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रामनगर : राज्य आंदोलनकारियों ने 2 अक्टूबर को काले दिवस के रूप में मनाया

रामनगर। शहीद पार्क लखनपुर में राज्य आंदोलनकारी उत्तराखंड सरकार होश में आओ, खटीमा-मसूरी-मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को सजा दो के नारों से लिखी पट्टियों को हाथों में लेकर नारेबाजी की। राज्य आंदोलनकारी प्रभात ध्यानी ने कहा कि राज्य निर्माण की मांग को लेकर दिल्ली जा रहे महिला राज्य आंदोलनकारियों के साथ हुई दुराचार की घटना को आज 26 वर्ष पूरे हो गए हैं। 42 से ज्यादा राज्य आंदोलनकारियों की शहादत के बाद राज्य को अस्तित्व में आए हुए 20 वर्ष हो गए हैं लेकिन आज तक उत्तराखंड की सरकारें दोषियों को सजा नहीं दिला पाए हैं।

वरिष्ठ आंदोलनकारी पीसी जोशी ने कहा कि उत्तराखंड का दुर्भाग्य है कि सत्ता में ऐसे लोग पहुंचे जिन्हें राज्य की महिलाओं के दर्द, सम्मान एवं स्वाभिमान का एहसास नहीं है। आंदोलनकारी इंदर सिंह मनराल ने कहा कि उत्तराखंड की स्वाभिमानी जनता एवं राज्य आंदोलनकारी 2 अक्टूबर 1994 के उस काली सुबह को कभी नहीं भूलेंगे। इस अवसर पर शहीद राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि भी दी गई।

याद रहें कि 2 अक्टूबर 1994 को जब राज्य निर्माण की मांग को लेकर आंदोलनकारी राज्य की मांग को लेकर दिल्ली रैली में भाग लेने जा रहे थे तब तत्कालीन सरकार द्वारा रामपुर तिराहे नारसन के पास पुलिस प्रशासन ने आंदोलनकारियों को न केवल जबरन रोका बल्कि महिलाओं के साथ दुराचार किया तथा विरोध करने पर 6 से ज्यादा आंदोलनकारियों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

इस अवसर पर मनमोहन अग्रवाल, सुमित्रा बिष्ट, मोहनी पांडे, पीतांबरी रावत, पार्वती देवी, शांति बिष्ट, पान सिंह नेगी, हाफिज सईद अहमद, शेर सिंह लटवाल, योगेश सती, रईस अहमद, इंदर सिंह मनराल, पीसी जोशी व प्रभात ध्यानी आदि थे।

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