स्मृति शेष: प्रो. (स्व.) शेर​ सिंह बिष्ट ने जीवन पर्यंत हिंदी व कुमाऊंनी साहित्य को सींचा, सम्मानों की लंबी फेहरिस्त बनी उनकी कठिन साहित्य साधना की गवाह

सीएनई डेस्क, अल्मोड़ासरल—मृदुल एवं जाने—माने साहित्यकार प्रो. शेर सिंह बिष्ट का अचानक दुनिया से चले जाने से हिंदी व कुमाऊंनी साहित्य जगत स्तब्ध है। उनकी…

सीएनई डेस्क, अल्मोड़ा
सरल—मृदुल एवं जाने—माने साहित्यकार प्रो. शेर सिंह बिष्ट का अचानक दुनिया से चले जाने से हिंदी व कुमाऊंनी साहित्य जगत स्तब्ध है। उनकी साहित्य साधना का लंबा सफर कभी भुलाया नहीं जा सकता। हिंदी साहित्य को सींचने में उनके द्वारा दिए गए अथाह योगदान की गवाही उन्हें मिले तमाम सम्मान देते हैं। अल्मोड़ा जनपद के भनोली तहसील अंतर्गत ग्राम डुंगरा में 10 मार्च 1953 को जन्मे प्रो. शेर सिंह बिष्ट ने कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल से पीएचडी व डी.लिट् की उपाधि प्राप्त की। इसी के साथ वह साहित्य साधना में जुट गए।

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साहित्य साधना का सफर: प्रो. शेर सिंह बिष्ट की साहित्य साधना उल्लेखनीय है। उन्होंने ​साहित्य की हर विधा में लेखनी चलाई। सम्पादन कार्य में भी उल्लेखनीय योगदान दिया। खासकर यह योगदान शेरदा अनपढ़ संचयन, कुमाउँनी का परिनिष्ठित साहित्य, आधुनिक हिन्दी काव्य संकलन, सूर्योदय से पहले, भाषा-सम्प्रेक्षण: विविध आयाम, मानक हिन्दी शब्दावली, जनपदीय भाषा-साहित्य एवं कथा-विविधा के संपादन में रहा। प्रो. बिष्ट की 46 पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है, इनमें से तीन दर्जन मौलिक एवं 10 संपादित हैं। इन के साथ ही 8 पुस्तक समीक्षा, 150 से अधिक लेख व शोध पत्र का प्रकाशन हुआ है। उन्होंने 5 पुस्तकें कुमाऊंनी में लिखी हैं और इनमें से भारत माता कविता संग्रह को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान से पुरस्कृत किया गया। इनके अलावा चार हिंदी कविता संग्रह, तीन कुमाऊंनी कविता संग्रह, दो कुमाऊंनी निबंध संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अलावा सौ से ज्यादा कुमाउंनी एवं हिन्दी कविताओं का प्रकाशन हो चुका है। उनका अल्मोड़ा आकाशवाणी से समय—समय पर भेंटवार्ता, परिचर्चा, काव्य पाठ, कहानी आदि का प्रसारण होता रहा।

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उनके निर्देशन में करीब डेढ़ दर्जन शोधार्थी पीएचडी कर चुके हैं। उनके 16 पीएचडी व एक डी. लिट् मूल्यांकित शोध प्रबंध भी हैं। गत वर्ष ही साहित्य अकादमी नई दिल्ली ने प्रो. शेर सिंह बिष्ट की गोविंद बल्लभ पंत पर पुस्तक प्रकाशित की है। इस पुस्तक में महान साहित्यकार गोविंद बल्लभ पंत के समग्र साहित्य का अध्ययन, विश्लेषण और मूल्यांकन समाहित है। हिंदी साहित्य के क्षेत्र में यह बड़ी उपलब्धि है।

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साहित्य साधना ने लगाई सम्मानों की झड़ी: प्रो. शेर सिंह बिष्ट ने कुमाउंनी तथा हिन्दी में शैक्षिक एवं साहित्यिक संबंधी दो दर्जन से अधिक ग्रन्थ प्रकाशित किए। साहित्य जगत में उल्लेखनीय कार्यों के लिए संस्थाओं व अकादमियों की ओर से विभिन्न सम्मानों से प्रो. बिष्ट विभूषित हुए। इनमें आचार्य नरेन्द्र देव पारितोषिक सम्मान, आचार्य नरेन्द्र देव अलंकार सम्मान, यूजीसी कैरियर अवार्ड, सुमित्रानन्दन पंत नामित पुरस्कार, उत्तराचंल रत्न अवार्ड, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय साहित्य सम्मान, राष्ट्रीय साहित्य सम्मान, भारत ज्योति अवार्ड, विवेक गोयल साहित्य पुरस्कार, महाकवि हरिशंकर आदेश साहित्य, चूड़ामणि सम्मान, मोहन उप्रेती शोध समिति सम्मान, देवसुधा रत्न अलंकरण सम्मान व लाइव टाइम अचीवमेंट अवार्ड विभूषित तथा डॉ. गोविन्द चातक सम्मान शामिल हैं।

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