Big Breaking : दरवाजा तोड़ गौशाला में घुसा गुलदार, दुधारू गाय को बनाया निवाला

सीएनई रिपोर्टर, रूद्रप्रयाग गुलदार की वास्तवित ताकत का अनुमान शायद जीव विज्ञानी भी नहीं लगा पाये हैं। शायद इस दिशा में अब भी शोध की…

गुलदार की दहशत

सीएनई रिपोर्टर, रूद्रप्रयाग

गुलदार की वास्तवित ताकत का अनुमान शायद जीव विज्ञानी भी नहीं लगा पाये हैं। शायद इस दिशा में अब भी शोध की जरूरत है। मामला रूद्रप्रयाग का है, जहां एक गुलदार ने टिन—लोहे की चादर से निर्मित मजबूत दरवाजा एक तरफ से तोड़ डाला और गौशाला के भीतर दाखिल हो एक दुधारू गाय को अपना निवाला बना दिया। पशु पालक को हुए नुकसान का मामला निश्चित रूप से एक बड़ी खबर है, लेकिन अनछुआ पहलू यह भी है कि आखिर यह खूंखार वन्य जीव अपने भीतर कितनी ताकत समेटे है कि मजबूत दरवाजा तक तोड़ सकते हैं।

दरअसल, उत्तराखंड के मैदानी व पर्वतीय जनपदों में ​गुलदार के हमलों की ख़बर कोई नई नहीं है। यहां अकसर मानव—वन्य जीव संघर्ष की सूचनाएं अलग—अलग जनपदों से मिलती रहती हैं। वन क्षेत्र में आहर की कमी के चलते खूंखार गुलदार निकटवर्ती मानव बस्ती तक पहुंचते हैं और पालतू मवेशी इनका निवाला बनते हैं। कभी—कभार परिस्थितिवश यह मानव का भी शिकार कर डालते हैं।

ख़बर का अनछुआ पहलू यह है कि गुलदारों से सुरक्षा को लेकर जो कदम आम जन उठाते हैं, क्या वह पर्याप्त हैं ? आपको बता दें कि गुलदार एक ऐसा शिकारी जीव है जो ऊंचे पेड़ों, विशालकाय भवनों आदि में आसानी से एक बिल्ली की तरह चढ़ सकता है। अगर गुलदार भूखा हो तो इसमें इतनी ताकत है कि यह मजबूत दरवाजे को भी तोड़ सकता है। ऐसा ही मामला रुद्रप्रयाग जिले के बच्छणस्यूं पट्टी क्षेत्र में आया है।

बताया जा रहा है कि यहां डांडा-पिपली गांव में गुलदार ने गौशाला का दरवाजा तोड़कर अंदर बंधी एक दूधारू पशु को अपना निवाला बना दिया। प्रभावित पशुपालक ने इसकी सूचना वन विभाग को दे दी। जानकारी यह है कि बच्छणस्यूं क्षेत्र के पिपली गांव में गत दिवस मध्य रात्रि में डांडा दुर्गा देवी के गौशाला में जर्सी दुधारू गाय और उसका बछड़ा बंधा था। गुलदार ने गौशाला का दरवाजा तोड़कर दुधारू गाय को बुरी तरीके से मार दिया, जिससे पशुपालक को भारी आर्थिक क्षति पहुंची है। क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों का कहना है कि महिला दूध बेचकर ही अपनी आजीविका चलाती है। अब जबकि उसकी दुधारू गाय मर गई है तो उस पर बड़ा संकट आन पड़ा है।

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