प्रवासी मजदूरों को भीख नहीं, सम्मानजनक विशेष पैकेज चाहिए – ऐक्टू

हल्द्वानी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 12 मई के राष्ट्र को संबोधन में घोषित 20 लाख करोड़ रूपये के वित्तीय पैकेज के दूसरे भाग में…

हल्द्वानी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 12 मई के राष्ट्र को संबोधन में घोषित 20 लाख करोड़ रूपये के वित्तीय पैकेज के दूसरे भाग में प्रवासी मजदूरों को अनाज-दालें देने के लिये 3,500 करोड़ रूपये का आवंटन इन मजदूरों की भयावह हालत के साथ एक भद्दा व क्रूर मजाक है, मोदी सरकार की इनके प्रति आपराधिक अनदेखी व संवेदनहीनता का परिचायक है। इस पैकेज में छोटे किसानों, स्ट्रीट वेंडरों, छोटे दुकानदारों के लिये भी कोई ठोस राहत नहीं है, सिवाय कर्ज देने के जिसे ब्याज समेत वापस चुकाना होगा।” यह बात ऐक्टू राज्य कार्यकारिणी सदस्य डॉ कैलाश पाण्डेय ने मोदी सरकार के मजदूरों के तथाकथित पैकेज पर प्रेस बयान के माध्यम से कही।
उन्होंने कहा कि, “लाॅकडाउन के तीसरे चरण के अंतिम भाग यानी 52 दिन पूरे होने पर भी प्रवासी मजदूर भूख-प्यास, शरीर को तोड़ देनी वाली थकान और बीमारियां झेलते हुए हजारों किलोमीटर पैदल अपने घरों को वापस जाने के लिये बाध्य हैं। अपने घरों को पहुंचने की जद्दोजहद में आए दिन ये मौत का शिकार बन रहे हैं। पिछले 24 घंटों में देश के विभन्न हिस्सों में 15 और मजदूर दुर्घटनाओं का शिकार हुए हैं। 8 मई को 16 मजदूर महाराष्ट्र के औरंगाबाद में ट्रेन से कुचलकर मारे गए। ये मौतें सिर्फ और सिर्फ लाॅकडाउन-जनित जनसंहार है, और कुछ नहीं। परपीड़न में आनंद लेने वाली मोदी सरकार के लिये ये मजदूर, जो देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, दोयम दर्जे के नागरिक हैं, इनकी मौतें कीड़े-मकोड़ों की मौतें से अधिक नहीं है।”

ऐक्टू नेता ने कहा कि, “ऐसे में जब प्रवासी समेत देश का समस्त मजदूर वर्ग लाॅकडाउन की सबसे बड़ी मार झेल रहा है, सरकार के लिये, जैसा कि मोदी के हालिया भाषण से स्पष्ट है, प्रवासी मजदूर नहीं, उच्चतम प्राथमिकता काॅरपोरेटों, बड़े उद्योगपतियों के मुनाफों में हुए नुकसान को पूरा करना और इन मुनाफों को बढ़ाना है, जिसके लिये उसने ‘‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’’ का शगूफा छेड़ा है। श्रम कानूनों को खत्म करने, प्रवासी मजदूरों को बंधुआ मजदूरी के लिये बाध्य करने, सामाजिक सुरक्षा को और कमजोर करने आदि के कदम साफ तौर पर दर्शाते हैं कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ का निर्माण गुलामों के श्रम पर किया जाएगा, आर्थिक संकट का समूचा भार मजदूरों पर डाला जाएगा।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *