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अल्मोड़ा न्यूज: मल्ला महल के निर्माण कार्य पर उठी अंगुली, वरिष्ठ नागरिक व विभिन्न संगठन लामबंद, दबा आक्रोश फूटा, मामले को सीएम तक पहुंचाने और सड़क पर उतरने का फैसला

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
यहां ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक धरोहर मल्ला महल (कलैक्ट्रेट परिसर) चल रहे संरक्षण संबंधी निर्माण कार्य पर अंगुली उठ गई है। इस बात को लेकर आक्रोश पनप चुका है कि मल्ला महल परिसर में निर्माण कार्य करने से पहले न तो इतिहासविदों व पुरातत्ववेताओं से राय ली गई और न ही जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लिया गया। यह आक्रोश शुक्रवार को तब उजागर हुआ, जब यहां नगर के वरिष्ठ नागरिकों, प्रबुद्धजनों तथा राजनैतिक व जन संगठनों के लोगों की इस मसले पर मंथन को साझा बैठक हुई। बैठक में कार्य को मनमाने ढंग से कराने और गुणवत्ता को ताक में रखने के आरोप लगे और यहां तक कि मामले को मुख्यमंत्री तक ले जाने और कार्रवाई नहीं होने की दशा में आंदोलन शुरू करने का निर्णय भी हो चुका है।
यहां नगरपालिका परिसर में वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता आनंद सिंह बगडवाल की अध्यक्षता में हुई वरिष्ठ नागरिकों, प्रबुद्धजनों और राजनैतिक व जन संगठनों की संयुक्त बैठक में एकमात्र मुद्दा मल्ला महल (कलैक्ट्रेट परिसर) में गतिमान निर्माण कार्य था। बैठक में इस बात को लेकर वक्ताओं ने खासा आक्रोश व्यक्त किया कि चंद राजाओं के शासन का गवाह, ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक धरोहर मल्ला महल के संरक्षण जैसे कार्य को करने से पहले न तो स्थानीय जानकार नागरिकों की सहमति ली गई और न ही पुरातात्विक तकनीकी विशेषज्ञों की राय ली गई। यहां तक कि जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लिया गया। वक्ताओं का कहना था कि बिना किसी राय के मनमाने ढंग से कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण कार्य के परियोजना की जानकारी विस्तृत रूप से सार्वजनिक तक नहीं की गई। बैठक में कहा गया कि मल्ला महल में गतिमान कार्य की गुणवत्ता पर लोग सवाल उठा रहे हैं। ऐसे में एकराय में कहा गया कि यह मनमानी है और इस पर जल्द से जल्द रोक लगाई जानी चाहिए और जांच की जानी चाहिए।
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि मल्ला महल, उत्तराखंड की अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर है और वहां स्थित रामशिला मंदिर अपनी बेजोड़ पुरातात्विक कला तथा धार्मिक दृष्टि से विशेष पहचान रखता है। इसका कार्य पुरातत्त्ववेताओं व इतिहासविदों की राय से ही किया जाना चाहिए था। यह भी कहा कि निर्माण कार्य व संरक्षण कार्य की परियोजना की जानकारी सार्वजनिक की जाए और इस कार्य की देखरेख केंद्रीय पुरातत्व विभाग की देखरेख में होना चाहिए। वक्ताओं ने इस बात पर भी हैरानी व्यक्त की कि अमूल्य विरासत से जुड़े मामले पर अभी तक जनप्रतिनिधियों ने भी चुप्पी साधी है, जो आश्चर्यजनक है। बैठक में तय किया गया कि इस मामले को मुख्यमंत्री तक पहुंचाया जाएगा और इसके बाद भी कोई यथोचित कार्यवाही अमल में नहीं आई, तो नगर के तमाम जन संगठन व नागरिक सड़कों पर उतरकर जोरदार आंदोलन करेंगे। बैठक में यह भी आम राय थी कि क्षेत्रीय पुरातात्विक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए एक भव्य संग्रहालय बनाया जाय।
बैठक में नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी, एडवोकेट प्रफुल पंत, उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी, कांग्रेस के नगर अध्यक्ष पूरन रौतेला, इतिहासविद् प्रो. विद्यासागर नेगी, वरिष्ठ पत्रकार दयाशंकर टम्टा, छावनी परिषद के उपाध्यक्ष जंग बहादुर थापा, सालम समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र रावत, जन अधिकार मंच के संयोजक त्रिलोचन जोशी, पूरन चंद्र तिवारी, डे केयर सेंटर के अध्यक्ष हेम चंद्र जोशी, जनवादी नेता दिनेश पांडे, उत्तराखंड सेवा निधि के सचिव कमल जोशी, जनवादी महिला समिति के सुनीता पांडे, अमन संस्था के रघु तिवारी, नीलिमा भट्ट, अमन नज्जौन, नगर व्यापार मंडल के महासचिव मयंक बिष्ट, लक्ष्मण सिंह ऐठानी, ललित चौधरी, उपपा की आनंदी वर्मा, हयात सिंह रावत, उदय किरौला, मनोज सनवाल, सभासद दीप्ति सोनकर, दीपा शाह, जगमोहन सिंह बिष्ट, हेम चंद्र तिवारी, आशा रावत आदि लोग मौजूद रहे।

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