Almora News: विश्व के बढ़ते तापमान पर वाहिनी ने जताई चिंता, कहा—जल, जंगल व जमीन के सवालों पर संवेदनशील होना जरूरी

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ाविश्व पर्यावरण दिवस पर उत्तराखण्ड लोक वाहिनी ने विश्व में बढ़ते तापमान पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है और जिसके पीछे पर्यावरण असंतुलन…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
विश्व पर्यावरण दिवस पर उत्तराखण्ड लोक वाहिनी ने विश्व में बढ़ते तापमान पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है और जिसके पीछे पर्यावरण असंतुलन है। वाहिनी नेताओं ने कहा कि वाहनी दशकों से पर्यावरण, जल, जंगल व जमीन के सवालों को उठाते आ रही है, मगर सरकारों ने इस सवालों पर गंभीरता से सोचने में संवेदनहीनता दिखाई है।

विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर यहां वाहिनी ने वर्चुअल तरीके से बैठक की। अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ नेता पूरन चन्द्र तिवारी ने कहा कि वाहिनी उत्तराखण्ड में सरकार की दोहरी नीति का विरोध करती है। एक ओर इको सेन्सटिव जोन बनाकर जनता को वनों से दूर किया जा रहा है और दूसरी ओर सरकार बड़े—बड़े बांधों को बनाकर पर्यावरण को हानि पहुंचा रही है। अजय मित्र सिंह बिष्ट ने कहा कि पर्यावरण एक सामाजिक मुद्दा है और पर्यावरण संरक्षण के लिए आमजन को उससे जोड़ना होगा। वरिष्ठ नेता दयाकृष्ण काण्डपाल ने कहा कि पूर्व में स्व. डा. शमशेर सिह बिष्ट के नेतृत्व से ही वाहनी पर्यावरण के मुद्दों को लेकर हमेशा सजग रही है और वाहनी को उत्तराखण्ड में चर्चित चिपको आन्दोलन का पर्यायवाची माना जाता है। बीते तीन दशकों से वाहिनी सामाजिक जीवन में जल, जंगल व जमीन से जुड़े सवालों को राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय मंचों पर उठाती रही है, लेकिन संवेदनहीन सरकारों ने इन सवालों को कभी भी गम्भीरता से नहीं लिया।

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एड. जगत रौतेला ने कहा कि उन्होंने पूर्व में अल्मोड़ा छात्रसंघ अध्यक्ष रहते जो वन लगाये, वे आज भी अपनी जगहों पर कायम् है। मगर विगत सालों में रिकार्ड पेड़—पौधे आगजनी की भेंट चढ़ गये। उन्होंने कहा कि वन अधिनियम 1980 के प्राविधानों ने जनता को वनों से दूर किया है।इस अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी गई और कोर्ट ने जनता को राहत देने वाला निर्णय दिया, मगर उसके प्राविधानों को अफसरशाही लागू नहीं करती। जिससे जनता का वनों से मोह भंग हो गया है और आज आग की घटनाएं ज्यादा होने लगी हैं। बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ नेता पूरन चंद्र तिवारी तथा संचालन दयाकृष्ण काण्डपाल ने किया। बैठक को वाहिनी के उपाध्यक्ष जंगबहादुर थापा, अजय मेहता, हारिस मुहम्मद, शमशेर जंग गुरुंग, नवीन पाठक, विशन दत्त जोशी, रेवती बिष्ट, सुशीला धपोला, हरीश मेहता, कुणाल तिवारी आदि में सम्बोधित किया।

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