Big News: अल्मोड़ा में ग्रीन हिल्स संस्था लेकर आई ‘ई—वेस्ट कलेक्शन’ अभियान, 20 सितंबर से दीपावली तक चलेगी मुहिम

— स्वच्छ वातावरण, शुद्ध पर्यावरण एवं स्वस्थ जीवन की नेक मंशा— बोकासी पायलट प्रोजेक्ट पर भी काम कर रही संस्थाचन्दन नेगी, अल्मोड़ास्वच्छ वातावरण, शुद्ध पर्यावरण…

— स्वच्छ वातावरण, शुद्ध पर्यावरण एवं स्वस्थ जीवन की नेक मंशा
— बोकासी पायलट प्रोजेक्ट पर भी काम कर रही संस्था
चन्दन नेगी, अल्मोड़ा
स्वच्छ वातावरण, शुद्ध पर्यावरण एवं स्वस्थ जीवन जैसी नेक मंशा को लेकर काम कर रही ग्रीन हिल्स संस्था इस बार गाधी जयंती के उपलक्ष्य में ‘ई—वेस्ट कलेक्शन’ अभियान लेकर आई है। अभियान 20 सितंबर से 4 नवंबर यानी दीपावली तक चलेगा। इस अभियान में लाल फैमिली फाउंडेशन नई दिल्ली द्वारा भी सहयोग दिया जा रहा है।

यह बात आज यहां एक होटल में पत्रकारों से वार्ता करते हुए संस्था की सचिव वसुधा पंत ने कही। उन्होंने बताया कि ई-वेस्ट कलेक्शन के तहत अल्मोड़ा शहर समेत कसार देवी, रानीखेत, चौबटिया व मजखाली के विद्यालयों, दुकानों व होटलों में कलेक्शन बॉक्स रखे जाएंगे। जिसमें लोग अपने ई-वेस्ट स्वयं जमा कर सकते हैं। प्रशासन की मदद से संस्था पिकअप गाड़ी की व्यवस्था कर ई—वेस्ट को उठाएगी। इस ई-वेस्ट को रुड़की स्थित अटेरो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को भेजा जाएगा। जहां इसकी रिसाईक्लिंग की जाएगी। प्रेसवार्ता में संस्था की सचिव वसुधा पंत समेत ट्रस्टी आशा डिसूजा, भूपेंद्र बल्दिया, धीरेंद्र रावत व पार्थ तिवारी आदि शामिल रहे।

क्या है थीम: इस समय ई-वेस्ट एक बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है और भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट पैदा करने वाला देश बन चुका है। संस्था का मानना है कि कचरा एक कीमती रिसोर्स हो सकता है। यदि घर में ही उसका पृथक्करण किया जाए, तो काफी लाभ हो सकते हैं। संस्था का कहना है कि यह सौभाग्य की बात है कि उत्तराखंड के रूड़की में एक ऐसी फैक्टरी मौजूद है, जहां ई-वेस्ट की आधुनिक तकनीकों के साथ रिसाईक्लिंग की जाती है ।

ई—वेस्ट से क्षति: जब ई-वेस्ट का निस्तारण उचित सुविधाओं के साथ नहीं किया जाता है, तब उससे निकलने वाले हैवी मेटल्स वातावरण को प्रदूषित करते हैं और हवा, जमीन व पानी को अपूर्णीय क्षति पहुंचाते हैं।

क्या है ई—वेस्ट: ई-वेस्ट में वह सामान है, जिसके इस्तेमाल के लिए बिजली की जरूरत पड़ती है और काफी प्रयोग के बाद निष्प्रयोज्य हो जाते हैं, चाहे कितने भी कीमती हों। ई—वेस्ट में निष्प्रयोज्य मोबाईल फोन, चार्जर्स, कैमरा, कैलकुलेटर्स, विडिओगेम्स, म्यूजिक सिस्टम, टीवी, बल्ब, वाशिग मशीन, इलेक्ट्रिक वायर, फ्रिज, मिक्सर ग्राइन्डर्स, लैपटॉप्स, टौर्च, बैटरी इत्यादि शामिल हैं।

बोकाशी पायलेट प्रोजेक्ट
ग्रीन हिल्स संस्था बोकाशी पायलेट प्रोजेक्ट पर भी काम कर रही है। शहर के कुछ हिस्सों में बोकाशी विधि से कम्पोस्टिंग की शुरुआत करने जा रही है। संस्था के प्रतिनिधियों ने प्रेसवार्ता में बताया कि कम्पोस्टिंग की शुरूआत आफिसर्स कॉलोनी व नरसिंहबाड़ी के उन घरों से किया जाएगा, जो लोग इसके लिए इच्छुक होंगे। उन्होंने बताया कि यह गीले कचरे से खाद बनाने की जापानी विधि को बोकाशी विधि के नाम से जाना जाता है। उन्होंने बताया कि यह पायलेट प्रोजेक्ट 19 सितम्बर यानी कल से ऑफिसर कलोनी और नरसिंहवाड़ी से प्रारंभ किया जाएगा और धीरे धीरे अन्य स्थानों पर भी शुरू किया जाएगा। संस्था का मानना है कि यदि बड़े स्तर पर इस प्रोजेक्ट को चलाया जाए, तो इससे वातावरण गंदगी मुक्त होगा और बंदरों के आतंक से काफी हद तक राहत मिलेगी। इस कार्य में बैनीयन टूअर्स प्राइवेट लिमिटेड मुंबई द्वारा सहयोग दिया जा रहा है।

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