देहरादून न्यूज : यूसर्क ने घर बैठे एकत्रित कर दिए तमाम पर्यावरण चितंक, ऐसे आयोजित किया पृथ्वी दिवस पर विश्व सम्मेलन

देहरादून। विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) एवं हेस्को देहरादून के संयुक्त तत्वाधान में विश्व सम्मेलन का आयोजन…

देहरादून। विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) एवं हेस्को देहरादून के संयुक्त तत्वाधान में विश्व सम्मेलन का आयोजन क्लाइमेट एक्शन थीम के आधार पर गो मीटिंग ऐप के जरिए ऑनलाइन माध्यम से किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में यूसर्क के निदेशक प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने आज के विश्व पृथ्वी दिवस के आयोजन पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि वर्तमान कोविड-19 जनित परिस्थितियों में विश्व के पृथ्वी के संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, प्राकृतिक संसाधनों के उचित रखरखाव की अत्यंत आवश्यकता है साथ ही साथ वर्तमान समय में तकनीकी को व्यापक रूप से सामाजिक एवं पर्यावरण सुरक्षा में प्रयोग कर लाभकारी बनाया जा सकता है। हाल ही में यूसर्क के तकनीकी सहयोग से स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त तत्वाधान में कोविड-19 मोबाइल ऐप को भी बनाया गया है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं हेस्को के संस्थापक पदम भूषण डॉ अनिल जोशी जी अपने व्याख्यान में बताया हमें पृथ्वी को सही ढंग से समझने के साथ-साथ पृथ्वी के संरक्षण हेतु ईमानदारी से कार्य करने की आवश्यकता है ।

हमें अपनी प्राचीन सांस्कृतिक, नैतिक मूल्यों तथा प्राचीन स्वास्थ्यवर्धक भोजन प्रणाली को अपनाना चाहिए जोशी जी ने कहा कि हमें अपनी आवश्यकता से अधिक संसाधनों का उपयोग नहीं करना चाहिए उन्होंने कहा कि आज समय आ गया है कि “‘सकल पर्यावरण उत्पाद” जैसे महत्वपूर्ण विषय पर वैज्ञानिक मंथन के साथ-साथ ठोस नीति बनाने की आवश्यकता है। मैती आंदोलन के जनक एवं पदमश्री कल्याण सिंह रावत ने इस ऑनलाइन सम्मेलन में बताया कि आज मानव ने अपने द्वारा प्रकृति को पहुंचाए गये नुकसान का परिणाम है कि आज कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है हमें अपनी प्रकृति को बचाने के लिए स्वयं ही प्रयास करना होगा और यदि प्रकृति बचेगी तभी हम बचेंगे । यूसर्क के वैज्ञानिक डॉक्टर ओम प्रकाश नौटियाल द्वारा कार्यक्रम समन्वयक के रूप में पृथ्वी दिवस पर इसके इतिहास पर प्रकाश डाला गया तथा यूसर्क द्वारा विभिन्न पर्यावरणीय कार्यकर्मो पर प्रकाश डाला गया । डॉ मंजू सूंदरियाल ने साइंस ऑफ सर्वाइवल विषय पर आपदा में सुरक्षित रहते हुए दूसरों को बचाने के बारे में बोलते हुए प्रकृति के संरक्षण की बात की।

आज के कार्यक्रम में न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डीन डॉ आशीष जोशी ने न्यूयॉर्क से जुड़ते हुए पृथ्वी दिवस के अवसर पर कोरोना वायरस एवं हमारी प्रकृति विषय पर बोलते हुए कहा कि हमें अपनी पृथ्वी के संरक्षण हेतु समग्र रूप से कार्य करना होगा तभी कोरोना एवं अन्य आपदाओं से बचा जा सकता है । हम सभी को विज्ञान व अध्यात्म दोनों को साथ लेकर चलना होगा और अपनी मेंटल हेल्थ पर विशेष ध्यान देना होगा। ऑस्ट्रेलिया से ही आज के कार्यक्रम में जुड़ी कुमारी मैत्री ने कहा कि हमें यदि इस महामारी को हराना है तो सबसे पहले अपनी प्रकृति की रक्षा करनी होगी । भारत सरकार नई दिल्ली के मौसम विभाग के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डॉ आनंद शर्मा ने कहा कि कोरोना महामारी के रूप में प्रकृति ने हमें दंड दिया है क्योंकि हम प्रकृति के नियमो के विपरीत चलने लगे थे। आज प्रकृति अपने पूर्व स्वरूप में वापस लौट रही है ।हमें प्राकृतिक संसाधनों से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए तथा अपने आसपास के पर्यावरण का संवर्धन करना चाहिए। ऑनलाइन सम्मेलन में बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जड़धारी ने सभी से जैव विविधता के संरक्षण एवं परंपरागत ज्ञान विज्ञान व खानपान के संरक्षण पर बल दिया।

