हल्द्वानी का हत्यारा अस्पताल : कोविड संक्रमित महिला के परिजनों से उपचार के नाम पर जमकर लूट—खसोट, हालत बिगड़ी तो कर दिया डिस्चार्ज, मौत के बाद भी फर्जी बिलों का मांग रहा भुगतान, पीड़ित पक्ष ने कोतवाली में दी तहरीर

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा हल्द्वानी के एक नामी प्राईवेट अस्पताल पर कोविड मरीज के उपचार के दौरान घोर लापरवाही बरतने का मामला प्रकाश में आया है।…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

हल्द्वानी के एक नामी प्राईवेट अस्पताल पर कोविड मरीज के उपचार के दौरान घोर लापरवाही बरतने का मामला प्रकाश में आया है। जिससे मरीज की बिना समुचित उपचार व देखभाल के दिल्ली पहुंचने पर मौत हो गई। मामले की तहरीर पीड़ित पक्ष की ओर से कोतवाली में दी गई है।

मरीज की मौत के बाद के बाद भी लूट—खसोट
सबसे हैरानी की बात तो यह है कि 23 तारीख को मरीज को डिस्चार्ज किया गया था और 24 को सुबह 3 बजकर 5 मिनट पर मरीज की मौत दिल्ली के मैक्स अस्पताल में हो गई थी। बावजूद इसके ठगी पर उतारू यह अस्पताल 24 तारीख के फर्जी बिल यह कहकर मरीजों के परिजनों को पकड़ा रहा है कि मरीज को 24 तारीख को दोपहर 12 बजकर 17 मिनट पर 2 हजार से अधिक मूल्य के इंजेक्शन लगवाये गये हैं।

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भ्रमित करते रहे डॉक्टर
आरोप है कि अस्पताल में महज विजिटिंग के लिए आने वाले डॉक्टर ने मरीज के उपचार में न केवल लापरवाही बरती, बल्कि मरीज के परिजनों को भी गलत जानकारियों के साथ भ्रमित करते रहे जिससे भर्ती मरीज की डिस्चार्ज होने के बाद मौत हो गई।

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कोतवाली में दी गई तहरीर
दरअसल, प्रान्तीय नगर उद्योग व्यापार मंडल के केंद्रीय सयोजक डॉ. धर्म यादव के नेतृत्व में पदाधिकारी कोतवाल मनोज रतूड़ी जी से मिले। उन्होंने कोतवाल को मृतका के पुत्र अंजन गुप्ता की ओर से दी गई लिखित में शिकायत में कहा कि संगठन के जिलाध्यक्ष राकेश गुप्ता की पत्नी ममता गुप्ता के इलाज में डॉक्टर द्वारा घोर लापरवाही की गई है और उनका इलाज सही नही किया गया है। जिससे उनकी पत्नी की मौत हो गई।

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7 दिन तक मरीज से मिलने नही दिया
मृतका के पुत्र की ओर से दी गई तहरीर में कहा गया है कि उनकी माता ममता गुप्ता के कोविड संक्रमित होने के बाद गत 5 मई को इस अस्पताल में भर्ती किया गया था। वहां उनकी माता का उपचार कर रहे एक चिकित्सक द्वारा उन्हें 5 मई से 11 मई तक मिलने भी नही दिया गया। अचानक 11 मई को कुछ कागजातों पर हस्ताक्षर करवाये गये। 11 मई के बाद दिन में दो बार मिलने की इजाजत दी गई।

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मां ने मौत से पूर्व बताई थी हकीकत, मंगाते रहे दवाएं दी एक भी नही
6 मई को उनकी माता ने उन्हें बताया कि अस्पताल में उन्हें किसी किस्म का कोई उपचार नही दिया जा रहा है। नर्सिंग स्टॉफ द्वारा उनसे कुछ दवाइयां मंगवाई गई, जनमें एक कफ सिरप भी था। प्रार्थी जब दवा लेकर वापस आया तो उसने देखा कि वहां पहले से खरीदी गई दो वही वाली कफ सि​रप टेबल पर पड़ी हैं। यानी जो दवाइयां मंगाई जा रही थीं, वह मरीज को दी ही नही जाती थी। यही हाल अन्य दवाइयों का था दवाओं के पत्ते जैसे के तैसे पड़े थे। कोई भी दवा मरीज को नही दी गई।

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सिर्फ दो घंटे के लिए आते थे डॉक्टर, बाकी टाइम अपनी प्राईवेट क्लिीनक पर
इधर जानकारी लेने पर मालूम चला कि जो डॉक्टर उनकी माता के उपचार के लिए नियुक्त हैं वह तो यहां केवल 2 घंटे के लिए आते हैं, बाकी समय अपनी निजि क्लिीनिक में बैठा करते हैं। तब वहां करीब 36 कोविड मरीज और भर्ती थे। यानी यह भी साफ हो गया कि यह डॉक्टर भी नाम मात्र के लिए मरीज को देख चलते बनते थे। यह भी पता चला कि यह मरीज को जान बूझ कर दवा नही देते थे ताकि मरीज की हालत गम्भीर हो जाये और वह अस्पताल में लंबे समय तक रहे। जिससे अस्पताल प्रबंधन उपचार के नाम पर मरीज के परिजनों से लूट—खसोट करता रहे।

