सीएनई एक्सक्लूसिव : एसटीएच हल्द्वानी के टायलेट में मृत मिले कोरोना संक्रमित के बेटे ने किए चौंकाने वाले खुलासे, कटघरे में एसटीएच प्रशासन, पढ़िए दस अनुत्तरित प्रश्न

तेजपाल नेगी हल्द्वानी। कोरोना स्पेशल डा. सुशीला तिवारी चिकित्सालय में बेड से गायब कोरोना संक्रमित व्यक्ति का शव लगभग 30 घंटे के बाद चिकित्सालय के…

तेजपाल नेगी

हल्द्वानी। कोरोना स्पेशल डा. सुशीला तिवारी चिकित्सालय में बेड से गायब कोरोना संक्रमित व्यक्ति का शव लगभग 30 घंटे के बाद चिकित्सालय के ही एक बाथरूम से मिलने के मामले में मृतक के बेटे सरफराज अहमद ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

सीएनई से बातचीत में मृतक के बेटे सरफराज ने बताया कि दावा किया जा रहा है कि उनके पिता कोरोना से संक्रमित थे, लेकिन अभी तक उनके परिवार के किसी सदस्य की कोरोना जांच करने की ओर स्वास्थ्य विभाग का ध्यान नहीं गया है। पुलिस क्षेत्राधिकारी के कहने पर पांच अगस्त को उनकी कोरोना जांच कराई गई थी लेकिन अभी तक रिपोर्ट से उन्हें अवगत नहीं कराया गया है।
सरफराज ने सीएनई को पिता को एसटीएच में भर्ती कराने से लेकर उनके शव मिलने और आज तक की स्थिति पर विस्तृत बातचीत की।

