यही है उत्तराखंड की धरती का स्वर्ग ! तादाद बढ़ा रहे लुप्तप्राय जीव, फल रहा वन्य जीवन

सीएनई रिपोर्टर उत्तराखंड निरंतर घट रहे वन्य क्षेत्रों और जंगली जानवरों के इलाकों में लगातार अधिकृत व अनाधिकृत रूप से बढ़ रहे कदमों ने जहां…

सीएनई रिपोर्टर उत्तराखंड

निरंतर घट रहे वन्य क्षेत्रों और जंगली जानवरों के इलाकों में लगातार अधिकृत व अनाधिकृत रूप से बढ़ रहे कदमों ने जहां प्राकृतिक असंतुल को जन्म दिया है, वहीं मानव—वन्य जीव संघर्ष भी बढ़ता जा रहा है। बावजूद इसके, उत्तराखंड में एक इलाका ऐसा भी है, जहां बखूबी वन्य जीवन फल—फूल रहा है। सबसे सुखद अहसास यह है कि यहां प्राय: विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुके हिम तेंदुए, नीली भेड़ और काले व भूरे भालू सहित तमाम वन्य जीव अपनी संख्या बढ़ा रहे हैं। News WhatsApp Group Join Click Now

उत्तराखंड की धरती का यह स्वर्ग देश के उत्तरी भाग में गढ़वाल के चमोली जनपद में स्थित हिमालय पर्वत श्रृंखला अंतर्गत Nanda Devi Biosphere Reserve है। आपको बता दें कि Valley of Flowers National Park अपने अल्पाइन फूलों और outstanding natural beauty के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इस Biosphere Reserve में आरक्षित वन, घास के ढलान, alpine meadow (बगियाल) और बर्फ से ढके क्षेत्र शामिल हैं। इन घास के मैदानों में बड़ी संख्या में दुर्लभ और लुप्तप्राय, देशी और स्थानिक पेड़—पौघों व वन्य जीवों की प्रजातियां हैं।

रिजर्व की Unique topography, climate, soil and geographical conditions विभिन्न आवासों, समुदायों और ecosystem को जन्म देती है। यहां एक हजार से अधिक पौधों की प्रजातियों को भी दर्ज किया गया है। फूलों की घाटी के निवासी 224 प्रजातियों का उपयोग दवा, भोजन और पशु चारा जैसी आवश्यक्ताओं के लिए करते हैं। Biosphere Reserve में 15 हजार से अधिक लोग रहते हैं। बफर जोन में 45 विलेज शामिल हैं।

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यहां रहने वाली Local Community मुख्य रूप से दो जातीय समूहों, Indo-Mongoloid (Bhotia) and Indo-Aryan से संबंधित हैं। transition zone में 55 से अधिक गांव शामिल हैं और यह अधिकतर Scheduled Tribes, Scheduled Castes Brahmins and Rajputs द्वारा बसाया हुआ है। स्थानीय लोग अपनी आजीविका निर्वहन हेतु कृषि, दूध के लिए रियर मवेशी और ऊन के लिए भेड़ पालन करते हैं। Cultivation of medicinal plants, sheep rearing, agriculture and horticulture ग्रामीणों के मुख्य आय के स्रोतों में से एक हैं। समग्र बायोस्फीयर रिजर्व को वforest director/conservator द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

हाल में सुखद सूचना यह आई है कि भारतीय वन्यजीव संस्थान और वन विभाग के विशेषज्ञों द्वारा राज्य के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कराये गये सर्वे में हिम तेंदुओं समेत तमाम वन्यजीवों की गणना के बेहतरीन परिणाम सामने आये हैं। उत्तराखंड की इस अद्भुत धरोहर नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व में वन विभाग की ओर से लगाए गए ट्रैक कैमरे में कई हिम तेंदुए, काले भालू, भूरे भालू और नीली भेड़ समेत कई प्रजातियों के वन्य जीव नजर आ रहे हैं।

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नंदा देवी बायोस्फीयर रिज़र्व के निदेशक अखिलेश तिवारी बताते हैं कि कैमरे में कई हिम तेदुओं की चहलकदमी को कैद किया गया है, जो लुप्तप्राय: हो चुके थे। ज्ञात रहे कि अकसर हिम तेंदुए तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाले ठंडे इलाकों में निवासरत रहते हैं। यहां साधारण तेंदुए जीवित नहीं रह सकते हैं।

