्शन

हल्द्वानी। ऐक्टू ने 1 अप्रैल से लागू होने वाले 4 लेबर कोड के विरोध में बुद्धपार्क हल्द्वानी में राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस पर सांय 5 बजे…

हल्द्वानी। ऐक्टू ने 1 अप्रैल से लागू होने वाले 4 लेबर कोड के विरोध में बुद्धपार्क हल्द्वानी में राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस पर सांय 5 बजे लेबर कोड की प्रतियां जलाकर विरोध प्रदर्शन किया। साथ ही उपनल कर्मियों के आंदोलन और मांगों का समर्थन किया गया और सरकार से तत्काल उपनल कर्मियों की मांगों को मानने की मांग करते हुए आंदोलन के कारण बर्खास्त किये गए सभी कर्मचारियों को बहाल करने की मांग की गई।

केंद्रीय ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच के आवाहन पर 4 श्रम कोडों, तीन कृषि कानूनों और विद्युत (संशोधन) अधिनियम 2021 को रद्द करने की मांग की गई; एमएसपी की गारंटी प्रदान करने के लिए एक कानून बनाने, चौतरफा निजीकरण और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और सरकारी विभागों में विनिवेश पर रोक लगाने, भारतीय रेलवे, रक्षा, कोयला, तेल, बंदरगाहों, हवाई अड्डों, दूरसंचार, आदि क्षेत्रों के निजीकरण पर रोक लगाने, लॉकडाउन के दौरान वेतन और अन्य लाभों का भुगतान जारी रखने और किसी भी कर्मचारी को ना निकालने के सरकार के अपने पूर्व के आदेश को सुनिश्चित करने, सार्वभौमिक राशन प्रणाली और गरीब परिवारों को वित्तीय सहायता सुनिश्चित करने, मनरेगा में कार्यदिवस 200 तक बढ़ाने, और शहरी भारत में रोजगार गारंटी योजना शुरू करने, सरकार द्वारा स्वीकृत पदों को भरने आदि की मांगें उठाई गईं।

इस अवसर पर ऐक्टू नेता डॉ. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “मोदी सरकार केवल देसी-विदेशी कॉर्पोरेट घरानों के हित में काम कर रही है। वह मेहनत से जीते गए सभी श्रम कानूनों को खत्म कर रही है, किसानों के हित के खिलाफ कृषि कानूनों को लागू कर रही है, उनकी भूमि को कॉरपोरेट के हवाले कर रही है। वह कृषि उपज को कॉर्पोरेट नियंत्रण को सौंप रही है और आम आदमी के हित के खिलाफ जमाखोरी को बढ़ावा दे रही है, आम जनता की खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल रही है। वह मूल्य वृद्धि, मंदी, बेरोजगारी को नियंत्रित करने में विफल रही है। यह सरकार मौजूदा कामगारों की सामाजिक सुरक्षा और पेशागत स्वास्थ्य एवं सुरक्षा को कमजोर कर रही है, नियत अवधि रोजगार को थोप रही है और मजदूरी में गिरावट ला रही है।

राष्ट्रीय संपत्ति के विनाश की नीतियों, राष्ट्रीय और प्राकृतिक संसाधनों की लूट की अनुमति देने वाली नीतियों द्वारा आत्मनिर्भरता, संप्रभुता और लोगों की स्वतंत्रता को दांव पर लगा दिया गया है। समय आ गया है कि केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी, जनविरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीतियों का अनुसरण करने के लिए जोरदार सबक सिखाया जाए।

ऐक्टू के हल्द्वानी नगर अध्यक्ष जोगेन्दर लाल ने कहा कि, “मोदी सरकार आमजन, मजदूर, किसानों पर चौतरफा हमला पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए कर रही है। किसानों के साथ-साथ श्रमिकों के अधिकारों पर भी हमला मोदी सरकार ने नए श्रम कोड लाकर किया है।”

ऐक्टू नगर सचिव ललतेश प्रसाद ने कहा कि, “नए श्रम कोड से ठेकेदारी प्रथा बढ़ेगी और कॉरपोरेट जगत को मजदूरों पर असीमित अधिकार मिल जाएंगे। मजदूरों की बची हुई सामाजिक सुरक्षा भी खत्म हो जाएगी। यह सब श्रम सुधारों के नाम पर किया जा रहा है जबकि यह श्रम का शोषण बढ़ाने के लिए ही है।”

प्रदर्शन के माध्यम से पुराने 44 श्रम कानूनों को बहाल करने और 4 नए लेबर कोड को रद्द करने की मांग की गई।

विरोध प्रदर्शन और श्रम कोडो की प्रतियां जलाने के कार्यक्रम में डॉ कैलाश पाण्डेय, ऐक्टू हल्द्वानी नगर अध्यक्ष जोगेन्दर लाल, नगर सचिव ललतेश प्रसाद, नवीन काण्डपाल, पंकज दुर्गापाल, दीपक काण्डपाल, ललित जोशी, विवेक ठाकुर, मुकेश जोशी, प्रकाश कपकोटी, नरेन्द्र बाणी, कमलेश जोशी, रौशन निनावे, आशीष, जगदीश आदि मौजूद थे।

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