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सामान्य बेड में थी भर्ती, कहा आईसीयू में है
पीड़ित ने बताया कि उनकी मां शुरूआत में सामान्य आक्सीजन बेड में भर्ती थी, लेकिन उन्हें आईसीयू में भर्ती दिखाया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि मरीज को डॉक्टर ने कोरोना संक्रमण के उपचार के संबंध में कोई भी दवा और थिरेपी दी ही नही। जब उन्होंने इसकी शिकायत संबंधित डॉक्टर से करी तो वह अत्यधिक नाराज हो गये और 23 तारीख को उन्होंने उनकी माताजी को अस्पताल से जबरन डिस्चार्ज करवा दिया।

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हालत सिरयस होने पर भी घर के लिए कर दिया डिस्चार्ज
पीड़ित ने यह भी आरोप लगाया कि डिस्चार्ज करते वक्त उनकी मां की हालत सीरियस थी, लेकिन डॉक्टरों ने अन्यत्र रेफर करने की बजाए घर जाने की सलाह दी और पर्चे में कुछ दवाएं लिख दी। मृतका के पुत्र ने बताया कि उनकी माता जी को अस्पताल से डिस्चार्ज जब किया गया तभी उनका आक्सीजन लेवल 50 प्रतिशत घट गया था। अतएव वह एंबूलेंस करके सीधे दिल्ली चले गये, लेकिन 24 तारीख को मैक्स अस्पताल दिल्ली में उनकी माता की मौत हो गई।

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मैक्स के चिकित्सकों ने उपचार पर जताया संदेह
मैक्स के डॉक्टरों ने जब ट्रीटमेंट हिस्ट्री देखी तो उन्होंने साफ कि मरीज की मौत का कारण हल्द्वानी के अस्पताल में समुचित उपचार नही देना और आईसीएमआर तथा एम्स नई दिल्ली द्वारा ट्रीटमेंट गाइडलाइंस का पालन नही करना है।

सुबह हो गई थी मौत, बोल रहे दोपहर इंजेक्शन लगाये, पे करो बिल
मृतका के पुत्र ने आगे तहरीर में लिखा है कि मां की मौत के बाद वह हल्द्वानी के संबंधित अस्पताल में कुछ पर्चे लेने गये, लेकिन अस्पताल ने कहा कि उनका उपचार का बिल शेष है, जबकि डिस्चार्ज के वक्त वह पूरी पेमंट कर चुके थे। उनसे कहा कि 24 तारीख को दोपहर 12 बजे के बाद अस्पताल में मरीज को दो इंजेक्शन लगाये गये थे। जिनकी कीमत 2460 रूपये है। उन्होंने कहा कि जिस मरीज की मौत 24 की सुबह 3 बजकर 5 मिनट पर दिल्ली के मैक्स अस्पताल में हो गई, उसको हल्द्वानी का अस्पताल उस दिन दोपहर 12 बजकर 17 मिनट पर इंजेक्शन कैसे लगा सकता है ? पीड़ित ने पुलिस को बताया कि हल्द्वानी का यह अस्पताल मरीजों का उपचार नही कर रहा, ​बल्कि मौत की फैक्ट्री चला रहा है।

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मामले की जांच कर रही है पुलिस, दोषी निकले तो करेंगे मुकदमा दर्ज : कोतवाल
इधर कोतवाल मनोज रतूड़ी कहा कि फिलहाल तहरीर के आधार पर जांच शुरू कर दी गई है। अगर अस्पताल प्रबंधन दोषी पाया जाता है तो मुकदमा दर्ज कर दिया जायेगा। इस मौके पर व्यापार मंडल के केंद्रीय संयोजक डॉ. धर्म यादव, प्रदेश कोषाध्यक्ष पूरन लाल साह, जिलाध्यक्ष राकेश गुप्ता टीटू, महानगर अध्यक्ष राजीव अग्रवाल, प्रदेश संगठन प्रभारी वीरेंद्र गुप्ता, देवेंद्र कोहली, मुनेश अग्रवाल, इशांत अरोरा, अवि शर्मा, पुनीत भोला, सौमित्र भट्ट, रमेश भट्ट आदि मौजूद थे।

पुलिस अपडेट का इंतजार
मामला फिलहाल पुलिस जांच के दायरे में होने के कारण अस्पताल व संबंधित चिकित्सक का नाम समाचार में नही दिया गया है, लेकिन जैसी ही जांच रिपोर्ट पुलिस जारी करती है और मुकदमा दर्ज होता है ख़बर का अपडेट भी जरूर दिया जायेगा।

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