जानिये यह महत्वपूर्ण तथ्य —

  • नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान यानी नन्दादेवी राष्ट्रीय अभ्यारण्य भारत के उत्तराखण्ड राज्य में नन्दा देवी पर्वत के आस-पास का इलाका है, जो कि लगभग 630.33 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ उत्तर-भारत का largest sanctuary है।
  • इस अभ्यारण्य को सन् 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान सहित सन् 1988 में इसे World Heritage, World Organization UNESCO द्वारा घोषित किया गया था।
  • Flower Vally राष्ट्रीय उद्यान के साथ मिलकर नन्दा देवी बायोस्फ़ियर रिज़र्व बनता है, जिसका कुल क्षेत्रफल 2236.74 वर्ग किमी है।
  • इसके चारों ओर 5148.57 वर्ग किमी का मध्यवर्ती क्षेत्र (buffer zone) है। यह रिज़र्व यु UNESCO’s list of biosphere reserves of the world सन् 2004 से अंकित किया जा चुका है।
  • इस अभयारण्य को दो भागों में बांटा जा सकता है, भीतरी और बाहरी। दोनों को North, East and South की तरफ से दीवारनुमा ऊंची-ऊंची चोटियों घेरे हुये हैं और पश्चिम की तरफ़ उत्तर और mountain ranges of the south
    ऋषिगंगा दर्रे में जाकर मिल जाती हैं।
  • भीतरी अभयारण्य लगभग पूरे क्षेत्रफल के दो तिहाई हिस्से में फैला हुआ है और इसी इलाके में नंदा देवी पर्वत के साथ-साथ Northern and Southern Sage Glaciers भी हैं, जो नंदा देवी चोटी के दोनों ओर स्थित हैं। tributary glaciers of these two glaciers क्रमशः उत्तरी और दक्षिणी नंदा देवी हिमनद हैं।
  • Eric Shipton and Bill Tillman सन् 1934 में भीतरी अभयारण्य में ऋषि दर्रे के रास्ते पहुंचने वाले पहले मनुष्य माने जाते हैं।
  • बाहरी अभयारण्य पश्चिम में कुल क्ष्रेत्रफल का एक तिहाई हिस्सा लेता है और भीतरी अभयारण्य से high mountain ranges
    से अलग होता है। इसमें ऋषिगंगा बहती है जो इसे दो भागों में बांटती है। इसके उत्तरी भाग में रमनी हिमनद है जो The slopes of the Dunagiri and Changbang peaks
    से नीचे बहता है। इसके दक्षिणी भाग में त्रिशूल पर्वत है।
  • नंदा देवी जैव मंडल में पक्षियों की लगभग 130, तितलियों की 40 और मकड़ियों की भी लगभग 40, प्रजातियां पाई जाती हैं। जानवरों में Himalayan Bear, Himalayan Tahr, Bharal, Musk Deer, Langur, Goral, Leopard, Red Fox etc. यहां संरक्षित जीवों की श्रेणी में आते हैं।

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अभ्यारण्य के अन्तर्गत mountain peaks —

  • नंदा देवी: 7816 मीटर
  • देवीस्थान एक: 6678 मीटर
  • देवीस्थान दो: 6529 मीटर
  • ऋषि कोट: 6236 मीटर
  • हनुमान: 6075 मीटर
  • दूनागिरी: 7066 मीटर
  • चांगाबांग: 6864 मीटर
  • कलंक: 6931 मीटर
  • ऋषि पहर: 6992 मीटर
  • मंगराओं: 6568 मीटर
  • देव दमला: 6620 मीटर
  • बमचु: 6303 मीटर
  • सकरम: 6254 मीटर
  • लाटु धुरा: 6392 मीटर
  • सुनंदा देवी: 7434 मीटर
  • नंदा खाट: 6611 मीटर
  • पनवाली द्वार: 6663 मीटर
  • मैकटोली: 6803 मीटर
  • देवटोली: 6788 मीटर
  • मृगथुनी: 6855 मीटर
  • त्रिशूली एक: 7120 मीटर
  • त्रिशूली दो: 6690 मीटर

त्रिशूली तीन: 6008 मीटर

  • बेथरटोली हिमल: 6352 मीटर

The mountain peaks of the periphery of the sanctuary —

Hardeol: 7151 m (in Northeast edge)

Trishuli: 7074 m (ahead of Hardeol)

Nanda Kot: 6861 m (in the southeast edge)

Nanda Ghunti: 6309 meters (in the south-west edge)

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