UP/Uttarakhand : बाघ युवक को खा गया, गन्ने के खेत में मिले शव के टुकड़े

UP/Uttarakhand News| पीलीभीत में एक युवक को बाघ ने हमला कर मार डाला। युवक रविवार देर शाम उत्तराखंड से मजदूरी करके लौट रहा था। तभी…

UP/Uttarakhand News| पीलीभीत में एक युवक को बाघ ने हमला कर मार डाला। युवक रविवार देर शाम उत्तराखंड से मजदूरी करके लौट रहा था। तभी गांव से 200 मीटर की दूरी पर बाघ ने हमला कर दिया। सुबह उसके शव के टुकड़े गन्ने के खेत में पड़े मिले। सूचना मिलते ही पुलिस-वन विभाग की टीम मौके पहुंची और शव के टुकड़ों पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया।

खटीमा गया था मजदूरी करने गोकुल

मृतक का नाम गोकुल मलिक (35​​​​​​) है। वह उत्तराखंड बॉर्डर के टाडा विजैसी एटवारा गांव का रहने वाला था। गोकुल मलिक रोजाना की तरह गांव से एक किलोमीटर दूर उत्तराखंड के खटीमा में मजदूरी करने गया था। शाम को मजदूरी करके वापस गोकुल लौट रहा था। तभी गांव के पास अचानक बाघ ने उस पर हमला कर दिया। जब तक वह कुछ समझ पाता, बाघ उसे खेत में घसीट ले गया। देर रात तक जब गोकुल घर नहीं पहुंचा, तो घरवालों को चिंता होने लगी। इसके बाद घरवालों ने उसकी खोजबीन शुरू की। सोमवार सुबह उनको गन्ने के खेत में युवक के शव के अवशेष पड़े दिखाई दिए।

हमले की सूचना मिलने के बाद पुलिस और सामाजिक वानिकी प्रभाग की टीम भी मौके पर पहुंची। टीम बाघ की लोकेशन ट्रेस करने में जुटी है। पीलीभीत सामाजिक वानिकी के DFO संजीव कुमार ने बताया कि बाघ हमले में युवक की मौत हुई है। मौके पर स्टाफ को भेजा गया है।

खेत में जगह-जगह मिले शव के अवशेष

परिजन ने बताया कि जब हम लोग गोकुल को ढूंढते हुए खेत में पहुंचे, तो कहीं उसकी अधखाई हुई टांग पड़ी मिली तो कहीं हाथ मिला। एक जगह गोकुल का आधा कटा-फटा धड़ मिला है। परिजनों ने वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया है। वहीं इस घटना के बाद से गांव वालों में भी बाघ को लेकर दहशत फैल गई है।

गांव से 2 किमी दूर है जंगल, खेतों में छुपा था बाघ

गांव वालों ने बताया कि गांव से सिर्फ दो किमी की दूरी पर ही पीलीभीत टाइगर रिजर्व का जंगल है। इसमें कई जंगली जानवर रहते हैं। इस गांव में कई बार बाघ वगैरह आते-जाते रहते हैं। शाम होते ही गांव वाले घर में दुबक जाते हैं। हम लोगों ने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई हमारी सुनने वाला नहीं है।

बगल के गांव भरतपुर के प्रधान मनोज ने बताया कि हम कई बार अधिकारियों को बता चुके हैं कि गांव के चारों ओर बाड़ लगा दी जाए। लेकिन अभी तक सुनवाई नहीं हुई। हम लोग डर में जी रहे हैं। अभी दो महीने पहले इसी गांव से दो किमी दूर एक युवक पर हमला हुआ था।

जब तक बात नहीं सुनी जाती, शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे

ग्रामीणों को मुताबिक, जब तक सरकार या प्रशासन हमारी बातों को नहीं सुनती है, तब तक हम शव का अंतिम संस्कार नहीं करने देंगे। गांव वालों का कहना है कि वन विभाग की लापरवाही के चलते जंगली जानवर आए दिन किसी न किसी पर हमला करते रहते हैं। हमारी जान की इनकी नजरों में कोई कीमत नहीं है।

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