उन्होंने बताया कि उनके पिता 53 वर्षीय रईस अहमद शूगर और रक्तचाप से ग्रस्त थे। उनका उपचार काशीपुर के एक चिकित्सालय में चल रहा था, लेकिन जब उन्हें सांस लेने की दिक्कत हुई तो डाक्टरों ने उन्हें काशीपुर के उजाला चिकित्सालय में जाने व कुछ टेस्ट करने का सुझाव दिया। इसके बाद उजाला चिकित्सालय में उनके एक्सरे और सीटी स्कैन कराए गए। बाद में डाक्टरों ने बताया कि उनमें न्यूमीनिया के लक्षण दिख रहे हैं लेकिन इसका उपचार करने से पहले उनकी कोरोना जांच होना जरूरी है। इस पर वह अपने पिता को एंबुलैंस में लेकर एसटीएच पहुंचा जहां चिकित्सकों ने उन्हें भर्ती कर लिया। सरफराज को बताया गया कि रईस अहमद की कोरोना जांच की जाएगी और रिपोर्ट से उसे फोन पर अवगत करा दिया जाएगा, लेकिन यह रिपोर्ट उसे आज तक नहीं बताई गई। उसने बताया कि एक अगस्त से वह अपनी कार में एसटीएच के बाहर ही रहता था। रात को कार में ही सोता था। लेकिन उसे रिपोर्ट को लेकर कोई फोन नहीं आया। पांच अगस्त की सुबह तकरी बन साढ़े 6 बजे उसे एसटीएच से एक फोन आया जिसमें बताया गया कि उसके पिता अपने बेड से लापता हैं। उसने अंदर जाने का प्रयास किया तो उसे बताया गया कि उसके पिता की तलाश की जा रही है। दोपहर बाद उसने अपने एक हल्द्वानी निवासी परिचित को सारी बात बताई वे भी तुरंत चिकित्सालय पहुंच गए। उन्होंने चिकित्सालय के चिकित्सा प्रभारी और प्राचार्य से अलग अलग फोन पर बात की सभी ने बताया कि रईस अहमद की तलाश की जा रही है। इस दौरान चिकित्सालय में अनाउंस किया जाने लगा था कि कोरोना संक्रमित रईस अहमद बिस्तर से भाग गए हैं। जब उसने टोका कि उसके पिता को कोरोना संक्रमित क्यों बताया जा रहा है जबकि उसे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। इस पर उसे चुप करा दिया गया। बाद में वह अपने परिचित के साथ एसपी सिटी अमित श्रीवास्तव से मिला। एसपी ने मेडिकल चौकी जाने के लिए कहा और पुलिस की मदद से अपने पिता को ढूंढने के लिए कहा। पुलिस ने भी उसके साथ पिता की काफी तलाश की लेकिन रईस अहमद का कहीं पता नहीं चला। रात को ही उसने अपने पिता की गुमशुदगी की तहरीर चौकी में दी लेकिन वहां शायद पहले ही उसके पिता की फरारी का मुकदमा दर्ज किया जा चुका था।
रात को ढाई बजे तक अपने पिता को एसटीएच के आसपास ढूंढने के बाद वह घर चला गया और सुबह तड़के ही दोबारा वहां जा पहुंचा। लेकिन एसटीएच प्रशासन ने उसे यह कहते हुए अंदर नहीं घुसने दिया कि अस्पताल में रईस अहमद को ढूंढ लिया गया है वे यहां नहीं हैं। फिर वह कातवाली पहुंचा और कोतवाल ने उसे फिर वापस एसटीएच गेट पर पहुंचने के लिए कहा, उन्होंने बताया कि वे भी स्वयं वहां के लिए निकल रहे हैं। जब वह एसटीएच गेट पर पहुंचा तो एक पुलिसकर्मी अंदर जाने के लिए पीपीई किट पहन रहा था। पुलिस कर्मी ने उसे भी एक किट दी और पहनने के लिए कहा। इसके बाद दोनों एसटीएच के अंदर गए और कोरोना के तमाम वार्डों में अच्छी तरह से रईस अहमद को तलाश किया। लेकिन वे क हीं नहीं मिले। इसके बाद आखिर में हार कर वे एसटीएच के ग्राउंड फ्लोर पर आ गए। जहां उन्होंने पीपीई किट उतार दी।
इस बीच उसके साथ गए पुलिसकर्मी ने ग्राउंड फ्लोर के नजदीकी बाथरूम में भी देख लेने के लिए कहा। इस बाथरूम के दरवाजे पर ही पड़ी चप्पलों को उसने पहचान लिया। जब वह अंदर गया तो अंदर उसके पिता के कपड़े पड़े हुए थे। जिन्हें उसने पहचान लिया। फिर एक टायलेट का खुले दरवाजे में एक नग्न व्यक्ति औंधे मुंह पड़ा हुआ दिखाई दिया। वह समझ गया कि यह उसके पिता ही हैं। दरवाजा खोलने पर उसे अपने पिता के पैरों में कई जख्म दिखे। जिनमें खून लगा था। उनके पैरों के तलवे सफेद पड़ चुके थे। सरफराज ने तुरंत ही चिल्लाना शुरू कर दिया। इस पर साथ गए पुलिसकर्मी ने उसे बाहर आ जाने के लिए कहा और अपने साथी पुलिसवालों को बुलाया। स्ट्रेचर मंगाया गया और शव को बाहर लाया गया।