भारतीय पेट्रोलियम संस्था के निदेशक डॉक्टर अंजन रे ने कहा कि आज पर्यावरण में कम प्रदूषण देखने को मिल रहा है क्योंकि मनुष्य जनित गतिविधियां बंद हो गई है जंगल की आग में भी कमी आ गई है। यूसर्क के वैज्ञानिक डॉ. भवतोष शर्मा ने कहा कि आज जलस्रोत स्वतः ही स्वच्छ हो रहे है। मानवीय हस्तक्षेप घटने से प्रकृति अपने को पूर्व के स्वरूप में बदल रही है हमें पृथ्वी संरक्षण हेतु वर्ष भर प्रयास करते रहना चाहिए। यूसर्क के द्वारा स्थापित किए गए नदी पुनर्जीवन केंद्र में चल रही है विभिन्न जल शिक्षा एवं शोध गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए जल स्रोतों के संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया। इस अवसर पर वैज्ञानिक डॉ. राजेन्द्र सिंह राणा द्वारा बताया गया कि यूसर्क तथा शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वाधान में राज्य के 13 जिलों में 65 स्मार्ट इको क्लब का संचालन किया जा रहा है। जिसमें की 4000 से अधिक छात्र-छात्राओं द्वारा पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन की गतिविधियों को संचालित किया जा रहा है। कार्यक्रम में वन अनुसंधान संस्थान के सेवानिवृत्त वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुभाष नौटियाल ने कहा कि हमें अपनी न्यूनतम आवश्यकता के सिद्धांत के अनुरूप कार्य करना चाहिए और अपने आवागमन को भी सीमित रखना चाहिए।

लखनऊ से कार्यक्रम में जुड़े हैं मनमोहन भट्ट ने कहा की प्रकृति का संरक्षण आज की मूल आवश्यकता है। अल्मोड़ा से गजेंद्र पाठक ने बताया कि शाही देवी हल आज बहुत उपयोगी एवं पर्यावरण के अनुकूल साबित हो रहे हैं। पाठक ने ए. एन. आर. तकनीक द्वारा जंगलों को बचाने का आह्वान किया । चमोली से जुड़े आकाश संस्था के जेपी मैठानी ने पर्यावरण संरक्षण हेतु प्रयास करने को कहा। वेल्हम गर्ल्स की पर्यावरण विज्ञान की शिक्षिका डॉ. नीमा पंत ने आपस में पृथ्वी दिवस पर सभी से कुछ ना कुछ संकल्प लेने का आह्वान किया ताकि पर्यावरण की रक्षा हो सके। डॉ. मधु थपलियाल ने पर्यावरण कार्यक्रमों को लोकप्रिय बनाने के लिए विभिन्न शिक्षण संस्थानों में जागरूकता देने पर बल दिया । दून साइंस फॉर्म के विजय भट्ट ने पर्यावरण के हितों के अनुसार ही विकास कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट एवं पंचायती राज के निदेशक डॉ आर पंत ने विकास को पर्यावरण के अनुसार करने का आह्वान किया। इस ऑनलाइन सम्मेलन में मुख्य रूप से नई देहली से डॉक्टर आशुतोष जोशी, बिरला इंस्टिट्यूट भीमताल से डॉ. आशुतोष भट्ट, माटी संस्था से डॉ. वेद प्रकाश तिवारी, डीएनए लैब से डॉ. नरोत्तम शर्मा, शैलेन्द्र यादव, डॉ. तिलक राम प्रजापति, डॉ गुलशन ढींगरा, डॉ. आलोक मैठाणी, जे पी तिवारी, गणेश राणा, पवन शर्मा इत्यादि ने प्रतिभाग किया।

https://youtu.be/ky53bpkBdx4

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *