अल्मोड़ा। सकलाना टिहरी उत्तराखण्ड के युवा कमलेश भट्ट के पार्थिव शरीर को भारत सरकार द्वारा एयरपोर्ट से वापस दुबई भेजे जाने के भारत सरकार के कृत्य से उत्तराखण्ड के जनमानस में भारी आक्रोश है। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने यहां जारी बयान में बताया कि एक होटल में काम करने वाले कमलेश (24वर्ष) आबू धापी में 16 अप्रैल को मृत्यु हो गई थी। दिवंगत कमलेश के शव को काफी प्रयासों से वहीं कार्यरत रोशन रतूड़ी व उनके साथियों ने भारत भिजवाया, जहां एयरपोर्ट पर शव को लेने उनके परिजन इंतजार कर रहे थे, लेकिन उनके शव को भारत सरकार ने वापस दुबई भेज दिया। उन्होंने कहा कि आक्रोश तो इस बात का है कि आम गरीब व उत्तराखण्ड के लोगों के साथ ऐसा होता है। उन्होंने सवाल किया है कि जनता यह जानना चाहती है कि जब ऐसा कृत्य हुआ तब उत्तराखण्ड की डबल इंजन सरकार और उसके नेता क्या कर रहे थे ? उन्होंने सवाल किया है कि क्या उत्तराखण्ड के आम युवा के स्थान पर यदि किसी नेता, मंत्री, उद्योगपति, ब्यूरोक्रेट का परिजन होता तो क्या शव के साथ यही व्यवहार होता ?

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जानिये, क्या था यह दु:खद हादसा
टिहरी गढ़वाल के सकलाना पट्टी में एक गांव है सेमवाल गांव। यहां रहने वाला कमलेश भट्ट दुबई में जॉब करता था। 16 अप्रैल को हार्ट अटैक से उसकी मौत हो गई। परिवार वाले पिछले कई दिन से बेटे का शव उत्तराखंड पहुंचने का इंतजार कर रहे थे। लॉकडाउन के कारण देश में बनी स्थितियों के कारण बड़ी मुश्किलों से भारत पहुंचे कमलेश के शव को वापस भेज दिया गया। उल्लेखनीय है कि कमलेश भट्ट का एक छोटा भाई है और वो बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। कमलेश के पिता का नाम हरी प्रसाद है। कमलेश लगभग 25 साल का था और वो लगभग 3 साल से आबूधाबी काम कर रह रहा था। कमलेश साल भर में घर आता था, पिछले साल वो मई में अपनी बहन की शादी में 15 दिन की छुट्टी में घर आया था। बेटे की मौत माता—पिता के बड़ा झटका था, लेकिन परिवार को दूसरा झटका तब लगा जब दुबई से बमुश्किल भारत आया बेटे का शव लॉडाउन की वजह से वापस दुबई भेज दिया गया। जिन माता-पिता ने बेटे को गोद में खिलाया, उसके लिए कई सपने देखे, वो उसके अब तक अंतिम दर्शन भी ना कर सके। अब मां का घर में रो-रोकर बुरा हाल है। कमलेश की मां का बस इतना कहना है कि उनके बेटे के शव को भारत भेजा जाए। पिता हरि प्रसाद और भाई सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं।

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