उल्का पिंडों की बौछार : आज रात अंतरिक्ष में दिखेगा यह अद्भुत नजारा

सीएनई रिपोर्टर, उत्तराखंड आज मंगलवार को अंतरिक्ष में कुछ खास दिखाई देने वाला है। यदि आप यह अद्भुत नजारा देखना चाहते हैं तो रात 02…

सीएनई रिपोर्टर, उत्तराखंड

आज मंगलवार को अंतरिक्ष में कुछ खास दिखाई देने वाला है। यदि आप यह अद्भुत नजारा देखना चाहते हैं तो रात 02 बजे आपको उठकर आकाश की ओर देखना होगा। आज भारी संख्या में उल्का पिंडों की बारिश होगी।

दरअसल, आज मंगलवार की रात काफी अहम है। बहुत से लोगों ने दावा किया है कि इस माह वह आकाश में यदा—कदा उल्कापिंड गिरते देख रहे हैं। सोमवार रात भी काफी लोगों ने आकाश में उल्का पिंड देखे थे। वैज्ञानिकों ने शंकाओं का समाधान करते हुए बताया है कि पूरे दिसंबर माह में ऐसा ही नजारा दिखाई देगा, लेकिन यदि उल्कापिंडों की बरसात देखनी है तो मंगलवार रात 02 बजे के करीब यह अद्भुत नाजारा अंतरिक्ष में दिखाई देगा, जिसे आप बिना किसी उपकरण के देख सकते हैं। इसमें किसी किस्म का कोई खतरा नहीं है।

बता दें कि उल्का पिंड चमकदार रोशनी की जगमगाती धारियां होती हैं, जिन्हें अक्सर रात में आसमान में देखा जा सकता है, इन्हें ‘a shooting star’ भी कहा जाता है। वास्तव में, जब धूल के कण जितनी छोटी एक चट्टानी वस्तु बेहद तेज गति से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती है, तो घर्षण के कारण प्रकाश की खूबसूरत धारी बनती है। साल की एक निश्चित अवधि में आकाश की निश्चित दिशा से आते एक नहीं, बल्कि कई उल्का पिंड देखने को मिलते हैं, जिन्हें उल्का पिंड बौछार कहा जाता है।

ये बौछार अकसर उस समय होती है, जब पृथ्वी विभिन्न उल्का तारों के सूरज के निकट जाने के बाद छोड़ी गई धूल के बचे मलबे से गुजरती है। इनमें से Geminid meteor shower सबसे शानदार उल्का पिंड बौछारों में से एक होती है। ये बौछार हर साल दिसंबर के दूसरे सप्ताह के आस-पास दिखाई देती है। वैज्ञानिकों के ​अनुसार इस साल पूर्वानुमान है कि आसमान साफ होने के कारण प्रति घंटे 150 उल्का पिंडों की बौछार दिखाई दे सकती है।

नैनीताल स्थित एरीज के Public Outreach Program Incharge डॉ. वीरेंद्र यादव के अनुसार, उल्काओं को बोलचाल की भाषा में

'shooting star' or 'breaking star' कहा जाता है। पर वास्तव में यह नाम सही नहीं है, क्योंकि इसका तारों से कोई लेना-देना नहीं है। जब धूमकेतु और क्षुद्रग्रह आंinner solar system से गुजरते हैं तो वे बादलों के रूप में बहुत सारी धूल छोड़ जाते हैं। जब पृथ्वी की कक्षा ऐसे किसी बादल के पास से गुजरती है, तो उस धूल के कई कण हमारे वायुमंडल में प्रवेश कर जाते हैं और 80-120 किमी की ऊंचाई पर घर्षण के कारण जल जाते हैं।

इसी के कारण प्रकाश की एक लकीर दिखाई देती है, जो आमतौर पर क्षणमात्र के लिए ही होती है। इसे ही ‘उल्का’ कहा जाता है। आमतौर पर हर रात आठ से दस उल्काएं दिखती हैं, पर Geminid meteor shower के समय हर रात करीब 80 से 100 उल्काएं देखी जा सकती हैं। मंगलवार को यह खगोलीय घटना चरम पर होगी, जबकि पूरे दिसंबर में आसमान में उल्काएं काफी अधिक दिखाई देंगी।

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