ALMORA NEWS: ​वन विभाग समय पर रायल्टी देने का करेगा भरसक प्रयास और वन पंचायतों का रायल्टी के सदुपयोग की जिम्मेदारी—डीएफओ, सरपंचों का रायल्टी वितरण समारोह

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा वन पंचायत की आय का प्रमुख साधन रॉयल्टी ही है। अब विभाग का हर संभव प्रयास होगा कि वन पंचायतों का रायल्टी…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

वन पंचायत की आय का प्रमुख साधन रॉयल्टी ही है। अब विभाग का हर संभव प्रयास होगा कि वन पंचायतों का रायल्टी का भुगतान समय पर किया जाए। यह बात अल्मोड़ा वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी महातिम यादव ने कही। श्री यादव शुक्रवार को यहां वन चेतना केंद्र एनटीडी में आयोजित वन पंचायत सरपंचों की कार्यशाला एवं रायल्टी वितरण समारोह में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम मेंं शामिल वन पंचायतों को रायल्टी का भुगतान किया गया।
समारोह में प्रभागीय वनाधिकारी ने कहा कि रायल्टी का यथासमय भुगतान का प्रयास वन विभाग का रहेगा, किंतु वन पंचायतों का दायित्व होगा कि वह इस रायल्टी का सुदपयोग वृक्षारोपण, चालखाल, वन पंचायत, नर्सरी व वनाग्नि सुरक्षा जैसे कार्यों में करें। उन्होंने वन पंचायतों द्वारा स्वयं नर्सरी तैयार किए जाने और बीजों के एकत्रीकरण पर जोर दिया। साथ ही वनाग्नि से जंगलों को होने वाले विविध नुकसानों से रूबरू कराया।
सिविल सोयम वन प्रभाग अल्मोड़ा के प्रभागीय वनाधिकारी रमेश चंद्र कांडपाल ने कहा कि वन पंचायतों द्वारा अपनी सृजित आय का उपयोग वन पंचायतों के विकास में करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कई योजनाएं वन पंचायतों के माध्यम से क्रियान्वित की जा रही हैं। सेवानिवृत्त वन क्षेत्राधिकारी जसौद सिंह बिष्ट ने बांस योजना की जानकारी दी। उन्होंने बैंबू बोर्ड की योजना से अवगत कराते हुए बांस रोपण का तरीका समझाया। साथ ही ओक प्रजाति, बांज, रिंगाल, मौरु, खरसू व फल्यांट प्रजाति के पेड़ों के फायदे बताए। उप प्रभागीय वनाधिकारी रानीखेत गणेश चंद्र त्रिपाठी ने सरपंचों को उनके अधिकार एवं कर्तव्यों का भान कराया। कार्यक्रम में उप प्रभागीय वनाधिकारी भूपाल सिंह बिष्ट ने भी विचार रखे। वन विभाग व सरपंचों के बीच बेहतर तालमेल पर जोर दिया। समारोह में सरपंचों ने समस्याओं को रखते हुए मानव वन्य जीव संघर्ष पर चर्चा की।
इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ। समारोह में दोनों वन प्रभागों के वन क्षेत्राधिकारी, कर्मचारी व 38 वन पंचायतों के सरपंच शामिल हुए। समारोह में 108 वन पंचायतों को 44.71 लाख रुपये की रायल्टी का भुगतान होना था।

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