दुखद : 200 से ज्यादा कोरोना मरीजों को चिकित्सालय पहुंचाने और सौ से अधिक मृतकों का अंतिम संस्कार करने वाले आरिफ खान नहीं रहे, उपराष्ट्रपति ने किया सेल्यूट

नई दिल्ली। पिछले सात महीनों से कोरोना पीड़ितों के घर से चिकित्सालय ले जाने के काम और कोरोना से मरे सौ से ज्यादा लोगों के…

नई दिल्ली। पिछले सात महीनों से कोरोना पीड़ितों के घर से चिकित्सालय ले जाने के काम और कोरोना से मरे सौ से ज्यादा लोगों के अंतिम संस्कार में जुटे दिल्ली के सीलमपुर निवासी एंबुलैंस चालक आरिफ खान को भी महामारी ने नहीं बख्शा। कोरोना के संक्रमण में आने क बाद उनका इलाज हिंदूराव चिकित्सालय में चल रहा था। उनके निधन पर उपराष्ट्रपति वैकेया नायडू ने भी शोक जताया है।

बताया जा रहा है कि एम्बुलेंस ड्राइवर आरिफ खान ने अपनी जान जोखिम में डालकर 200 से ज्यादा मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाया और 100 से अधिक शवों को अंत्येष्टि के लिए श्मशान पहुंचाया। कोरोना से संक्रमित आरिफ खान ने शनिवार सुबह अंतिम सांस ली। आरिफ खान पिछले 25 साल से शहीद भगत सिंह सेवा दल के साथ जुड़े थे। वह फ्री में एम्बुलेंस की सेवा मुहैया कराने का काम करते थे। 21 मार्च से आरिफ खान कोरोना के मरीजों को उनके घर से अस्पताल और आइसोलेशन सेंटर तक ले जाने का काम कर रहे थे।

नजीबाबाद हादसा अपडेट : सोचने तक का मौका नहीं मिला तहसीलदार सुनैना राणा को, बामुश्किल मिले नहर में शव, विधानसभा अध्यक्ष ने जताया शोक

आरिफ के निधन पर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भी शोक व्यक्त किया है। शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक जितेंद्र सिंह शंटी ने आरिफ को सेल्यूट करते हुए कहा कि मुस्लिम होकर भी आरिफ ने अपने हाथों से 100 से अधिक हिंदुओं के शव का अंतिम संस्कार किया।

किच्छा ब्रेकिंग : 200 किलो गौ मांस के साथ एक गिरफ्तार, तीन फरार

शंटी ने बताया कि जब आरिफ की मौत हुई, उनके अंतिम संस्‍कार के लिए परिवार के लोग पास नहीं थे। उनके परिवार ने आरिफ का शव काफी दूर से कुछ मिनट के लिए ही देखा। उनका अंतिम संस्कार खुद शहीद भगत सिंह सेवा दल के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह शंटी ने अपने हाथों से किया।

क्रिएटिव न्यूज एक्सप्रेस की खबरों को अपने मोबाइल पर पाने के लिए लिंक को दबाएं

शंटी ने कहा कि आरिफ 24 घंटे कोरोना संक्रमितों के लिए उपलब्ध रहते थे। रात 2 बजे कोरोना के मरीजों को घर से ले जाकर अस्पताल में भर्ती कराया। इनमें से कुछ की मौत के बाद उन्हें अंतिम संस्‍कार के लिए भी लेकर गए थे।
शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक ने बताया कि अगर किसी कोरोना मरीज की मौत के बाद परिजनों को आर्थिक मदद की भी दरकार होती थी, आरिफ उनकी मदद करते थे।आरिफ की तबीयत 3 अक्टूबर को खराब हुई थी। तब भी वह कोरोना संक्रमित को लेकर अस्पताल जा रहे थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *