Almora : बोले ग्रामीण, “हमें गांव में ही रहना है”, पालिका सीमांकन की खिलाफत

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा नगर पालिका के सीमांकन के खिलाफ तमाम ग्राम सभाएं एकजुट हो चुकी हैं। अधिकांश ग्राम सभाओं ने साफ कर दिया है कि…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

नगर पालिका के सीमांकन के खिलाफ तमाम ग्राम सभाएं एकजुट हो चुकी हैं। अधिकांश ग्राम सभाओं ने साफ कर दिया है कि उन्हें किसी कीमत पर भी पालिका क्षेत्र में शामिल नहीं होना है और यदि बलपूर्वक शामिल किया गया तो उसका व्यापक विरोध किया जायेगा।

दरअसल, नगर पालिका सीमांकन के विरोध में आज हवालबाग ब्लॉक के न्याय पंचायत खत्याड़ी और न्याय पंचायत फलसीमा की 25 ग्राम सभाओं के जन प्रतिनिधियों व ग्रामीणों द्वारा उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत को एक ज्ञापन सौंपा गया। यह ज्ञापन मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार पुष्कर धामी के नाम संबोधित था, जिसमें नगर पालिका में शामिल किए जाने से होने वाले नुकसान से मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया है।

ज्ञापन देने वालों में किसान मोर्चा जिला अध्यक्ष हरीश कनवाल, प्रधान संगठन के जिला अध्यक्ष धीरेनद्र गैलाकोटी, जिला पंचायत सदस्य नन्दन आर्य, ग्राम प्रधान तलाड़बाड़ी किशन सिंह बिष्ट, प्रधान सरसों नवीन बिष्ट, प्रधान माल राजेंद्र बिष्ट, प्रधान शैलगूंठ हरेंद्र शैली, पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य किशन बिष्ट, प्रधान बख देवेंद्र सिंह, प्रधान अथरवाडी मनोज जोशी के अलावा प्रधान फलसीमा, सिकुड़ा, गोलनाकरड़िया, खत्याड़ी आदि के प्रधान शामिल रहे।

हमें गांव में ही रहने दो ! ग्राम सभाओं ने पालिका में शामिल होने से किया इंकार

बाले ग्रामीण, ”यह गांवों के अस्तित्व बचाने का संघर्ष है ”

ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें इस बात का भय है कि पालिका क्षेत्र में शामिल होने पर उनके अधिकार प्रभावित होंगे। गांवों में अधिकांश लोग मध्यम वर्गीय रहते हैं। कई लोगों के पास स्थायी रोजगार भी नहीं है। मेहनत मजदूरी कर वह अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। गांवों में बंदरों, सुअरों का आतंक इतना ज्यादा है कि अब खेती से भी साल भर खाने को नहीं हो रहा है। अब यदि गांवों को पालिका क्षेत्र में शामिल किया जाता है तो ग्रामीणों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।

इधर पूर्व प्रधान खत्याड़ी हरीश कनवाल ने कहा कि ग्राम सभा खत्याड़ी में 80 प्रतिशत लोग बेरोजगार हैं। अधिकांश लोगों के पास पुराने पटाल वाले मकान हैं। लोग मेहनत मजदूरी कर जीवन यापन कर रहे हैं। पालिका क्षेत्र में शामिल होने पर उन्हें हाउस टैक्स, सीवर टैक्स आदि चुकाना पड़ेगा। जिससे लोगों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा। लोगों के अधिकार भी प्रभावित होंगे। खत्याड़ी को किसी भी कीमत में पालिका में शामिल नहीं होने देंगे।

पूर्व ज्येष्ठ प्रमुख हवालबाग आनंद कनवाल ने कहा कि खत्याड़ी के पालिका में शामिल होने पर लोगों के जल, जंगल, जमीन के अधिकार प्रभावित होंगे। वन पंचायतों को अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। अधिकाश लोग कृषि, पशुपालन कर आजीविका चलाते हैं लेकिन पालिका में शामिल होने पर उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। ग्रामीणों को टैक्स चुकाने पड़ेंगे, जिससे उन पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ेगा। अतएव वह लोग सीमा विस्तार का विरोध करते हैं।

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