सरफराज के अनुसार उसे अपने पिता के शव को दिखाया गया तो उसने देखा कि उनका चेहरा पूरी तरह से काला पड़ चुका है। इसी वजह से उसने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया। बाद में अन्य रिश्तेदारों ने उन्हें पहचाना। उनकी नाक के बाहर भी खून जम गया था।
इसके बाद पुलिस ने शव का पंचनामा करवा कर पोस्टमार्टम को भेजा और शाम को शव पैक कर के अंतिम संस्कार के लिए उन्हें सोंप दिया गया। दो पुलिसकर्मी उनके साथ भेजे गए। रामनगर कोतवाली से भी दो पुलिसकर्मी उनके साथ और भेजे गए। शव को घर ले जाने के लिए पुलिस ने ही मना किया और शव को सीधे कब्रिस्तान पहुंचाया गया, लेकिन दफनाने की पूरी प्रक्रिया उन्होंने पीपीई किट पहन कर स्वयं किया। जबकि नियम के अनुसार यह काम स्वास्थ्य विभाग द्वारा ही किया जाता है।
सरफराज ने पूरी कहानी में कुछ गंभीर सवाल भी उठाए हैं। उसका पहला सवाल है कि उसके पिता को कोरोना पाजिटिव निकले हैं यह बात एसटीएच ने उसे फोन पर क्यों नहीं बताई गई। जबकि मरीज की जानकारी में उसने अपना नंबर दर्ज कराया था, और उसके पिता के लापता होने की जानकारी उसी नंबर पर एसटीएच द्वारा दी गई थी। उसका दूसरा सवाल है कि पूरे बिस्तर से गायब होने के पूरे तीस घंटे बाद उसके पिता का शव ग्राउंड फ्लोर के बाथरूम में नग्न स्थिति में मिला। लेकिन शव बिल्कुल ताजा लग रहा था। यानी गायब होने के बाद उसके पिता रात तक जीवित रहे। अगर यह बात सही है तो वे चिकित्सालय में कहा रहे।
तीसरा सवाल— चिकित्सालय के तमाम सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांची गईं लेकिन उसके पिता कहीं नहीं दिखे। अगर वे खुद चलकर गए थे तो ऐसा कैसे संभव हो गया।
सरफराज का चौथा सवाल है कि उसके पिता के पैरों पर जख्म किस चीज के थे, उनके पैरों के तलवे बिल्कुल सफेद कैसे हो गए थे।
पांचवां सवाल यह है कि जिस बाथरूम में उसके पिता का शव मिला उसके पास ही दो पुलिसकर्मी नियमित ड्यूटी पर होते हैं, उन्होंने उसके पिता को क्यों नहीं देखा।
सरफराज का छठा सवाल यह है कि तीस घंटे पहले गायब हुए उसके पिता का शव टायलेट में मिला तो क्या यह संभव है कि कोई भी सफाईकर्मी या अन्य कोई व्यक्ति इस दौरान बाथरूम में घुसा ही नहीं।
उसका सातवां सवाल— पांच अगस्त को पुलिस क्षेत्राधिकारी की सलाह पर उसका कोरोना टेस्ट हुआ था जिसका रिजल्ट निगेटिव आया, लेकिन उसके परिवार के दूसरे सदस्यों के सैम्पल तुरंत क्यों नहीं लिये गये।

आठवां सवाल— अगर उसके पिता कोरोना संक्रमित थे तो उसके परिवार के बाकी सदस्यों की जांच के लिए चार दिन बाद भी स्वास्थ्य विभाग की टीम क्यों नहीं पहुंची।
सरफराज का नौंवा सवाल है कि कोरोना संक्रमित उसके पिता के अंतिम संस्कार के लिए स्वास्थ्य विभाग का कोई व्यक्ति क्यों नहीं पहुंचा।
और दसवां सवाल जो सरफराज को लगातार परेशान कर रहा है वह यह है कि जब पहली मंजिल जहां से उसके पिताजी लापता हुए थे उन्हें तलाश कर वे ग्रांउड फ्लोर पर आकर अपनी पीपीई किट खोल चुके थे तो उसके साथ गए पुलिसकर्मी ने उसे यह क्यों कहा कि एक बार इस बाथरूम में भी देख लो !

इस प्रकरण की न्यायिक जांच जिलाधिकारी नैनीताल सविन बंसल ने सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपी है। उम्मीद है उनकी जांच रिपोर्ट में इन सवालों के जवाब सरफराज को मिल सकेंगे।

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