हल्द्वानी न्यूज : शहीदे आज़म भगत सिंह के जन्मदिन पर विभिन्न वाम संगठनों का बुद्धपार्क में संयुक्त कार्यक्रम

जगमोहन रौतेलाहल्द्वानी । ‘ऐक्टू’ द्वारा 28 सितंबर शहीद भगत सिंह के जन्म दिवस पर “मजदूर अधिकार अभियान” का समापन करते हुए उनके विचारों को आत्मसात…

जगमोहन रौतेला
हल्द्वानी । ‘ऐक्टू’ द्वारा 28 सितंबर शहीद भगत सिंह के जन्म दिवस पर “मजदूर अधिकार अभियान” का समापन करते हुए उनके विचारों को आत्मसात करते हुए आज के दौर के कॉरपोरेट कंपनी राज के खिलाफ लड़ने का संकल्प लिया गया। गौरतलब है कि मजदूरों के 44 श्रम कानूनों को खत्म कर मोदी सरकार द्वारा 4 श्रम कोड लाकर मजदूरों को गुलामी की ओर धकेलने के खिलाफ 16 सितंबर से “ऐक्टू” का देशव्यापी अभियान चल रहा है। आज इस अभियान का समापन ‘लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ,भगत सिंह के सपनों का भारत बनाओ; निजीकरण पर रोक लगाओ,
कॉरपोरेट- कम्पनी राज मिटाओ; मजदूर-किसान अधिकार बचाओ,
अडानी-अम्बानी का राज मिटाओ; गुलामी के श्रम कोड वापस लो नारों के साथ हुआ। इस अवसर पर ऐक्टू, क्रालोस, भाकपा (माले),पछास, सनसेरा यूनियन, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र ने संयुक्त रूप से बुद्धपार्क में धरना प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए ट्रेड यूनियन ‘ऐक्टू’ के उत्तराखंड प्रदेश महामंत्री के के बोरा ने कहा कि, “मज़दूरों को अधिकारों से वंचित किया जा रहा है. किसान दाने दाने को मोहताज़ हैं। समाज को चूसने वालों के वारे-न्यारे हो रहे हैं। मोदी सरकार ने अपने चहेते पूंजीपतियों के हिसाब से कानूनों में संशोधन करके देश को एक नए कंपनी राज की ओर धकेल दिया है जिसका पुरजोर प्रतिवाद किया जायेगा। किसानों मजदूरों के देशव्यापी आंदोलन इन जनविरोधी कानूनों के खिलाफ अब रुकने वाले नहीं हैं।”
ऐक्टू नेता डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “मोदी सरकार ने श्रम सुधारों के नाम पर मजदूरों के श्रम कोड और कृषि सुधार के नाम पर किसानों से संबंधित तीन कृषि कानून मजदूर-किसानों और विपक्ष के जिस व्यापक विरोध के बावजूद अफरातफरी में पास किये उसकी भारतीय संसदीय इतिहास में मिसाल मिलना मुश्किल है। बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने की मोदी सरकार की इतनी अधिक व्यग्रता ने साफ दिखा दिया है कि उसके लिये लोकतंत्र, संसद और किसान-मजदूरों के कोई मायने नहीं हैं। केवल बड़े पूंजीपतियों के फायदे के लिए ही यह सरकार काम कर रही है और नीति नियम बना रही है।
धरना प्रदर्शन के माध्यम से प्रस्ताव लेते हुए मांग की गई कि मजदूरों की गुलामी के श्रम कोड वापस लिए जायँ, किसानों को बड़े पूंजीपतियों का बंधुवा मजदूर बनाने वाले तीनों काले कृषि कानून वापस लिए जायँ, बेरोजगारों को रोजगार की गारंटी दे सरकार। मजदूरों किसानों और बेरोजगारों की लड़ाई में ऐक्टू, क्रालोस, भाकपा (माले), पछास, सनसेरा यूनियन, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र पूरी ताकत के साथ है।
इस मौके पर ऐक्टू ट्रेड यूनियन के कामरेड के के बोरा, डॉ कैलाश पाण्डेय, क्रालोस के पी पी आर्य, मोहन मटियाली, टी आर पाण्डे, भाकपा (माले) के ललित मटियाली, देवेन्द्र रौतेला, हरीश भंडारी, पछास के चंद्रशेखर, रजनी जोशी, सनसेरा श्रमिक यूनियन के अध्यक्ष दीपक कांडपाल, महामंत्री जोगेन्द्र लाल, विवेक ठाकुर, रोशन निनावे, संकरन सामंत, प्रेम बिष्ट, प्रकाश कपकोटी, सोनू सिंह, विनोद भट्ट, कमलेश जोशी, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की शबाना, आलिया, दीपा, नीता एवं धीरज कुमार, हीरा बिष्ट, चंद्रा सिंह, सचिन, सौरभ, चेतन जोशी आदि शामिल रहे ।

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