Almora : साठोत्तरी युग के प्रतिष्ठित साहित्यकार थे स्व. बलवंत मनराल

⏩ 82वीं जयंती पर तमाम साहित्यकारों व गणमान्य लोगों ने दी श्रद्धांजलि ⏩ बलवंत मनराल साहित्य सृजन समिति का किया गया गठन अल्मोड़ा। साठोत्तरी युग…

82वीं जयंती पर तमाम साहित्यकारों व गणमान्य लोगों ने दी श्रद्धांजलि

बलवंत मनराल साहित्य सृजन समिति का किया गया गठन

अल्मोड़ा। साठोत्तरी युग के चर्चित कथाकार एवं सुप्रसिद्ध साहित्यकार स्व. बलवंत मनराल की 82वीं जयंती यहां माल रोड स्थित होटल रंजना परिसर में मनाई गई। जिसमें स्व. बलवंत मनराल को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की और वक्ताओं ने उनके साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डाला। इस मौके पर बलवंत मनराल की स्मृति में ‘बलवंत मनराल साहित्य सृजन समिति’ का गठन किया गया।

यहां आयोजित जयंती समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन तथा साहित्यकार बलवंत मनराल के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित करते हुए किया गया। इस मौके पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी, स्व. बलवंत मनराल की धर्मपत्नी सुधा मनराल, पुत्र दीपक मनराल, पुत्रबधू सरोज मनराल, वरिष्ठ साहित्यकार श्याम सिंह कुटौला, पूर्व दर्जा मंत्री केवल सती, साहित्यकार डा. रमेश चंद्र पांडे ‘राजन’, दीपक कार्की, उल्का सोसायटी की अध्यक्ष लता बोरा, वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र रावत व चंदन नेगी, समाजसेविका गंगा पांडे, उलोवा के सचिव दयाकृष्ण कांडपाल आदि ने स्व. बलवंत मनराल का भावपूर्ण स्मरण करते हुए पुष्पांजलि अर्पित की और अपनी बात रखी। इससे पूर्व साहित्यकार डा. रमेश चंद्र पांडे ‘राजन’ ने प्रतिष्ठित साहित्यकार बलवंत मनराल के साहित्यिक योगदान व उनके व्यक्तित्व व कृतित्व में स्मृति पत्र का वाचन किया।

वक्ताओं ने सुप्रसिद्ध साहित्यकाकर बलवंत मनराल के जीवन के अनेक संस्मरण सुनाए और उन्हें साठोत्तरी युग का एक महान साहित्यकार व कथाकार बताया। वक्ताओं ने कहा कि पहाड़ के बलवंत मनराल जैसे अपराजेय साहित्यकार को शासन-प्रशासन द्वारा आज तक कोई सम्मान नहीं मिल पाया, जिसके वह वास्तविक हकदार थे। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि साहित्यकार बलवंत मनराल के नाम पर पुरस्कारों व सम्मानों की घोषणा की जाए। वक्ताओं ने कहा कि आज बलवंत मनराल हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विविध और व्यापक आयाम देती कहानियां, कविताएं, हास्य व्यग्ंय पूर्ण रचनाएं एवं समृद्ध साहित्य हमारे बीच मौजूद है। जिसका प्रचार प्रसार किया जाना चाहिए। वर्ष 1960 से लेकर अपने जीवन के अंतिम समय तक स्व. बलवंत मनराल ने हिंदी साहित्य को अपनी कहानियों, हास्य व्यग्ंयों, कथाओं, बाल कविताओं इत्यादि करीब 22 से अधिक पुस्तकों से सींचा है। वक्ताओं ने उनके साथ बिताए कई संस्मरण सुनाए।

कार्यक्रम के अंत में साहित्यिक एवं लेखन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए सभी लोगों के सुझाव पर सर्वसम्मति से बलवंत मनराल साहित्य सृजन समिति का गठन कर लिया गया। जिसमें डा. रमेश चंद्र पांडे ‘राजन’ अध्यक्ष, राजेंद्र रावत वरिष्ठ उपाध्यक्ष, अनूप सिंह जीना उपाध्यक्ष, दीपक मनराल सचिव, चंदन नेगी कोषाध्यक्ष, गंगा पांडे उप सचिव, एडवोकेट केवल सती कानूनी सलाहकार चुने गए। इनके अलावा संरक्षक मंडल में सुधा मनराल, पालिकाध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी, प्रो. शेखर चंद्र जोशी, श्याम सिंह कुटौला, दीपक कार्की व लता बोरा को शामिल किया गया। कार्यकारिणी सदस्यों में प्रो. भीमा मनराल, प्रो. वीडीएस नेगी, अभय साह, सरोज मनराल, दयाकृष्ण कांडपाल, आनंदी मनराल, चंद्रा नेगी आदि शामिल किए गए। कार्यक्रम में प्रो. शेखर चंद्र जोशी, राजीव सिंह बोरा, पत्रकार चंद्रशेखर द्विवेदी, कमलेश कनवाल, हिमांशु लटवाल, नसीम अहमद, अनूप जीना, हिंदू जागरण मंच के जिलाध्यक्ष अभय साह, एससी जोशी, चंद्रा नेगी, तारा नेगी, गोविंद अधिकारी आदि उपस्थित रहे।

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