जयंती पर याद किया गया दुर्गा भाभी को

रामनगर। भारतीय आजादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली दुर्गा चरण बोहरा, दुर्गा भाभी को आज उनकी एक सौ तेरहवीं जयंती पर याद किया…

रामनगर। भारतीय आजादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली दुर्गा चरण बोहरा, दुर्गा भाभी को आज उनकी एक सौ तेरहवीं जयंती पर याद किया गया। रचनात्मक शिक्षक मण्डल की ओर से तेलीपुरा में संचालित भगतसिंह पुस्तकालय में हुए कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए शिक्षक मण्डल के राज्य संयोजक नवेंदु मठपाल ने उनकें जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि वे सात अक्टूबर 1907 शहजादपुर गांव में पंडित बांके बिहारी के यहां जन्मी। पिता ने संन्यास ले लिया था, रिश्तेदारों ने दस साल की उम्र में शादी करा दी।

भगवती चरण वोहरा से. ये क्रांतिकारी संगठन हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक आर्मी के मास्टर कहे जाते थे। उनके साथ मिलकर दुर्गा भाभी ने भी आज़ादी की लड़ाई के लिए काम करना शुरू कर दिया। वोहरा की पत्नी होने की वजह से सभा के सभी सदस्य उन्हें भाभी कहते थे। उन्हें पिस्तौल चलाने में महारथ हासिल थी। वे बम बनाना भी जानती थीं। जब उनके बेटे सचिन्द्र का जन्म हुआ, तब उन्होंने क्रांतिकारी गतिविधियों से दूरी बना ली।

लेकिन भगत सिंह की मदद के लिए जब उनसे गुजारिश की गई, तो उन्होंने भगतसिंह की पत्नी बन उन्हें बचाया। इस घटना के बाद वो लाहौर लौट आई थीं। जब 1929 में भगत सिंह और राजगुरु ने आत्म समर्पण किया, तब उन्होंने अपनी सारी बचत उनके ट्रायल में लगा दी थी। गहने भी बेच दिए थे और उस समय तीन हजार रुपयों का इंतजाम किया था। 1930 में उनके पति भगवती चरण वोहरा की बम बनाते हुए विस्फोट में मौत हो गई. वो एक शिक्षिका के तौर पर काम करती रहीं।

आज़ादी के बाद उन्होंने गाज़ियाबाद में रहना शुरू किया। मारिया मोंटेसरी, जिन्होंने मोंटेसरी स्कूलों की शुरुआत की, उनसे ट्रेनिंग लेकर उन्होंने लखनऊ में मोंटेसरी स्कूल खोला. इस स्कूल को देखने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी आए थे। 15 अक्टूबर 1999 को दुर्गा भाभी इस दुनिया से चली गईं। गिरीश मेंदोला ने कहा आज दुर्गा भाभी जैसी क्रांतिकारी महिलाओं के बारे में समाज को बताना ही होगा।

इस मौके पर बालकृष्ण चंद, नन्दराम आर्य, प्रियांशु लखचोरा, विपिन सनवाल, हेमचन्द तिवारी मौजूद रहे। शिक्षक मण्डल द्वारा संचालित स्कूली बच्चों के ग्रुप जश्न के बचपन में भी बच्चों ने दुर्गा भाभी को याद किया। उनके क्रांतिकारी कार्यों पर प्रकाश डालने के साथ-साथ उनका चित्र भी बनाया।

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