नालागढ़ ब्रेकिंग : उद्योग शुरू, सरसा नदी में लाखों मछलियों की मौत

नालागढ़। प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बद्दी— बरोटीवाला— नालागढ़ में करीबन ढ़ाई महीने तक औद्योगिक इकाइयां ज्यादातर बंद रही अब सरकार की अनुमति मिलने…

नालागढ़। प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बद्दी— बरोटीवाला— नालागढ़ में करीबन ढ़ाई महीने तक औद्योगिक इकाइयां ज्यादातर बंद रही अब सरकार की अनुमति मिलने के बाद फैक्ट्रियों में कामकाज शुरू हो चुका है, जहां फैक्ट्रियों में काम का शुरू होने के कारण मजदूर काम पर वापस लौट रहे हैं वहीं फैक्ट्रियों के दोबारा शुरू होने के बाद इसके नुकसान भी सामने आने शुरू हो गए हैं। ताजा मामला नालागढ़ की सरसा नदी का है जहां पर रातों-रात जहरीला केमिकल युक्त पानी नदी में आने के कारण लाखों की तादाद में मछलियों की मौत हो चुकी है। हजारों की तादाद में मछलियों के ढेर नदी के किनारे देखे जा सकते हैं। नदी के आसपास मछलियां मरने के कारण दुर्गंध फैली हुई है। जिसके चलते आसपास के लोगों में बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है। स्थानीय ग्रामीणों ने सरकार व प्रशासन से जल्द नदी में खुलेआम नियमों को ताक पर रखकर केमिकल युक्त जहरीला पानी छोड़ने वाले उद्योगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।
आपको बता दें कि बीते 3 महीने तक का जब लॉकडाउन रहा था तब औद्योगिक क्षेत्र बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ की ज्यादातर फैक्ट्रियां बंद ही रही और सरसा नदी का पानी बिल्कुल साफ हो चुका था। जिसके कारण अब सरसा नदी में मछलियां भी दिखाई दे रही थी और उनकी तादाद बढ़ती जा रही थी, लेकिन जैसे ही सरकार ने फैक्ट्रियों को दोबारा खोलने की अनुमति दी वैसे ही फैक्ट्रियों द्वारा केमिकल युक्त जहरीला पानी सरेआम नियमों को ताक पर रखकर सरसा नदी में खुलेआम छोड़ दिया जिसके कारण सरसा नदी में जितनी भी मछलियां थी वह मर गई।
ग्रामीणों का कहना है कि लाखों की तादाद में मछलियां नदी के किनारे मरी हुई पड़ी है जिसके चलते उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। और साथ लगते गांवों में बीमारी फैलने का भी खतरा बना हुआ है ग्रामीणों का कहना है कि जब जब बरसात शुरू होती है तो फैक्ट्री मालिकों द्वारा केमिकल युक्त जहरीला पानी नदी में शुल्क खुलेआम छोड़ दिया जाता है। और ऐसी घटनाएं करीबन 50 बार हो चुकी है लेकिन विभाग द्वारा दिखावे के लिए मौके से सैंपल लिए जाते हैं और कार्रवाई के नाम पर लीपापोती की जाती है और उसके बाद फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की जाती है।
इस बारे में जब हमने पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के एस सी प्रवीण गुप्ता से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन तक नहीं उठाया।

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