अति दुर्लभ मानव जन्म मिला, कर लो हरि का गुणगान : व्यास

✒️ हवन यज्ञ के साथ श्रीमद् भागवत कथा का समापन पनुवानौला/अल्मोड़ा। बाड़ेछीना की ग्राम सभा सील में नौ दिवसीय भागवत कथा का विधिवत समापन हो…

हवन यज्ञ के साथ श्रीमद् भागवत कथा का समापन

✒️ हवन यज्ञ के साथ श्रीमद् भागवत कथा का समापन

पनुवानौला/अल्मोड़ा। बाड़ेछीना की ग्राम सभा सील में नौ दिवसीय भागवत कथा का विधिवत समापन हो गया है। इस मौके पर आयोजित भंडारे में बड़ी संख्या में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। कथा प्रवचन में व्यास ने मानव जन्म, हरि स्मरण की उपयोगिता व श्रीमद् भागवत कथा के महत्व पर प्रकाश डाला।

दशम दिवस में जीवन सिंह बिष्ट हवन यज्ञ एवं भागवत में मुख्य यजमान रहे। अंतिम दिवस में हवन के साथ साथ भंडारे के भी आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। यज्ञ में मुख्य यजमान के अतिरिक्त पूरन सिंह कमल सिंह, हयात सिंह, प्रेम सिंह, राजेंद्र सिंह, मनोजसिंह, गजेंद्र सिंह, आनंदसिंह, दानसिंह, धीरजसिंह, दीपक सिंह, लक्ष्मण सिंह, ललित सिंह, सुंदर सिंह, कल्याण सिंह एवं श्रीमती भगवती देबी के नेतृत्व में महिलाओं ने विशेष्ज्ञ सहयोग दिया!

इससे पूर्व गत दिनों हुई कथा में व्यास विवेकानंद जोशी ने कहा कि मानव जन्म अति दुर्लभ है। मनुष्य को इस संसार मे आकर इस जीवन को धन्य करने के लिए हरि का गुणगान करना चाहिए। भागवत भजन में ही मनुष्य का कल्याण निहित है।

उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन प्राप्त करने के बाद सत्संग, ध्यान और कथा से विमुख होकर काम, क्रोध, मद और लोभ की गिरफ्त में आकर व्यसनों का आदि हो जाता है। जिससे मनुष्य में आसुरी प्रवर्ति घर कर जाती है। ऐसे में मनुष्य को देवी भागवत कथा का श्रृवण कर इन व्यसनों से दूर आने का प्रयास करना चाहिए। तभी वह अपने साथ-साथ समाज का भी कल्याण कर सकता है।

उन्होंने कहा भगवान को पाने का सबसे सरल माध्य्म श्रीमद्भागवत के अनुसार स्नेह व प्रेम होता है। प्रेम से ही भक्ति ज्ञान व वैराग्य पैदा किया जा सकता है। संपूर्ण श्रीमद देवी भागवत कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। भजन-कीर्तन का आयोजन भी चला।

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