Dehradun: पूर्व पुलिस महानिदेशक की लेखनी से जन्मा प्रेरणादायी उपन्यास

—आईपीएस अनिल र​तूड़ी ने लिख डाली—’भंवर’—भव्य समारोह में सीएम धामी ने किया लोकार्पण—युवाओं का मार्गदर्शन करती रहेगी यह पुस्तकसीएनई रिपोर्टर, देहरादूनअनुशासन प्रिय एवं ईमानदार छवि…

—आईपीएस अनिल र​तूड़ी ने लिख डाली—’भंवर’
—भव्य समारोह में सीएम धामी ने किया लोकार्पण
—युवाओं का मार्गदर्शन करती रहेगी यह पुस्तक
सीएनई रिपोर्टर, देहरादून
अनुशासन प्रिय एवं ईमानदार छवि की मिशाल पेश करने वाले पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी की लेखनी से प्रेरणादायी उपन्यास ‘भंवर—एक प्रेम कहानी’ ने जन्म लिया है। इस पुस्तक का लोकार्पण 21 मई 2022 को भव्य समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया। सभी ने इस उपन्यास को बेहद प्रेरणादायी व युवा पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक बताया है।

उपन्यास के लोकार्पण करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रशासनिक कार्याें के दबाव के साथ साहित्य की अनुभूति को बचाए रखना बेहद कठिन होता है और ऐसा करने में सफल व्यक्ति लम्बे समय तक जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि श्री रतूड़ी की छवि एक अनुशासनात्मक एवं ईमानदार अधिकारी की रही है और वे राज्य के युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने कहा कि अनिल रतूड़ी एवं राधा रतूड़ी का नाम श्रद्धापूर्वक लिया जाता है, तथा इनका जीवन आने वाली पीढ़ी के लिए मार्ग दर्शन है। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री रतूड़ी का यह उपन्यास अभिमन्यु से अर्जुन बनने की प्रेरणा देता है। इससे पहले आईआरडीटी ओडिटोरियम (सर्वे चैक) में आयोजित लोकार्पण कार्यक्रम का शुभारंभ अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी (धर्मपत्नी अनिल रतूड़ी) द्वारा गाए गए उत्तराखण्ड का मांगलिक गीत ‘दैणा होयां खोली का गणेशा हो’ के साथ हुआ।

इस मौके पर मुख्य सचिव एसएस संधू ने कहा कि “भँवर: एक प्रेम कहानी” उपन्यास प्रासंगिक विषय पर लिखा गया है, जो जीवन शुरूआती अनुभव से लेकर सरकारी सेवा की चुनौतियों के लेखे—जोखे को दर्शाती एक प्रसांगिक कहानी है और यह पुस्तक युवाओं के लिए मार्गदर्शन का कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपनी इच्छाओं को दबाना नहीं चाहिए, बल्कि अपनी आत्मा की आवाज को सुनकर अपने अन्दर छुपी कला को बाहर लाना चाहिए। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने श्री रतूड़ी के इस उपन्यास को एक ऐतिहासिक दस्तावेज बताया, जिसमें वर्ष 1971 से लेकर वर्ष 2020 तक की यात्रा का उल्लेख है। उपन्यास के लोकार्पण के मौके पर लेखक एवं पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने अपने माता-पिता, बहिन एवं बेटी, परिजनों, मित्रों का भी सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ ही अपनी धर्मपत्नी राधा रतूड़ी का विशेष धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि उन्होंने जीवन के हर एक क्षण में उनका साथ दिया। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि हमारी 34 वर्ष की यात्रा में यह पुस्तक लोकार्पण एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। उन्होंने सभी का आभार जताया।
कार्यक्रम में अध्यक्ष वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार पदमश्री लीलाधर जगूड़ी, विशिष्ट अतिथि पूर्व मुख्य सचिव नृप सिंह नपलच्याल, पूर्व कुलपति डाॅ. सुधारानी पांडेय एवं वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. रामविनय सिंह ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में उत्तराखण्ड शासन एवं पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी व तमाम गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन पत्रकार एवं साहित्यकार/लेखक डाॅ. कंचन नेगी ने किया।
ईमानदार छवि की मिशाल

पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी की शिक्षा कन्वेंट आफ जीसस एण्ड मैरी हैम्पटन कोर्ट और सेंट जाॅर्जस काॅलेज मसूरी से पूरी हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए आनर्स और एमए अंग्रेजी साहित्य से शिक्षा ग्रहण की। कड़ी मेहनत व लगन के बल पर उन्होंने वर्ष 1987 में आईपीएस अधिकारी बनकर सभी को गौरवान्वित किया। पहले उन्हें उत्तर प्रदेश कैडर आंवटित हुआ, लेकिन बाद में उत्तराखण्ड निर्माण होने पर उन्होंने उत्तराखंड राज्य में कमान संभाली और वर्ष 2017 से वर्ष 2020 तक उत्तराखण्ड पुलिस के महानिदेशक पद पर सेवाएं दी और अधिवर्षता आयु पूर्ण करने पर सेवानिवृत हुए। उन्होंने उत्तर प्रदेश में भी कई महत्वपूर्ण पदों का दायित्व बखूबी निभाया। उनकी छवि अनुशासन प्रिय व बेहद ईमानदार रही है।

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