नैनीताल। चारधाम यात्रा को लेकर उत्तराखंड हाइकोर्ट ने सरकार को बड़ी राहत दी है। हाइकोर्ट ने चारधाम यात्रा के श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाए जाने के मामले को लेकर दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की। कोर्ट ने चारों धाम में प्रतिबंध के साथ यात्रियों की निर्धारित से अधिक के जाने व दर्शन करने पर लगी रोक को हटा दिया है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ में हुई। अब कोर्ट के आदेश के बाद श्रद्धालु बेरोकटोक चारधाम दर्शन के लिए जा सकेंगे। हालांकि कोर्ट ने साफ किया कि शासन को कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन सुनिश्चित कराना होगा। इधर कोर्ट के आदेश के बाद सरकार को बड़ी राहत मिली है।
आपको बता दे कि हाइकोर्ट के आदेश के बाद सीमित संख्या में चारधाम यात्रा को शुरू किया गया था, इससे तीर्थ यात्रियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यात्रियों की संख्या सीमित होने के कारण व्यापारियों को भी समस्या हो रही है। ऐसे में एक बार फिर राज्य सरकार चारधाम यात्रा को लेकर हाईकोर्ट पहुंची थी। आज मंगलवार को नैनीताल हाईकोर्ट में चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या को बढ़ाए जाने के मामले में सुनवाई हुई। जिसमें राज्य सरकार ने कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए फैसले को संशोधित करने की मांग की। मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अब प्रतिबंध को हटा दिया है। ये व्यवस्था कल यानी 6 अक्टूबर से लागू होगी। कल से केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की 15 अक्टूबर से आगे की यात्रा के लिए पंजीकरण करवाया जा सकेगा। फ़िलहाल बुकिंग फुल हो चुकी है। खबरें वही जो समय पर मिले, तो जुड़िये हमारे WhatsApp Group से Click Now
इससे पहले कोर्ट ने चारधाम यात्रा करने के लिए प्रत्येक दिन केदारनाथ धाम में 800, बदरीनाथ धाम में 1000, गंगोत्री में 600 और यमनोत्री धाम में कुल 400 श्रद्धालुओं के जाने की अनुमति दी है। ऐसे में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। इस मसले को लेकर राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है जिसमें एसएन बाबुलकर व मुख्य स्थायी अधिवक्ता (सीएससी) चन्द्रशेखर रावत ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि चारधाम यात्रा के लिए कोविड को देखते हुए कोर्ट ने पूर्व में श्रद्धालुओं की संख्या निर्धारित कर दी थी लेकिन अब प्रदेश में कोविड के केस न के बराबर आ रहे हैं, इसलिए चारधाम यात्रा करने के लिए श्रद्धालुओं की निर्धारित संख्या के आदेश में संशोधन किया जाए।